हमारा चाँद और हमारा चंद्रयान भाग-२!: प्रकाश राज और न्यूयार्क टाइम्स का मुंह काला

मित्रों इस लेख से जुड़े व्यंग अर्थात कार्टून को देखिये।

मित्रों जब वर्ष २०१४ में भारत से दुर्भाग्य के मनहूस साये को पराजित कर “मोदी” सरनेम वाला एक सुरज का उदय हुआ था और उसने भारत के सौभाग्य को पुन: प्राप्त करने का भरोसा दिया था, तो ये भरोसा अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र के लिए भी था।

और उस वक्त ये कार्टून अंग्रेजों के ओछी और विच्छिप्त विन्सटन चर्चील के तुच्छ मानसिकता को दर्शाता हुआ वर्ष २०१७ में न्यूयार्क टाइम्स द्वारा छापा गया था। इस कार्टून को छाप कर भारत का मजाक उड़ाया गया था। परन्तु जिन लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन लूट और खसोट के माल पर जिंदा रहकर काटा हो, वो भला क्या जानें की परिश्रम, ज्ञान और योग्यता का मिलाप करके, भारत के तपस्वी हर असंभव को संभव बना देते हैँ।

मित्रों अंग्रेजों ने सदैव भारतीय ग्रंथों से जानकारी चुरा चुरा कर अपने नाम से अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। चाहे वो न्यूटन हो या डाल्टन या फिर, कोपरनिकस हो या फिर पैथागौरस, राइट ब्रदर्स हो या कोई अन्य अंग्रेज वैज्ञानिक सभी ने केवल और केवल खोज की, किसी नई वस्तु या तकनीकी का अविष्कार नहीं किया।

और इन्हीं नकलची गोरों के नकलची हिन्दु (जो रहते तो भारत में हैँ पर गाते अपने आका अंग्रेजों का है विशेषकर वामपंथी और कांग्रेसी) वो भी चाटुकारिता करते हुए इन्ही लुटेरों का साथ देते हैँ। और मुझे आश्चर्य नहीं की इन्होंने भी मजाक उड़ाया था। एक वामपंथी चाटुकार है प्रकाश राज, यह मानसिक रूप से विच्छिप्त और निम्न कोटी का है, इसने तो चंद्रयान के सफल लैंडिंग से दो दिन पूर्व हि एक कार्टून पोस्ट कर मजाक उड़ाया था।

परन्तु मित्रों जैसे हि चंद्रयान-३ चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा इन अंग्रेजों की तो जान निकल गयी, ये शर्म के मारे अपने हि शरीर से निकले तरल अमोनिया और यूरिया के मिश्रण में डूब गये, लज्जा और हीनता के मारे। आज विनस्टन चर्चील जंहा भी होगा शर्म से गड़ गया होगा, उसकी आत्मा उसी को धिक्कार रही होगी।

अब उस कार्टून के साथ छपे लेख को देखिये। जिस न्यूयार्क टाइम्स ने भारत का मजाक उड़ाया था, आज वही अपने शिश को झुकाकर भारत के ज्ञान और विज्ञान की प्रसंशा कर रहा है। आज अंग्रेजों का ये अखबार अपने हि दृष्टि में गिर गया होगा।

परन्तु मित्रों भारत में पल रहे अंग्रेजी और अंग्रेजों के चाटुकारों का क्या करें जो अभी भी अपने आकाओं के तलवे चाट चाट कर उनको खुश करने की कोशिश कर रहे हैँ।

मित्रों बताने की आवश्यकता नहीं कि भारत हि वो धरती थी, जिसने सम्पूर्ण विश्व को Astronomy अर्थात खगोल शास्त्र का विज्ञान दिया था।

