एक पैगाम राहुल गाँधी के नाम …

डियर राहुल जी,
सबसे पहले तो क्षमाप्राथी हूँ कि मेरे इस पत्र को पढ़ने के लिए आपको अतिरिक्त सहायता की ज़रूरत होगी क्योंकि ये हिंदी में है और आशा करती हूँ कि मेरा पत्र आपको अक्षरशः पढ़ कर सुनाया और समझाया जायेगा।

अब मैं आपको साधुवाद देना चाहतीं हूँ कि सक्षम विपक्ष ना होने के बावजूद आप एक विपक्षी पार्टी की भूमिका बेहतरीन तरीके से निभा रहें है लेकिन इस द्वेष की भावना को पालते-पालते आप इंसानियत के पहलु को पूरी तरह भूल गए।

राहुल जी नोटबंदी, GST जैसे विषयों पर तो कोंग्रेस और भाजपा हो सकता है लेकिन कोरोना पर पार्टी पॉलिटिक्स का कोई मतलब ही नहीं बनता, भाई मेरे हम वोटर होंगे तो ही तो आपकी पार्टी या किसी और पार्टी का अस्तित्व होगा ना? हालाँकि आप से बहुत ज़्यादा समझदारी की उम्मीद तो खुद आपकी पार्टी के लोग भी नहीं रखते पर मुझे ऐसा लगता है कि आज तक किसी ने आप को इस पहलु को समझा के रास्ता दिखाने की कोशिश भी नहीं की होगी क्योंकि आपके यहाँ तो यस मैडम का कल्चर है।

राहुल जी, होम आइसोलेशन लेकर शांति से बैठिये, मेरे देश के इतिहास और संस्कृति के बारे में कुछ अच्छी किताबें पढ़िए आपको देश और देश के लोगों के साथ एक लगाव महसूस होगा और यकीन मानिये जिस दिन आपको ये लगाव महसूस हो गया आप सरकार के हर प्रयास को समझ पाएंगे।

हमारे देश की जो जनता खुद लापरवाही के साथ अपने और अपने आस पास के लोगों की जान पर खेलने को तुली है, जो जनता अपनी ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ कर हर बात का बिल सरकार पर फाड़ रही है, उसी जनता को महामारी से बचाने का हर संभव प्रयास सरकार कर रही है। यकीनन अगर आपकी सरकार होती तो अपनी सीमित सोच के साथ आप भी अपने लोगों को बचाने का हर संभव प्रयास करते।

तो राहुल जी प्लीज सरकार पर ऊँगली उठाना छोड़कर कुछ सकारात्मक कीजिये, काम नहीं होता है तो होम आइसोलेशन में चले जाइये पर पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठ कर देश और देश की जनता के बारे में और उनके स्वास्थ्य को सोचिये अगर जान बची तो पार्टी पोलटिक्स खेलने के लिए आप भी यहीं हों और हम भी!

आपकी होम आइसोलेशन की ट्वीट के इंतज़ार में,

एक शुभचिंतक

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