टीवी पत्रकार अतुल अग्रवाल पर इतना बवाल क्यों मचा? जानिए मीडिया की दुनिया के परदे के पीछे का घिनौना सच?

टीवी पत्रकार अतुल अग्रवाल ने सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर अपने साथ हुई लूट की घटना को सिलेवार तरीके से एक पोस्ट के माध्यम से अपने साथियों को शेयर किया। बकौल अतुल अग्रवाल ये लूट उत्तरप्रदेश के दिल्ली से सटे नोयडा में हुई थी। बस, सोशल मीडिया की उस पोस्ट पर पूरे देश में बवाल मच गया। मजेदार बात देखिए, हिन्दी में लिखी एक हिन्दी पत्रकार के साथ हुई घटना पर तथाकथित अंग्रेजी मीडिया ने बहुत इंटरेस्ट दिखाया। देश भर के अंग्रेजी अखबारों, न्यूज वेबसाइट्स ने इस घटना को खूब छापा। सारी कहानी खूब वायरल हुई। सोशल मीडिया पर लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तरप्रदेश प्रशासन को कानून-व्यवस्था को लेकर खूब सवाल खड़े किए। अतुल अग्रवाल की उस पोस्ट से ऐसा लगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में देश का सबसे बड़ा सूबा यूपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के शासन में देश में आम आदमी क्या अब तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ प्रेस से जुड़े लोग भी सुरक्षित नहीं है। अच्छा हुआ कि विपक्षी दलों ने प्रेस कान्फ्रेंस नहीं की और स्वरा भास्कर, अनुराग कश्यप, श्रीमती आमिर खान उर्फ किरण राव ने ‘अब भारत में डर लगता है’ जैसे ट्विट करने नहीं शुरू किए, वरना सोचिए अब उनके मुंह वो किसे दिखाते।

अतुल अग्रवाल और मैने साथ में टीवी करियर शुरु किया था और पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से हम दोस्त है। अतुल मुझसे अपनी हर बार शेयर करता है, इसीलिए मुझे ये देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके साथ इस घटना पर देश के मीडिया के एक धड़े ने इतना रियेक्ट क्यों किया? ऐसा नहीं कि अतुल अग्रवाल पहली बार विवादों में आया। लेकिन मीडिया ने कभी उसके किसी विवाद को इतनी तरजीह नहीं दी। यदि हिन्दी का पत्रकार अतुल अग्रवाल को लेकर अंग्रेजी मीडिया इतना सतर्क था, तो उसे क्यों नहीं अपने यहां संपादक जैसा कोई पद दे दिया? इतने समय से किसी बड़े मीडिया संस्थान या तथाकथित मीडिया धड़ा कभी अतुल अग्रवाल के बुरे समय में उसके साथ खड़ा नहीं दिखा, फिर ऐसा क्या हुआ कि लूट की इस घटना की सोशल मीडिया पोस्ट पर ये सारे रियेक्ट करने लगे? ये तथाकथित मीडिया धड़ा वैसे तो कभी किसी अपने गुट के पत्रकार के अलावा किसी के साथ खड़ा नहीं दिखा, फिर अतुल अग्रवाल के साथ हुई घटना को लेकर इतनी हेडलाइन्स क्यों बनाई गई?

ये पूरा मामला दरअसल योगी-मोदी विरोधी मीडिया की कारस्तानी है। लाख कोशिशों के बावजूद जब विदेश टुकड़ों पर पलने वाले इन अय्याश पत्रकारों और उनके संस्थानों के आकाओं को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदारदास मोदी की सरकार और उनके कामों के खिलाफ कुछ नहीं मिल रहा, तो उन्होंने इस घटना को भुनाने की कोशिश की। याद किजिए कैसे गंगा मैय्या में शवों को मिलने पर इस मीडिया धड़े ने अपने विदेशी मीडिया साथियों के साथ पूरी दुनिया में बीजेपी के नेतृत्व की सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार की कोशिश की थी, लेकिन वो फेल हुई। इससे पहले ये कोरोना काल में पूरे वक्त सरकार की कोशिशों को फेल करने, भारत की जनता को गुमराह करने और विदेशों में भारत की छवि को धूमिल करने में लगे रहे। ऑक्सीजन की कमी बताकर इस मीडिया धड़े की नौटंकी तो सबको याद ही होगी। जब कहीं दाल नहीं गली, तो इन्हें हिन्दी का एक वेब चैनल चलाने वाला हिन्दी पत्रकार अतुल अग्रवाल की लूट की घटना की पोस्ट से सहानुभूति हो गई।

