लव जिहाद अध्यादेश और कॉंग्रेस का विरोध

वैसे तो संघ और विहिप के द्वारा ये मुद्दा अनेक वर्षों से उठाया जा रहा है लेकिन अभी हाल ही के दिनों में ये देश का एक चर्चित मुद्दा बन गया, जब मध्यप्रदेश ने इस पर कानून बनाकर इसे लागू कर दिया तथा उत्तरप्रदेश, असम, कर्नाटक, हरियाणा (सभी भाजपा शासित राज्य) इस पर कानून बनाने की प्रक्रिया में है।

इस मुद्दे पर कानून तो स्वतंत्रता के पश्चात ही बन जाना चाहिए था लेकिन हमारे देश के तथाकथित सेक्युलर नेताओं ने कभी भी इस गम्भीर मुद्दे पर विचार ही नही किया क्योंकि उन्हें डर था अपने वोटों का, अपने राजनीतिक भविष्य का और अपनी सेक्युलरता का। इन सेक्युलर नेताओं की इस उदासीनता का परिणाम ये हुआ कि हज़ारों लाखों हिन्दू बहिन बेटियों का जीवन या तो समाप्त हो गया या फिर उनका जीवन अब जीने लायक नही रहा।

वैसे तो आप सभी “लव जिहाद” का अर्थ जानते है फिर भी संक्षेप में जब कोई मुस्लिम युवक/युवती अपनी असली पहचान छुपाकर किसी हिन्दू युवक/युवती को प्रेमजाल में फंसाकर, उनसे विवाह करके उनका शोषण करता है और ये शोषण इस हद तक बढ़ जाता है कि आखिर में हिन्दू युवक/युवती को अपनी जान से हाथ धोना पड़े तो ये जिहादी मानसिकता ही “लव जिहाद” कहलाती है।

अब चूंकि इस पर कानून बन चुका है तो इस कानून के अंतर्गत कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहचान नही छुपा सकता और यदि कोई ऐसा करता है तो उसके लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है, ताकि हिन्दू बहिन बेटियों को भी न्याय मिल सके और वो किसी भी भ्रमजाल में ना फँस सके।

लेकिन शर्म की बात है कि अभी भी कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे है जो इन दलों की घटिया मानसिकता को दर्शाता है। इन दलों को हिन्दू बहिन बेटियों की कोई चिंता नही है, उन्हें चिंता है सिर्फ एक विशेष समुदाय की नाराजगी का और अपने मुस्लिम वोटबैंक का।

Disqus Comments Loading...