भारत ने हि सर्वप्रथम पृथ्वी को गोल और अपनी धूरी पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर लगाने वाला ज्ञान दिया था। भारत ने हि सम्पूर्ण ग्रहों और नक्षत्रों को तथ्यात्मक विश्लेषण के द्वारा दुनिया से परिचित कराया था। सप्ताह के दिनों की भी गणना और प्रत्येक दिन के नाम भारत ने हि दिया था। AM और PM भी भारत की हि देन है। सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के विषय में सम्पूर्ण जानकारी भारत ने हि दी थी। आज भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का के समय और तिथि का सटीक विश्लेषण NASA के आधुनिक यंत्र और हिबेल दूरबीन नहीं अपितु भारत का पंचाँग हि देता है।

भारत ने हि “शून्य” और “दशमलव” दिया। भारत ने हि परमाणु के सिद्धांत दिये। भारत ने पंचभूत (अर्थात सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पांच भूतों जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी से मिलकर बना है) का सिद्धान्त दिया था। भारत ने हि १ और १ को जोड़कर जब २ प्राप्त किया तो गणित शास्त्र की उत्पत्ति हुई। भारत ने हि बताया की जब १ और १ जुड़कर शून्य अर्थात कुछ भी नहीं रहते तो यहीं से अध्यात्म कु शुरुआत होती है।

मित्रों आर्यभट्ट, कणाद, ब्रह्मभट्ट, भास्कराचार्य, भारद्वाज मुनी, मुनी अगस्त, वराहमिहिर, बौद्धायन तथा आचार्य सुश्रुप्त इत्यादि जैसे वैज्ञानिकों ने अपने ज्ञान, कौशल और परिश्रम से सम्पूर्ण विश्व को रसायन, भौतिक, जीव, वनस्पती, चिकत्सा, सामाजिक, राजनितिक तथा खगोल विज्ञान का ज्ञान प्रदान किया।

मुझे तो अंग्रेजों की चाटुकारी करने वाले उन गद्दारों के ऊपर दया आ रही है जो अपने हृदय से चंद्रयान के विफल हो जाने की प्रार्थना कर रहे थे, परन्तु इस पवित्र अभियान के सफल हो जाने पर मातम मना रहे होंगे।

मित्रों कितना सटीक और अनुमानित प्रयोग था हमारे प्रधानमंत्री के Brics सम्मेलन और चंद्रयान-३ के लैंडिंग का। इधर चंद्रयान-३ चन्द्रमा की धरती पर उतरता है और उधर Brics सम्मेलन में चिन के राष्ट्रपति के समक्ष बैठे हमारे प्रधानमंत्री जी ५६ इंच के छाती के साथ भारत के विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ने का एक कदम बताकर सम्पूर्ण विश्व को अपना पैगाम दे देते हैँ।
यह अभियान भारत के उपर सम्पूर्ण विश्व के भरोसे को और सुदृढ़ करता है।

आज न्यूयार्क टाइम्स, ग्लोबल टाइम्स, वशिंगटन पोस्ट और बीबीसी सभी को ना तो कुछ दिखाई दे रहा, ना सुनाई दे रहा और ना हि बोलने लायक़ कुछ सूझ रहा है।

चन्द्रमा के जिस स्थान पर भारत अपने दूसरे प्रयास में पहुंच गया उस स्थान (अर्थात दक्षिणी ध्रुव) पर आज तक ना तो अमेरिका, ना रसिया, ना ब्रिटेन और ना चीन पहुंच पाया है।
और यही वो बात है जो हिंदुस्तान में रहने वाले अंग्रेज परस्तो को पच नहीं रही है। आज न्यूयार्क टाइम्स ने तो अपने पाप धो लिए पर प्रकाश राज जैसे अनगिनत बेशर्मों का क्या करें।

खैर मित्रों कंद्रयान-३ को चन्द्रमा की धरती पर उतरते सम्पूर्ण विश्व में जितने लोगों ने ISRO के यू ट्यूब पर देखा वो अपने आप में विश्व कीर्तिमान बना दिया। इतने लोगों ने आज तक एक साथ किसी कार्यक्रम को नहीं देखा था।

अब हम भारतवासी अपने “गगनयान” कि सफलता के लिए कमर कस कर तैयार हो चुके हैँ, उसे भी चंद्रयान-३ की भांति सफल बनाएंगे।

जय माँ भारती
जय ISRO
हर हर महादेव।

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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