कांग्रेस देश को फिर से बांटेगी, और फिर से धर्म के नाम पर

जनेऊधारी पंडित राहुल गांधी

कल मेरे एक मित्र ने पूछा, “चुनाव आ गए है क्या”? मैं हैरान हो गया क्योंकि उसे चुनाव जा राजनीती में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं है। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता चला। तो उसने जवाब दिया कि कल राहुल गांधी मंदिर गया था। और इतना कहने के साथ उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।

मैं उसके मुस्कराने की वजह जानता था। जो राहुल गांधी कल तक कहते थे की लोग मंदिर में लड़की छेड़ने जाते है, आज वो खुद क्यों भाग कर मंदिर जा रहे है। इसका सरल उत्तर है कि उन्हें हिन्दू वोट की जरूरत है। हिन्दू बहुगिन्ती राज्य कर्नाटक जीतने के लिए। वो गुजरात का आजमाया हुआ फार्मूला कर्नाटक में भी इस्तेमाल करना चाहते है। इस लिए राहुल गांधी का जनेऊधारी ब्राह्मण जाग गया है।

वो फिर से मंदिर रेस जीत कर दिखाना चाहते है कि मैं कितना बड़ा हिन्दू हूँ। लेकिन ये हिन्दू जनेऊधारी ब्राह्मण जो आज मंदिर मंदिर जाते थक नहीं रहा, शिवरात्रि के पावन मौके पर कुम्भकरण की नींद सो गया था। इतना बड़ा शिव भक्त होने का दावा करने वाले उस दिन घर से चंद किलोमीटर दूर मंदिर नहीं जा सके। जो आज कई सौ किलोमीटर दूर मंदिर पहुँच गए।

जो असली शिवभक्त होते है उनके लिए तो ये दिन दिवाली और ईद से कम नहीं होता। और आज उन्ही राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस कर्नाटक में शिव भक्तों को बाँटने का काम कर रही है। मैं ये मानने को तैयार नहीं कि राहुल गांधी को ये पता न हो। कि कर्नाटक में क्या हो रहा है। कांग्रेस ने अंग्रेज़ो की डिवाइड एंड रूल पालिसी को लगता है गोद ले लिया है। इसके भयानक नतीजे देश 1947 में देख चुका है और अब दूबारा ऐसी गलती कांग्रेस को नहीं करनी चाहिए।

कांग्रेस की नीति रही है, पंजाब में हिन्दू को सिख से डरा कर, यूपी में मुस्लिम को हिन्दू से डरा कर वोट लेने की नीति को देश जानता है। लेकिन अब उन्होंने एक कदम आगे बढ़ कर हिन्दू धर्म को तोड़ने के लिए लिंग्यात समाज को हिन्दू धर्म से बाहर करने के कोशिश की है। सिर्फ एक चुनाव जीतने के लिए, लेकिन इसके नतीजे क्या होंगे किसी को नहीं पता।

क्या किसी ने आम लोगों से पूछा की वो क्या चाहते है ऐसी ही गलती राहुल गांधी के पड़दादा जवाहर लाल नेहरू ने की थी। और आज देश 70 साल उसके नतीजे हर रोज जम्मू कश्मीर में जवानों की जान से चुका रहा है। वो इतिहास है बीत चुका है उसे बदला नहीं जा सकता। लेकिन इतिहास से देख कर अगर हम कुछ नहीं सीखते तो हमारी सबसे बड़ी भूल होगी और कांग्रेस वो ही भूल दोहराने जा रही है।

क्या आपने कभी सोचा है की यह कांग्रेस कभी भी शिया को अलग धर्म बनाने का सोच सकती है।चाहे शिया और सुन्नी में कितनी भी लड़ाई हो। हर बार हिन्दू धर्म को टारगेट क्यों किया जाता है, क्योंकि हम आपस में बँटते आए है, तो कोई हमारी कमजोरी का फायदा क्यों न उठाएं। हमें अपनी गलतियों से सीखना होगा की कैसे एक मोहमद ग़ज़नवी ने इतने राजा को हरा कर देश को लूटा क्योंकि तब भी हम आपस में बांटे हुए थे लड़ने के लिए सिर्फ क्षत्रिय की जिमेवारी है यही सोच उस वक़्त हमारे पत्न का कारण थी और हिन्दू धर्म के बंटे होने के कारण हिंदुस्तान को आठ सौ साल गुलाम रहना पड़ा।

लेकिन आज भी हिन्दू कुछ भी नहीं सीखा है। आज भी वह दूसरो की चाल का मोहरा बनने को तैयार है किंतु आपस के मनमुटाव मिटाने को तैयार नहीं। यह गलत सोच की वजह से पता नहीं इस देश को और हिन्दू धर्म को और कितना नुक्सान होगा। यह बात सिर्फ एक चुनाव की नहीं है इस से हिन्दू धर्म में दरार और बढ़ जाएगी। क्योंकि दुनिया का सबसे पुराना धर्म होने के बावजूद आज यह तीसरे नंबर का बन चूका है यह मुस्लिम या दूसरे धर्म भी हिन्दू धर्म छोड़ कर जाने वाले लोगों से ही बने है।

खैर अब की बात करते है अगर आज यह कांग्रेस का प्लान सफल हो गया तो वो 2019 में न जाने कितनी बार यह बँटाने की राजनीती करेगी और कितने राज्य नए कर्नाटक बनेगे। इससे सबसे ज्यादा नुकसान हिंदुस्तान और हिन्दू का ही होगा। आज समय है हिन्दू इस नीति को समझे और बँटाने वालो की बातों में न आएं नहीं तो हम आने वाली पीढ़ी के गुनाहगार होंगे। मैं तो भगवान शिव से यही कामना करूँगा क़ि वो कांग्रेस को थोड़ी सद्बुद्धि दे क्योंकि उनकी पुरानी गलतियों से ही देश को बहुत नुकसान हुआ है और उसकी यह सत्ता की भूख की वजह से नाजाने और कितना नुक्सान देश को झेलना पड़ेगा।

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