यूपी के लोगों को नौकरी पर रखने के लिए लेनी पड़ेगी योगी सरकार की अनुमति

helpless workers


कोरोना वायरस के चलते श्रमिकों ने जिन समस्याओं का सामना किया है अपने घर वापस जाने के लिए, उसके चलते यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने एक बहुत बड़ा बयान दिया हैं की, अब से अगर किसी और राज्य को हमारे यहाँ से कामगार चाहिए होंगे तो उनको यूपी सरकार से अनुमति लेनी होगी। उन्होंने ये साफ़ बोल दिया हैं की कोई भी दूसरा राज्य उनके अनुमति के बिना यूपी के लोगो को नौकरी पर नहीं रख सकता।

ऐसा फैसला उन्होंने क्यों लिया? उन्होंने कहा के ये जो श्रमिक यहाँ पर हैं ये हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं और हम उन्हें यूपी में ही काम देंगे।

दो बड़ी बातें उन्होंने की हैं एक तो श्रमिकों को उन्होंने राज्य का संसाधन कहा हैं और दूसरी बात ये की उन श्रमिकों को रोजगार हम आपने ही प्रदेश में प्रदान करेंगे। उनके अनुसार कोरोना के इस आपदा में मजदूरों की उचित व्यवस्था किसी भी राज्य ने नहीं की, कहने का तात्पर्य ये हैं की मजदूरों को राज्य की सरकारों ने और कंपनी के प्रशासन ने मजदूरों को इस वैश्विक संकट में उन्हके हाल पर छोड़ दिया गया।

योगी आदित्यनाथ जी का ये बयान एक हद तक सही भी है। पुरे देश ने देखा के श्रमिक किस परेशानी से आपने घर जा रहे हैं, सोचने की बात ये हैं की, इतने सारे मजदूर जब किसी प्रदेश की सेवा में थे और अब इस वैश्विक संकट में कोई प्रदेश की सरकार इन मजदूरों को उचित सेवा प्रदान नहीं कर पायी।

ये उन प्रदेशो के लिए एक शर्म की बात हैं जो प्रदेश अन्य प्रदेशो के मजदूरों से अब तक सेवा प्राप्त करते रहे और जब उनको सेवा देने का समय आया तो ये प्रदेश असफल साबित हुए।

कोरोनोवायरस लॉकडाउन में घर लौटने की कोशिश के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 42 प्रवासी श्रमिकों की मौत हो गई, सेव लाइफ फाउंडेशन द्वारा जारी एक रिपोर्ट से पता चलता है।

भूक और डर मजदूरों को पलायन करने पे मजबूर कर रही है। कई सरे मजदूर अपनी घरो के लिए भूके ही पैदल निकल गए। कुछ मजदूर आपने घर पोहच गए और कुछ मजदूरों की घर पहोचने के पहले ही मृत्यु हो गयी। ये मृत्यु कोरोना वायरस से नहीं बल्कि किसी की मृत्यु भूक से, किसी की मृत्यु चलने से,तो किसी की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हुई है।

इन्ही मजदूरों के बलबूते लाखो करोडो की संपत्ति कमाने वाले कंपनी मालको ने अगर इन मजदूरों का थोड़ा भी ख्याल रखा होता तो आज ये दिन उन मजदूरों को नहीं देखने पड़ते। इन सभी कम्पनीओ के मालको को एक किसान से सिख लेनी चाहिए।

राजधानी के तिगीपुर गाँव के एक मशरूम किसान पप्पन सिंह ने अपने 10 मजदूरों को बिहार से वापस घर भेजने के लिए हवाई टिकट के लिए ७०,००० रुपये का भुगतान किया है। उनके पास भी अब लगभग दो महीने से उन्हें खाना खिलाया और शरण दे रहा है।

किसान पप्पन सिंह ने कहा, “मुझे लगा कि अगर रास्ते में उनके साथ कुछ हुआ है तो मैं खुद को माफ़ नहीं कर पाऊंगा। यही वजह है कि मुझे लगा कि विमान उन्हें सुरक्षित घर भेज सकता है … वे मेरे अपने लोगों की तरह हैं।”

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