ये रामानुज, लक्ष्मण की नगरी है

लखनऊ विकास प्राधिकरण, शीघ्र ही नगर के हुसैनाबाद क्षेत्र में लगभग पांच हज़ार वर्ग मीटर भूमि पर एक संग्रहालय का निर्माण करने जा रहा है। इसके निर्माण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की अनापत्ति प्राप्त हो गयी है। तीन तलों वाले इस संग्रहालय में हुसैनाबाद की कहानी, लखनऊ का अतीत, नवाबों की कहानी, कर्बला की कहानी, हुसैनाबाद टाइम लाइन जैसे विषय होंगे।

बन कर तैयार हो गया तो ये लखनऊ की “सिटी ऑफ़ नवाब्स एंड कबाब्स” वाली झूठी और गढ़ी गयी पहचान को पुख्ता करने का काम ही करेगा। आज समय इस सत्य को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाने का है कि लखनऊ नवाबों और कबाबों की कुछ सौ साल पुरानी आलसी और अय्याश बस्ती नहीं है वरन भारतीय संस्कृति के आदि पुरुष श्री राम से जुड़ी पवित्र नगरी है।

लखनऊ की स्थापना रामानुज श्री लक्ष्मण ने की थी और उन्ही के नाम पर इसका मूल नाम लक्ष्मणपुरी है. स्वयं हनुमान जी लखनऊ के  नगर देवता हैं. नगर में होने वाले बड़े मंगल महोत्सव इसके प्रमाण हैं।

नगर के पूर्व सांसद लालजी टंडन ने अपनी शोध आधारित पुस्तक “अनकहा लखनऊ” में बहुत से तथ्य सामने रखे हैं। लखनऊ के मूल निवासी भली भांति जानते हैं कि लखनऊ में प्रसिद्ध लक्ष्मण टीला हुआ करता था जिस पर न जाने कब मस्जिद बन गयी, पहले उसे लक्ष्मण टीला मस्जिद ही कहा जाता था। धीरे धीरे वो टीले वाली मस्जिद हो गयी और श्री लक्ष्मण का नाम गायब हो गया। ये पिछले कुछ दशकों में हुआ परिवर्तन है जिसकी गवाही नगर के बुजुर्ग दे सकते हैं। लक्ष्मणपुरी को नवाबों की पहचान देने के षड्यंत्र को इस बात से अच्छी तरह समझा जा सकता है कि “अनकहा लखनऊ” के प्रकाशन पर उन मुस्लिमों ने भी स्पष्ट रूप से नाराज़गी ज़ाहिर की थी जिनके बीच लाल जी टंडन लोकप्रिय रहे थे।

लखनऊ के निवासियों को एक बार यह अनुभूति हुयी कि दबे पांव ही सही, अच्छेदिन आ रहे हैं जब “अनकहा लखनऊ” के प्रकाशन के उपरान्त, लखनऊ के चप्पे चप्पे को नवाबों की धरोहर साबित करने वाले इतिहासविद भी स्वीकार करने लगे कि नगर का एक हिस्सा छोटी अयोध्या कहा जाता था, जहाँ हर घर में मंदिर है और ये नवाबों के समय से बहुत पहले के हैं। ऐसा लगा कि अब नगर को अपनी वास्तविक पहचान वापस मिलेगी किन्तु ये संग्रहालय तो नगर की छद्म छवि ही स्थापित करेगा।

संग्रहालय ज्ञान और आदर्श स्मृतियों संचयन के लिए बनाए जाते हैं. लखनऊ की कहानी का कर्बला की कहानी से क्या लेना देना, जो यहाँ बनने वाले संग्रहालय में उसे दिखाया जाये? नवाबों के जीवन में क्या सीख है जो समाज को लेनी चाहिए?

यदि संग्रहालय बनाना ही है तो उसमें नवाबों से पूर्व के लखनऊ, श्री लक्ष्मण द्वारा बसाये गए लखनऊ, श्री हनुमान द्वारा रक्षित लखनऊ और छोटी अयोध्या कहे जाने वाले लखनऊ के हिस्से को पूरा स्थान दिया जाये अन्यथा संग्रहालय सामाजिक और ऐतिहासिक दोनोँ ही दृष्टियों से राजकोषीय धन का दुरुपयोग माना जाना चाहिए।

लखनऊ के सांसद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, लखनऊ के महापौर सभी को मिलकर इस संग्रहालय की रूपरेखा की समीक्षा करनी चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिये कि संग्रहालय लक्ष्मणपुरी का खोया हुआ गौरव स्थापित करने का काम करे।  

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