लिबरलों का इन्टॉलरेन्स और अप्रासंगिक डिब्बाबंद प्रोग्रेसिव विचारकों की छटपटाहट
लिबरल लोगों के दोहरे मानदंड तब और प्रत्यक्ष हो जाते हैं जब ये उस झुंड से मिल आते हैं जहाँ कोई विचार इनसे दूर…
8 May 2016
लिबरल लोगों के दोहरे मानदंड तब और प्रत्यक्ष हो जाते हैं जब ये उस झुंड से मिल आते हैं जहाँ कोई विचार इनसे दूर…
A satirical report about Kanhaiya claiming another attack, this time in his sleep.
An analysis of the main themes and points of the JNU speech by Kanhaiya Kumar.