भाजपा की महाराष्ट्र में असम दोहराने की तैयारी

26 मई 2022 को नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में आठ साल पुरे कर रहे हैं, केंद्र में सत्ता के साथ -साथ देश की आधे से अधिक आबादी में भाजपा और सहयोगियों की सरकारें राज्यों में चल रही हैं. कहा जा सकता हैं कि ये भाजपा का स्वर्णिम काल चल रहा हैं. भाजपा के अन्दर जो सत्ता के लिए ललक दिखाई देती हैं उसके सामने विपक्ष कहीं नहीं ठहरता हैं. एक चुनाव होने के बाद वो दूसरे चुनाव के लिए तैयार खड़े दिखाई देती हैं.

भाजपा महाराष्ट्र में असम की कहानी दोहराने की तैयारी में हैं. ध्यान रहे मार्च में असम में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव हुए थे और दोनों सीटें भाजपा ने जीत ली थी. संख्याबल होने बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसे लेकर कांग्रेस और उसकी सहयोगी एआईयूडीएफ के बीच खूब तकरार भी हुई,उस चुनाव में विपक्षी गठबंधन के नौ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. ऐसा ही खेल इसबार महाराष्ट्र में भी हो सकता हैं. महाराष्ट्र में आने वाले दिनों में राज्यसभा की छह सीटें रिक्त होने जा रही हैं, भारतीय जनता पार्टी का तीन सीटों पर कब्ज़ा हैं, भाजपा अपनी तीनों सीटों को बचाने की जुगत में लग गयी हैं.

राज्यसभा में सदन के नेता और केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, विनय सहस्त्रबुद्धे और विकास महात्मे रिटायर हो रहे हैं. इस बार के गणित के अनुसार भाजपा को दो सीटें आसानी से मिल रही हैं, विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 113 की संख्या हैं. महाराष्ट्र में 288 सदस्यों वाली विधानसभा में एक सीट जीतने के लिए इसबार 41 वोट की जरुरत हैं, इस लिहाज से दो सीट जीतने के बाद भाजपा के पास 31 वोट बचते हैं. उसे तीसरी सीट जीतने के लिए 10 अतिरिक्त वोटों की जरुरत पड़ेगी. अन्य के पास पांच सीटें हैं जिसमे दो सीटें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के पास हैं और एक सीट सीपीएम के पास हैं, मनसे और स्वाभिमान पक्ष के पास दो सीटें हैं जो भाजपा के साथ जा सकती हैं, फिर भी भाजपा को आठ वोटों की व्यवस्था करनी पड़ेगी.

दूसरी तरफ़ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार के पास 169 विधायक हैं. इस लिहाज से चार सीट जीतने के लिए उनके पास पर्याप्त संख्या हैं . लेकिन गठबंधन की तीन बड़ी पार्टियों के अलावा 16 विधायक छोटी पार्टियों के हैं या निर्दलीय हैं. भाजपा उनमे सेंध लगाने की तैयारी कर रही हैं. कांग्रेस के कुछ विधायकों से क्रॉस वोटिंग कराने की योजना हैं. सरकार के नेता, मंत्री इससे आशंकित हैं. गठबंधन की तीनों पार्टियों को एक-एक सीट मिलनी हैं. चौथी सीट शिवसेना लड़ती हैं तो उसको प्रबंधन करना होगा और अगर तीनों पार्टियां मिलकर किसी को निर्दलीय उतारती हैं तो सबको मिलकर प्रबंधन करना होगा.

भाजपा की राजनीति के सामने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को बहुत चौकन्ना रहने होगा, ये देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा संख्याबल ना होने के बाद भी तीसरी सीट जीत पाती हैं या नहीं, अगर भाजपा अपने मिशन में सफल हो गई तो ये महाविकास अघाड़ी गठबंधन के लिए भी किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा. भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए लगता हैं वो तीनों सीट बचाने में कामयाब हो जाएगी, बाकि सभी चीजें चुनाव परिणाम के बाद साफ़ हो जायेगा.

-अभिषेक कुमार (Political -Politics & Election Analyst / Twitter @abhishekkumrr)

Abhishek Kumar: Politics -Political & Election Analyst
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