पैसा और आप- भाग 3

म्यूच्यूअल फंड्स के बारे में आज कल चर्चाएं जोरों पर है और हालिया दिनों में टेलीविज़न पर भी म्यूच्यूअल फंड्स सही है जैसे विज्ञापन आम तौर पर दिखाई देते हैं। शहरी क्षेत्र (METROPOLITAN CITIES) के लोगों में म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश को लेकर रुझान जरूर बढ़ा है लेकिन अगर आप देश के बड़े शहरों को छोड़ दें तो टियर -2 शहरों में अब भी इसको लेकर धारणाएं बदली नहीं हैं, गाँव और छोटे शहरों में तो इसे अब भी जुए के जैसा ही समझा जाता है। छोटे शहरों में तो अगर आप किसी से इस बारे में चर्चा भी करेंगे तो कई पढ़े लिखे लोग भी आपको संदेह भरी निगाहों से देखेंगे और आपको जाल में फासने वाले शिकारी की तरह समझेंगे।

हमारा मन बहुत कोमल है और इस कोमल मन पर जब किसी एक विचारधारा की चोट बार बार लगती है तो मन उन विचारों को सत्य मान लेता है और फिर यह धारना में तब्दील हो जाता है, और यही धारणाएं बीतते वक़्त के साथ सुदृढ़ हो जाती हैं। शेयर बाजार और म्यूच्यूअल फंड्स के साथ भी कुछ ऐसा ही है। म्यूच्यूअल फंड्स हो या फिर शेयर बाजार के सन्दर्भ में कही गयी कोई भी बात इसलिए लोगों को गलत लगती है क्यूंकि लोगों के मन में ये धारना बैठ गयी है की शेयर बाजार में पैसा लगाने का मतलब है अपने पैसे से हाथ धो बैठना। हालाँकि म्यूच्यूअल फंड्स केवल शेयर बाजार में निवेश ही नहीं करते बल्कि और भी ऐसे निवेश के माध्यम हैं जिनमे शेयर बाजार से कम जोखिम होता है और प्रतिफल बैंक में जमा राशि से अधिक। ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने अपना बीमा भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा करवाया है लेकिन इससे वाकिफ नहीं हैं की उनका पैसा शेयर बाजार में ही लगा हुआ है। भारतीय जीवन बीमा निगम हमारे देश की संस्थागत निवेशकों में से एक है और ITC जैसी कंपनी में इसकी बहुत बड़ी हिस्सेदारी है।

म्यूच्यूअल फंड्स है क्या पहले ये समझना जरुरी है। म्यूच्यूअल को अगर आम बोल चाल की भाषा में बताऊँ तो म्यूच्यूअल का अर्थ है मैं भी आप भी, यानी की कोई ऐसा काम जिसे बहुत सारे लोग मिल कर करते है उसको म्यूच्यूअल कहा जाता है। फण्ड तो आप समझते ही होंगे। यानि म्यूच्यूअल फण्ड से मतलब है एक ऐसा पैसा जो बहुत सारे लोगों की सहमति से इकठ्ठा किया गया हो और जिन भी लोगों ने ये पैसा लगाया है उन सब की रिस्क लेने की क्षमता समान हो। जैसे अगर आपको लग रहा है की फार्मा कंपनी के शेयर्स आगे चलकर बेहतर रिटर्न देंगे और मुझे भी लग रहा है की ऐसा ही होगा तो मैं और आप मिलकर फार्मा क्षेत्र के किसी फण्ड में अपना पैसा लगा देंगे। ये सारे फंड्स किसी AMC (ASSET MANAGEMENT COMPANY) के फण्ड मैनेजर द्वारा संचालित होते हैं। इन फण्ड मैनेजर का उद्देश्य केवल इतना है की वो हमारे पैसे का उपयोग कुछ इस तरह से करें ताकि कुछ न कुछ रिटर्न आए। हाँ ये स्वाभाविक है की हमारे फण्ड के प्रबंधन करने के बदले में कुछ कमीशन फण्ड मैनेजर को मिलता है। यानी म्यूच्यूअल फंड्स में हमारे पैसे की जिम्मेदारी किसी ऐसे व्यक्ति के पास होती है जो आपसे और मुझसे बेहतर है और पैसों को कहाँ निवेश करना चाहिए बेहतर तरीके से जनता है। किसी फण्ड मैनेजर द्वारा अगर निवेश गलत जगह हो गया तो मुनाफा होने की बजाय घटा भी हो सकता है। हालाँकि कोई भी AMC ऐसे फण्ड मैनेजर नियोजित नहीं करती जिसको बाजार की समझ न हो और जो अनुभवहीन हो।

अब बात आती है की हमें म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करना चाहिए या नहीं चाहिए?

अगर आप अपने पैसे के ऊपर कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते और उस पैसे के ऊपर ज्यादा ब्याज (बैंक जमा से) भी कमाने की इच्छा नहीं रखते हैं तो म्यूच्यूअल फंड्स आपके लिए नहीं है। वहीं दूसरी ओर अगर आप अपने पैसे को चक्रवृद्धि ब्याज के साथ बढ़ाना चाहते हैं और लम्बी अवधि के लिए निवेशित रहना चाहते हैं तो म्यूच्यूअल फंड्स आपके लिए ही है। वैसे PPF में निवेश किया हुआ पैसा भी कुछ इसी तरीके से बढ़ता है, और हर किसी के पास एक PPF खाता जरूर होना चाहिए।

म्यूच्यूअल फंड्स में कौन सा फण्ड चुनें और आपके लिए बेहतर क्या होगा इसकी चर्चा किसी दूसरे लेख में करेंगे। वैसे मैं बता दूँ म्यूच्यूअल फंड्स में जितने भी EQUITY SCHEMES हैं उनमे जोखिम ज्यादा है और उनमें रिटर्न भी ज्यादा मिलता है, लेकिन केवल बीते कुछ सालों का रिटर्न देखकर निवेश करना कतई सही नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ-साथ जोखिम लेने की क्षमता कम होती जाती है इसलिए सेवानिवृत व्यक्तियों को ऐसे स्कीम्स में निवेश नहीं करना चाहिए। अगर आपके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियां हैं और जो भी पैसा आप निवेश कर रहे हो उसपे किसी भी तरह का घाटा आप बर्दाश्त नहीं कर सकते तो आपको EQUITY SCHEMES से दूर रहना चाहिए।

DEBT फंड्स में जोखिम थोड़ा कम होता है इसलिए ऐसे किसी व्यक्ति जिसके रिस्क लेने की क्षमता कम है उसको DEBT फंड्स में निवेश करना चाहिए। अगर आप बिलकुल छोटी अवधि ( एक साल से कम ) के लिए निवेश करना चाहते हैं तो MONEY MARKET फंड्स एक बेहतर विकल्प है। इनकम टैक्स में छूट पाने के लिए ELSS फंड्स उपलब्ध है जिसमे तीन वर्षों का लॉक इन पीरियड होता है।

म्यूच्यूअल फंड्स आपके हर एक लक्ष्य को पाने में सहायक हो सकता है चाहे आप रिटायरमेंट के लिए पैसे जमा करना चाहते हों या घर अथवा गाड़ी खरीदना चाहते हों,छोटा छोटा निवेश और लम्बी अवधि तक किया हुआ निवेश आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद कर सकता है। शुरुआत करना जरुरी है।

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Nilay Mishra: Stock Market Trainer with expertise in domain of Trading and Investment.
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