क्या विधानसभा चुनावों में चुनौती दे पाएगा विपक्ष या योगी आदित्यनाथ के चुनावी चक्रव्यूह में फंसा विपक्ष?

उत्तर प्रदेश की वर्ष 2017 में निर्वाचित वर्तमान राज्य विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग चाहेगा राज्ये में किसी भी प्रकार के संवैधानिक संकट उभरने से पहले चुनाव तय समय पर संपन्न करा लिए जाये। इसलिए आशा है कि राज्य में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया फरवरी या मार्च में हर हाल में शुरू होकर अपने तय समय से पहले पूरी हो जायेगी। जिस प्रकार पुरे प्रदेश में कोरोना के टीकाकरण अभियान चल रहा है यदि कोरोना महामारी के संकट से प्रदेश बचा रहा तो ये तय है आगामी वर्ष 2022 के शुरुआत में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज जायेगा।

राज्य के सभी राजनीतिक दल और क्षेत्रीय क्षत्रप दल आगामी चुनाव के लिए  अपनी-अपनी चुनावी बिसात बिछाने में तेजी से जुट गये हैं, कुछ समय पहले संपन्न हुए पंचायत चुनाव व जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में इसकी बानगी देखने को मिली है। हालाँकि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में योगी आदित्यनाथ के रचे चक्रव्यूह को भेदने में सभी विपक्षी दल पूरी तरह से नाकाम रहे है, विधानसभा चुनाव का सेमीफ़ाइनल माने जा रहे इस चुनाव में योगी के नेतृत्व में भाजपा ने अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करके 75 में 67 सीटों पर विजय हासिल करके एकजुट होने के प्रयास में लगे विपक्ष को उधेड़ दिया है, फ़िलहाल राज्य में विपक्ष ने पास योगी आदित्यनाथ की चुनावी रणनीति की कोई काट दिखाई नहीं दे रही है।

हमेशा से माना जाता रहा है जिला पंचायत चुनावों में जीत हासिल करने के लिए सिस्टम का जमकर दुरूपयोग होता हैं, लेकिन इससे अछूता कोई भी राजनीतिक दल नहीं रहा हैं अपने शासन में लोकतांत्रिक मूल्यों दरकिनार कर सभी ने हमेशा चुनावी जीत को महत्ता दी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी पार्टी को जिला पंचायत चुनाव से बाहर रखा, उन्होंने कहा था कि सत्ता आने पर खुद ही सभी जिला पंचायत अध्यक्ष उनकी पार्टी में शामिल हो जायेगे। उत्तर प्रदेश की सत्ता के सेमीफाइनल माने जा रहे जिला पंचायत चुनाव में मुख़्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी व्यूह रचना से भाजपा को भारी बहुमत से जीत दिला कर अपने सभी विरोधियों को तगड़ा झटका देते हुए, अपना स्पष्ट संदेश राज्य की आम जनता व राजनेताओं को दे दिया है कि वह केवल मठ के संन्यासी या आम राजनेता नहीं हैं, बल्कि उत्तर प्रदेश की आम-जनमानस पर जबरदस्त पकड़ रखने वाले एक लोकप्रिय जननेता और उत्तर प्रदेश की राजनीति के चाणक्य हैं।

राज्य में एक मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ की जनता के बीच लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी हैं। हाल ही में एक निजी चैनल के सर्वे में योगी आदित्यनाथ सबसे ऊपर हैं उनका कोई भी प्रतिद्वंदी उनके आस पास भी नहीं हैं, नरेंद्र मोदी व अमित शाह के बाद योगी को लोग हिन्दुत्व का सबसे बड़ा प्रतीक मानते हैं। प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर जीत के लिए सत्ता पक्ष भाजपा के साथ-साथ प्रदेश के सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियां युद्ध स्तर कर रहे हैं, भाजपा कहीं ना कहीं योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में बढ़त बनाए हुए है। देखा जाये तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के लंबे समय से चल रहे आंदोलन व कोरोना की दूसरी लहर के समय जब जनता को सबसे ज्यादा सहारे की जरुरत थी तब विपक्ष के सभी नेता अपने घर पर रहकर केवल सोशल मीडिया तक सीमित थे। योगी स्वयं कोरोना से संक्रमित हो गए थे, आइसोलेशन में रहते हुए अधिकारिओ को दिशा निर्देश देते रहे और ठीक होने के बाद उन्होंने प्रदेश के हर मंडल का दौरा किया, और जनता में उपजी नाराजगी को दूर करने में सफल हुए।

