सब याद रखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा।

कानून जो नया बनाया था, उसमें ना ज़िक्र तुम्हारा था,
वो नया नियम तो उसका था, जो तुम्हारे जेहाद का मारा था।
तुम सोचते हो हम भूलेंगे, पर सोचो कैसे भूलेंगे?
काफिरों के घर में आग लगी, हर ओर तकबीर का नारा था।
सब याद रखा जाएगा।

आसाम को अलग किया तुमने, भारत माता की तस्वीर पर,
आई ना एक शिकन तक भी, तुम पर ना तुम्हारे ज़मीर पर।
तुम सोचते हो हम भूलेंगे, पर सोचो कैसे भूलेंगे?
एक इंच ना बाकी छोड़ा था अंकित शर्मा के शरीर पर।
सब याद रखा जाएगा।

शाहीन बाग का किसने खेल रचा, इसका राज जगजाहिर था,
गुलेल और बमों के खेलों में, बस एक मजहब ही माहिर था।
तुम सोचते हो हम भूलेंगे, पर सोचो कैसे भूलेंगे?
जिसके घर से पेट्रोल बम थे मिले, वो भी ‘आप’ का ताहिर था।
सब याद रखा जाएगा।

महामारी से बचने को, सरकार की सख्ती वाजिब थी,
पांच बार नमाज़ और सुन्नत की, अजीब तुम्हारी एक ज़िद थी।
तुम सोचते हो हम भूलेंगे, पर सोचो कैसे भूलेंगे?
जिसने सबको बीमार किया, वो निजामुद्दीन कि मस्जिद थी।
सब याद रखा जाएगा।

-विकर्ण

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