अतुल ने खुद मुझसे कई बार कहा था कि देश के राष्ट्रीय न्यूज चैनलों के न्यूज रूम्स में राज करने वाला ये धड़ा उसे कहीं काम करने का मौका नहीं दे रहा, इसीलिए उसने ‘हिन्दी खबर’ नाम से अपना वेब चैनल शुरू किया। क्योंकि उन लोगों को लगता था कि अतुल ‘अग्रवाल’ बनिया समाज से आता है, और बनिया समाज को बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है, इसीलिए अतुल अग्रवाल की वैचारिक निष्ठा भी कहीं ना कहीं बीजेपी के प्रति होगी। इस बात में भले सच्चाई ना हो, लेकिन अतुल अग्रवाल को लंबे समय से बड़े संस्थानों में मौके नहीं दिए गए। वही सारे तथाकथित मूर्धन्य पत्रकार अब अतुल अग्रवाल की एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर देश और उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करने लगे। साफ है, इन लोगों का मकसद अतुल अग्रवाल की मदद करना नहीं, उसकी पोस्ट के बहाने मोदी-योगी सरकार पर निशाना साधना था, वो भी विदेशों में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर।

जरा सोचिए कि आखिर लूट की घटना की एक पोस्ट कैसे वायरल हुई? क्या विदेशों से संचालित हो रहे इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उठ रहे सवाल कहीं सच तो नही? क्या वाकई ये तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जानबूझकर मोदी-योगी विरोधी पोस्ट्स को वायरल करते है, या होने देते है? इन विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों की कार्यप्रणाली पर यूं ही सवाल नहीं उठ रहे। आखिर कैसे ऐसी पोस्ट ज्यादा से ज्यादा यूजर्स को दिखती है, जो मोदी-योगी या बीजेपी विरोधी होती है? कितने लोग केरल में हिन्दुओं पर हो रहे कत्लेआम पर लिख रहे है, कितनों ने पश्चिम बंगाल में चुनावों के बाद हिंसा पर लिखा, कितनों ने लक्ष्यद्वीप में मुसलमानों के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ हो रहे व्यवहार की सच्चाई लिखी, कितनों ने ‘लव-जेहाद’ पर लिखा, लेकिन क्या आपने ऐसी पोस्ट देखीं? नहीं ना। यहीं है सोशल मीडिया कंपनियों की कारास्तानी। ये हमारे देश में ऐसी कोई सरकार नहीं चाहती, जो उनके सामने बिकने को तैयार ना हो। ऐसी सरकारें, जिनके लिए देशहित सर्वोपरि है, सोशल मीडिया कंपनियों के निशाने पर होती है।

टीवी पत्रकार अतुल अग्रवाल की लूट की पोस्ट की सच्चाई अब यूपी पुलिस ने सामने ला दी है। पुलिस ने पूरे मामले का गंभीरतापूर्वक संज्ञान लिया और पूरे मामले की जांच की, तो पाया कि अतुल अग्रवाल ने निजी कारणों के चलते लूट की घटना की झूठी कहानी रची थी। वैसे अतुल अग्रवाल ने खुद ना तो यूपी पुलिस को लिखित शिकायत की थी, ना ही इस मामले में आगे कार्रवाई की गुजारिश की थी। लेकिन मोदी-योगी विरोधी मीडिया धड़े की घिनौनी साजिश को सामने लाने के लिए यूपी पुलिस ने खुद ही शिकायत दर्ज की और जांच कर सच्चाई सबके सामने ला दी। अब देखना ये है कि मोदी-योगी और देश विरोधी, विदेशी आकाओं के टुकड़ों पर पलने वाला ये मीडिया धड़ा इस सच्चाई पर कैसे रियेक्ट करता है?

(लेखक पिछले डेढ़ दशक में देश के कई प्रमुख न्यूज चैनल्स एवं अखबारों में काम कर चुके है।)

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