वैलेंटाइन वीक में युवराज के लिए लड़की ढूंढ़ते कांगी: बेवकूफी इज मस्ट

“कभी आलू से सोना, कभी राफेल पे माफ़ी तो कभी संसद में आँख मारता ये कलमुआ छिछोरा। हज़ार बार कहा है कि मत रहा कर इन लफंगों के साथ लेकिन नहीं मानता ये। ये लड़का कुबुद्धि है तो का घर से निकाल दें? हर तीसरे दिन मार खाता है मुझसे लेकिन मानता नहीं। हज़ार बार कहा है कि उस सूजे मुँह वाला से दूर रहा कर लेकिन नहीं। उस दिग्गी टंच माल राजा से बचाया तो अब ये भजप्पा वाला सुरजेवाला गले पड़ गया।”

कहते कहते “सोनी या” “आंतो नहीं हो माई नो” काकी रोने लगी। अपने 48 साल के बौद्धिक बैकवर्ड लड़के को वो रोज गुजरात के 2 मुस्टंडो से मार खाता देखती थी तो आँखों से काजल आंसुओं के साथ फैल कर मुँह काला कर गया था। वैसे ऐसा मुँह उनका कई बार काला हुआ और अपने यूनियन कार्बाइड वाले एंडरसन अंकल को सी ऑफ करते वक्त तो पहचानी नहीं गयी थी लेकिन ये वाला दुःख ज्यादा बड़ा था। लड़का सही नहीं हो रहा था।

स्कूल में दाखिले के समय अलग से बौद्धिक पिछड़ा वर्ग यानि इंटेल्लेक्टुअली बैकवर्ड केटेगरी बनवाई गयी जिसके अकेले उम्मीदवार सुकुमार थे। हम काफी समय से काकी के आंसू पोछने की एक्टिंग कर रहे थे और ऐसा करते करते सुबह के 11 बज चुके थे। घर के बाहर युवराज की मंगला आरती के लिए भीड़ जमा थी। उस भीड़ को डरने के लिए बाउंसर्स की जगह सज्जन कुमार और जगदीश टायर-लर के साथ कलंकनाथ टायर और माचिस लिए खड़े थे।

युवराज बाहर आये, चाय की बुराई कमेटी अध्यक्ष मनी मेकर अ इयर, कॉफ़ी के साथ खड़े थे और ऑफिसियल अनाउंसमेंट के लिए छीछी थूरुर माइक पकडे थे। युवराज ने माइक संभाला, “प्यारे भाइयों और बहनों। आप सबकी दिली तमन्ना को पूरा करने हम शादी करने जा रहे हैं। आई एम हियर टू अनाउंस दैट आई एम इन लव विथ स्तूपिडिटी। हम बेवकूफी से भी शादी करेंगे। मम्मी ने आज सुबह उठाया, मैं सुबह उठा भी, उन्ने कहा कि तू बेवकूफी के चक्कर से बाहर निकल। तो आज से आप सबकी भावी भाभी होगी, बेवकूफी। जब मिले जहाँ मिले, दरबार में हाज़िर करना।”

आंतो आंटी सर पकड़ कर बैठी हैं और बेवकूफी के इस सदाबहार आशिक़ से शायद ऐसे ही परेशां रहेंगी ताउम्र। आपको इस बौद्धिक पिछड़े के लिए कहीं बेवकूफी मिले, तो इसको इत्तला करें, वैसे उसके दरबारी पत्तलकार और चाटुकार इसे सदी की महानतम लव स्टोरी बता वैलेंटाइन वीक का मजा ले रहे हैं।

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