भारत में हमेशा से ही संत समाज का सम्मान और अनुकरण आदिकाल से होता आ रहा हैं, हिंदुत्व की प्रयोगशाला कहे जाने वाले गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वर होने के कारण योगी आदित्यनाथ हिन्दुत्व के सबसे बड़े ताकतवर प्रतीक ‘हिंदू हृदय सम्राट’ वाली अपनी जबरदस्त छवि से बहुसंख्यक जनता के दिलोदिमाग पर अमिट छाप बनाए हुए हैं। वह एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन पर व्यक्तिगत रूप से कोई भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है,योगी आदित्यनाथ जनता के बीच एक बेहद ईमानदार सशक्त राजनेता, मठ के संन्यासी से राजनेता और  बेहद लोकप्रिय जननेता के रूप में स्थापित हो चुकें हैं।

वैसे देखा जाये तो भाजपा के पास एक से एक दिग्गज राजनेता मौजूद है,लेकिन उनमें कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो कि पूरे राज्य में योगी आदित्यनाथ के मुकाबले आम जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हो, आज के हालात में भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के विकल्प के तौर पर कोई राजनेता मौजूद नहीं है, इसलिए भाजपा ने हिन्दुत्ववादी व ईमानदार छवि के चलते योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री चेहरा बनाया हैं, साथ ही भाजपा को राज्य में हर हाल में अपने स्टार प्रचारक मोदी, शाह व योगी के बलबूते ही चुनावी रण में जाना होगा, तब ही भाजपा की विजय पताका लहरायेंगी। वैसे भी राज्य में योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व को सत्ता पक्ष व विपक्ष का कोई  नेता कोई बड़ी चुनौती नहीं दे पा रहा है।

राज्य में विपक्ष बिखरा हुआ है इसका उदाहरण जिला पंचायत के चुनावों में जनता ने देख लिया है, फ़िलहाल विपक्षी दलों के पास अखिलेश यादव, मायावती व प्रियंका गांधी के अलावा कोई ऐसा लोकप्रिय चेहरा नहीं है, लेकिन इन सभी की कार्यशैली व लक्ष्य केवल मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लामबंद करने की रहती है, इस वजह से दूसरा मतदाता भाजपा को अपना विकल्प के रूप में देखता हैं, इससे भाजपा को विशेष सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, और चुनावी लक्ष्य साधने में कामयाब हो जाती है।उत्तर प्रदेश की जनता आगामी चुनाव में किसके सिर पर जीत का सेहरा बांधने वाली हैं, यह तो आने वाला समय बतायेगा।इसमें कोई दोराय नहीं है कि वर्तमान परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश में एक कुशल चुनावी रणनीतिकार और लोकप्रिय जननेता के रूप में मुख्यमँत्री योगी आदित्यनाथ की काट ढूंढना विपक्ष के लिए असंभव है, फ़िलहाल योगी आदित्यनाथ आगामी चुनावी रण भूमि के एक अजेय योद्धा बने हुए हैं, उनको चुनौती देना विपक्षी दलों के लिए बहुत कठिन हैं।

लेख – अभिषेक कुमार
(सभी विचार और आँकलन लेखक के व्यक्तिगत मत पर आधारित है)

Abhishek Kumar: Politics -Political & Election Analyst
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