saurabhshah

मीडिया की निगेटिविटी से बचने के लिए तीन मई तक आंख-कान ढंकना भी ज़रूरी है

अखबार-पत्रिकाएं भले ही अभी बंद हों लेकिन उसमें शोर मचानेवाले चुप नहीं हैं. वे सोशल मीडिया में जाकर चिल्ला रहे हैं कि लॉकडाउन की…