नींद बहुत गहरी है, कृपया “आंख खोलो”

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद मीडिया का एक धड़ा कयास की स्थिति में चला गया और विकास दुबे के एनकाउंटर में कमियां ढूंढने लगा कि विकास दुबे कैसे कानपुर से दिल्ली, दिल्ली से मध्य प्रदेश चला जाता है और मध्यप्रदेश में मंदिर के सिक्योरिटी गार्ड विकास दुबे को पहचानते हैं फिर उसे मध्य प्रदेश पुलिस को पकड़वा दिया जाता है, मध्य प्रदेश पुलिस विकास दुबे को यूपी एसटीएफ को सौंप देती है यूपी एसटीएफ विकास दुबे को मध्य प्रदेश से कानपुर ला रही होती है. जिसके1200 किलोमीटर में कुछ नहीं होता है.

जैसे ही विकास दुबे कानपुर में घुसता है विकास दुबे की गाड़ी पलट जाती है. जिस गाड़ी में विकास दुबे बैठा था वह गाड़ी उस गाड़ी से भिन्न थी जो पलटी थी. विकास दुबे के पैरों में जब सरिया लगा हुआ था तो वह पुलिस के हथियार को लेकर क्यों भागा. परंतु उसी मीडिया की स्टोरी से यूपी के उन 8 सिपाहियों की कहानी का सूपड़ा साफ था जिसे विकास दुबे के गैंग ने मारा था. आइडेंटिटी राजनीति करने वाली कांग्रेस और वामपंथ यूपी की 90 की राजनीति को दोबारा जगाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे बीजेपी ने यूपी में खत्म किया है. जब भी नेशनलिज्म का मुद्दा चुनाव में होता है तो ऐसी आइडेंटिटी राजनीति हास्य पर चली जाती है और समाज एकजुट होता है.

अगर विकास दुबे की जगह कोई दलित होता तो यही वामपंथ मीडिया आज भारत में ऐसी न्यूज़ रही होती कि अब इस देश में मनुवाद भारी हो गया है. दलित के हक की बात नहीं हो रही है.

अगर कोई मुसलमान निकलता तो इस देश में हड़कंप मच जाता इंटरनेशनल मीडिया भी इस घटना को तवज्जो दे रही होती और ऐसी न्यूज़ चला रही होती कि भारत में मुसलमान एक डर के माहौल में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी की सरकार लगातार मुसलमानों का उत्पीड़न कर रही है नरेंद्र मोदी की सरकार में भारत में भारतीय मुसलमान सुरक्षित नहीं है.

हम कहां पीछे रह जाते हैं 

हफ्ते पहले इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर बनने की खबर सुनाई दी. मंदिर के लिए पाकिस्तान की सरकार 4 कनाल जमीन और 10 करोड़ दे रही थी. पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदुओं की यह पाकिस्तान सरकार से मांग थी कि वह एक मंदिर बनाएं परंतु पाकिस्तान की सरकार इस्लामिक राजनीति के आगे झुक गई जो कि कोई नई बात नहीं है.

परंतु भारतीयों की नींद इतनी गहरी है कि इस खबर के बाद पाकिस्तान एंबेसी या पाकिस्तान के खिलाफ एक भी धरना नहीं हुआ.

अगर यही उल्टा होता भारत में कोई मस्जिद बनने नहीं दी जाती. इस बात पर इतना बवाल कट जाता की चीजें संभालने से भी नहीं संभालती.

हाल ही में टर्की ने पंद्रह सौ वर्ष पुराने कैथोलिक चर्च हाजिया सोफिया जो कि वर्ष 1934 में म्यूजियम बन गया था. उसे मस्जिद में कन्वर्ट कर दिया सऊदी अरब जहां इस्लामिक राजनीति से अपना हाथ पीछे कर रहा है उतनी ही तेजी से टर्की नए खलीफा बनने की लालसा में इस्लामिक राजनीति को पकड़ रहा है. नागरिकता संशोधन कानून के वक्त इसी टर्की ने भारत के खिलाफ बयान दिया था परंतु भारत में हाजिया सोफिया न्यूज़ को केवल इतनी जगह मिली जितनी भारत में बरसात के वक्त सड़कों पर पानी भर जाने की खबर को मिलती है.

यही हुआ अमेरिका में श्वेत जॉर्ज फ्लाइट की मौत पर भारत में आधे राष्ट्रवादी जॉर्ज फ्लाइट की मौत पर श्वेत का समर्थन कर रहे थे. तो आधे नहीं, परंतु हकीकत यह है कि इस्लामिक राजनीति ने श्वेता को अपना पहला शिकार बना रखा है, कि कैसे ही श्वेता लोगों को इस्लाम में कन्वर्ट करा जाए. ताकि वह वेस्ट की राजनीति को कंट्रोल कर सके. ग्लोबल दुनिया में आग किसी भी देश में लगे उसकी लपटें आपके देश तक जरूर आएंगी.

तो बताइए कि इतनी गहरी नींद में कैसे हम नैरेटिव का नेतृत्व करेंगे यह देश अपनी लोकल पॉलिटिक्स में उलझा रहे यह भी कहीं हद तक वामपंथ की चाल रही है.

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