आओ तेजस्विनी, प्रेम की बात करें

विगत कई वर्षों से अपना नाम और पहचान छुपाकर हिन्दू लड़कियों से मित्रता करने, प्रेम करने फिर विवाह करने की बात कहकर शारीरिक शोषण करके धर्म परिवर्तन को बाध्य करने की घटनाओं की बाढ़ सी आ गयी है। इन घटनाओं में धर्म परिवर्तन न करने की स्थिति में लड़कियों को शारीरिक यातना देना या सीधा क़त्ल कर देना आम बात है।

उतर प्रदेश के कानपुर जनपद में तो रणनीतिक रूप से इस तरह की गतिविधि में सक्रिय पूरा गिरोह ही सामने आया है। हरियाणा में दिन दहाड़े हुयी निकिता तोमर की हत्या के पीछे भी यही कारण है। सूटकेस में मिली कई स्त्री लाशों की यही कहानी है।

इसे लव जिहाद कहा जाये या कुछ और किन्तु सच यही है कि लड़कियों के धर्म परिवर्तन के लिए प्रेम का ढोंग किया जा रहा है और उसमें असफलता मिलने पर उनकी हत्या।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने, उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश को स्वीकृति दे दी है। मध्य प्रदेश, हरियाणा और असम जैसे राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। समाज के एक बड़े वर्ग के लिए ये संतोषजनक समाचार है।

वामपंथी या तथाकथित बुद्धिजीवी, छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी और छद्म उदारवादी विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा विवाह हेतु धर्मान्तरण अथवा लालच या धोखा देकर धर्मान्तरण कराए जाने के विरुद्ध लाये जा रहे अध्यादेशों और प्रस्तावित कानूनों का भरपूर विरोध कर रहे हैं।

विरोध के इनके अपने तर्क हैं जैसे – ये दो परिपक्व/ वयस्क लोगों के प्रेम के अधिकार का हनन है, ये निजता के विरुद्ध है, ये संविधान की मूल धारा के विपरीत है, कुछ लोग आर्टिकल 25 की बात कर रहे हैं, कुछ लोग लव जिहाद को मन गढ़ंत और सच्चाई से परे बता रहे हैं।

यहाँ दो प्रश्न महत्वपूर्ण हैं, पहला-  यदि दो अलग अलग धार्मिक मान्यता वाले स्त्री –पुरुष यदि विवाह करना चाहते हैं तो उनके लिए “स्पेशल मैरिज एक्ट’ है जिसके अंतर्गत विवाह करने में उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और नागरिक अधिकार दोनों ही सुरक्षित रहते हैं फिर मुस्लिम युवक से विवाह करने वाली गैर मुस्लिम युवतियों को इस्लाम कबूल करके निकाह करने के लिए क्यों बाध्य किया जाता है?

इसमें प्रेम कहाँ प्रधान हुआ, इसमें तो इस्लाम ही प्रधान हुआ फिर इसे इस्लाम को आगे बढ़ाने का एक माध्यम क्यों न माना जाए?

दूसरा – जब किसी हिन्दू युवक को किसी मुस्लिम युवती से प्रेम होता है तब प्रेम के सारे राग बंद हो जाते हैं और युवक को सड़क पर जिबह कर दिया जाता है। अंकित सक्सेना और इसकी जैसी अन्य क्रूर हत्याएं भुलाई नहीं जा सकतीं।

यानि युवती हिन्दू है तो अलग मापदंड और युवक हिन्दू है तो अलग मापदंड।

पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद, दैनिक जीवन के आवश्यक काम, नौकरी, व्यवसाय अलग अलग कारणों से हिन्दू युवक युवतियाँ अलग –अलग धार्मिक मान्यताओं के युवक युवतियों के संपर्क में आते हैं।

ऐसे में मित्रता या फिर प्रेम हो जाना स्वाभाविक है, इसलिए आज प्रेम की बात करना भी आवश्यक है।

सुनो तेजस्विनी, प्रेम तो मन की शाश्वत भावना है। प्रेम कभी भी, कहीं भी, किसी को भी, किसी से भी, किसी भी आयु में, किसी भी परिस्थिति में हो सकता है। ये कोई बड़ी या महत्वपूर्ण बात नहीं है।

महत्वपूर्ण ये है कि कैसे हम प्रेम में पड़कर भी अपने अन्तर को नियंत्रित रखते हुए अपनी शारीरिक, मानसिक और धार्मिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए और  बिना अपने और अपने परिवार के स्वाभिमान को चोट पंहुचाए उसका निर्वहन करते हैं।

यदि “वो” तुम्हारी आस्थाएं बदलना चाहता है तो सचेत हो जाओ। हो सकता है तुम्हें वास्तव में प्रेम हो गया हो किन्तु वो केवल प्रेम का ढोंग कर रहा है।

जिसे तुमसे प्रेम होगा वो तुम्हें या तुम्हारी किसी भी बात को बदलना नहीं चाहेगा, धर्म तो बहुत दूर की बात है।

यदि उसे तुमसे इतना ही प्यार है, तो वो तुम्हारा धर्म क्यों नहीं अपनाता?

ध्यान रहे, प्रेम मन की स्थिति है, एक भाव है और विवाह एक सामाजिक भौतिक सच्चाई।

उससे विवाह करना ही है तो संविधान सम्मत, “स्पेशल मैरिज एक्ट” के अंतर्गत करो, अपने अधिकार सुरक्षित रखो।

अपना प्रेम छुपाओ मत। अपने भाई –बहनों, मित्रों, सहकर्मियों, माता –पिता या जो भी तुम्हारे निकट हो उसे इस विषय में बताओ। परामर्श लो। सहायता लो।

जीवन अनमोल है। तुम अनमोल हो। अपना ध्यान रखो।

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