वैज्ञानिक दृष्टि से बिना प्रमाणों के किसी चीज़ को हंसी ठिठोली करके न तो नाकारा जाना चाहिए ना ही अति आत्मविश्वास के साथ स्वीकारना चाहिए क्योकि संभावनाओं को नकार देना विज्ञान का अपमान ही हैं क्योकि जो कल महज़ एक कल्पना थी वह आज आविष्कार के रूप में हमारे सामने हैं