कविता: जज साहिब से पूछ कर..

दीप जलाओ, दीप जलाओ, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

खुशी-खुशी सब हंसते आओ, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

मैं तो लूंगा खेल-खिलौने, जज साहिब से पूछ कर….
तुम भी लेना भाई

नाचो, गाओ, खुशी मनाओ, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली आई.

आज पटाखे खूब चलाओ जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

दीप जलाओ, दीप जलाओ जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

नए-नए मैं कपड़े पहनूं, जज साहिब से पूछ कर….
खाऊं खूब मिठाई.

हाथ जोड़कर पूजा कर लूं जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली आई.

खाओ मित्रों, खूब मिठाई, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

दीप जलाओ, दीप जलाओ, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

आज दुकानें खूब सजी हैं जज साहिब से पूछ कर….
घर भी जगमग करते .

झिलमिल-झिलमिल दीप जले हैं जज साहिब से पूछ कर….
कितने अच्छे लगते.

आओ, नाचो, खुशी मनाओ, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

दीप जलाओ, दीप जलाओ, जज साहिब से पूछ कर….
आज दिवाली रे.

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