चिकित्सा क्षेत्र में पिछड़ी जाति आरक्षण और तथाकथित पिछड़ी जाति के नेता बैकफुट पर

केंद्र सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में ऐतिहासिक फैसला लिया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के जरिए जानकारी दी कि पिछड़ी जाति ओबीसी को 27% आर्थिक रूप से कमजोर कैंडिडेट की भी को 10% आरक्षण दिया जाएगा यह मौजूदा सत्र 2021-22 से लागू होगा। गौरतलब है कि मेडिकल के विभिन्न कोर्सेज में लगभग 5500 विद्यार्थी को इस आरक्षण का लाभ ऑल इंडिया कोटा स्कीम के तहत मिलेगा।

ऑल इंडिया कोटा स्कीम- AIQ स्कीम के तहत साल 2007 से एससी एसटी को आरक्षण दिया जा रहा है। यह योजना 1986 में सुप्रीम कोर्ट के दखलअंदाजी के बाद शुरू हुई थी इसके पहले और बाद में एससी एसटी को छोड़कर किसी को भी चिकित्सा के क्षेत्र में आरक्षण नहीं दिया जा रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की इस घोषणा के बाद ओबीसी और EVS को भी ऑल इंडिया कोटा स्कीम के तहत आरक्षण का लाभ मिलेगा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीट 2021 परीक्षा तिथि को घोषणा करते हुए बताया था कि इस बार नीट 2021 परीक्षा ओबीसी वर्ग को बिना आरक्षण दिए ही होगा। इस बयान के बाद बहुत से राजनेता छात्र नेता की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई थी। कुछ छात्रनेता राजनेता समेत पूरा विपक्ष इस पर मंथन कर रहे थे कि कैसे इस आंदोलन को व्यापक रूप से प्रत्येक राज्य में प्रभावशाली तरीके से अंजाम देकर मौजूदा सरकार के गले का हड्डी बनाया जाए और मौजूदा बीजेपी सरकार एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को ओबीसी विरोधी बताकर उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले बैकफुट पर धकेला जाए।

बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक- लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आरक्षण का घोषणा करते हुए इनके हाथ से दंगा समेत बेवजह आंदोलन का मुद्दा छीन कर सभी तथाकथित पिछड़ी जाति के राजनीति करने वाले नेता को यूपी चुनाव से पहले बैकफुट पर धकेल दिया।

@TheCitizenRt

PAPPU KUMAR DAS: Author , Activist
Disqus Comments Loading...