हिंदी की व्यथा..

हिंदी का खो गया अभिमान,
भारत में अंग्रेजी है अब, पढ़े-लिखों की पहचान l
बोलकर अंग्रेजी, होता है बड़ा गुमान,
हिंदुस्तान में हिंदी, खो चुकी सम्मान l

अंग्रेजी के संविधान में, राष्ट्रभाषा की संज्ञा पाई,
मातृभाषा जिसे बनायी, कर दिया अब उसे पराई l
स्वदेश में ही हो रहा, स्वभाषा का बलिदान,
फिर किस बात पर देश करे, हिंदी पर अभिमान ?

मैं सुनती हूँ भारत में, विविधताओं का शोर,
क्या इसमें ही कहीं हिंदी हो गयी कमज़ोर ?
देश को जिसने बांधा एक सूत्र में,
क्या टूट रही उसकी ही डोर ?

पहचान कराई जिसने दुनिया में,
खुद ही खो रही वो अपनी पहचान
हिन्दीभाषी होकर भी क्या हम,
क्या लौटा पाएंगे हिंदी का सम्मान?

मानसी शुक्ला

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