आख़िर कहाँ और कितना बाकी है हिंदू?

जड़ बनाकर अनंत चेतन को पूजता हिन्दू ,

खुद की दुर्दशा पर सिर्फ वैचारिक चिंतन करता हिन्दू ,

इतिहास को दोहराकर स्वयं पीड़ित बनता हिन्दू ,

जाति, राज्य, भाषा मे खुद को बांधता हिन्दू ,

कौन बचा कैसे है चचा,

निर्पेक्षता का एकतरफा दिखावा करता हिन्दू ,

ब्रिटिश चाल-चलन में आज भी जीता हिन्दू ,

सच कह दो तो कट्टर कहता हिन्दू ,

आपसी भाई चारे की शान में ,

यमुना को मुगलिया बताकर गंगा -जमुना तहज़ीब समझाता हिन्दू ,

मुस्लिम ईसाई सबसे तुमने है मरवाई-ना मानकर ,

21 सदी का सौदागर बनना चाहता हिन्दू ,

सरकारों की नीतियों में चाणक्य को ढूढ़ता हिन्दू ,

हिन्दू राष्ट्र की कल्पना में , वर्तमान में स्वाभिमान बेचता जाता हिन्दू ,

कैरियर , परिवार जीवन मे ,कर्तव्य-कर्म से भागता हिन्दू ,

आख़िर कहाँ और कितना बाकी है , हिन्दू ।

सेकुलर लिबरल: ब्रह्मांडिक ज्ञानविज्ञान से पूर्ण अनंत सभ्यताओं संस्कृतियों का मुख्य केंद्र ही हिंदुत्व है।अपितु महाभारत काल के अग्रिम हज़ारों वर्षों में समय समय पर अलग अलग शाखाओं द्वारा ही जड़मूलरूपी चेतनाशक्ति को अस्तित्वविहीन करने का कुचक्र पिछले ३००० वर्षों से प्रारंभित है इसमें मुख्य २००० वर्ष उसमें से भी मुख्य १४०० वर्ष है। वर्तमान मे हिंदू समाज को एकता व यथार्थ धार्मिक जीवन को कर्मयोगी की भाँति जीना होगा व इस्लामिक व ईसाई कट्टरपंथी विचारधारा से भारत राष्ट्र को बचाना होगा। धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्
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