दिल्ली में पटाखों पर बैन

रामलाल- अरे ठाकुर साहिब कुछ सुना आपने, गफ़ूर कह रहा था कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर बैन लगा दिया है|

ठाकुर साहब- हाँ रामलाल, सुना हमने भी| असल में कोर्ट चाहता है कि दिल्ली का पर्यावरण बहुत दूषित हो गया है और पटाखों पर बैन लगा कर इसको सुधारा जा सकता है|

रामलाल- अच्छा! ये तो बहुत ही अच्छी बात हुई| अगर दिवाली के पटाखों पर बैन लगने से पर्यावर्ण सुधारता है तो जरूर बैन लगाना चाहिये|

ठाकुर साहब- हाँ भई सो तो है, लेकिन ये बैन तो बस कुछ ही दिनों का है, १ नवंबर से फिर से पटाखे खरीदे बेचे जा सकेंगे|

रामलाल- अच्छा, तो क्या नये साल पर पटाखे जलाने पर कोई रोक नहीं रहेगी?

ठाकुर साहब- अरे नहीं रे रामलाल, दिवाली ख़त्म होते ही पटाखे फोड़ने की पूरी आजादी होगी.

रामलाल- अच्छा? तो मतलब ये कि समस्या तो वहीं की वहीं रह गई फिर!

ठाकुर साहब- अरे नहीं, ऐसी बात कोई नहीं है. सुना है की फैसला सुनाने वाले जज साहिब ने और भी बहुत से क्रांतिकारी कदम उठाए हैं|

रामलाल- वो क्या?

ठाकुर साहब- सुना है की जज साहिब अब से साइकल से ही कोर्ट आया जाया करेंगे और ऑफिस में एसी भी नहीं चलाएंगे. और हमने तो यहां तक सुना है कि उन्होने अपने घर के सारे एसी भी हटवा दिये हैं|

रामलाल- वाह, ऐसे ही तो होते हैं महान लोग. जो दूसरों को उपदेश नहीं देते फिरते बल्कि खुद भी अपने उपदेशों का पालन करते हैं. कोई ऐरा गैरा जज होता तो पटाखों पर बैन लगा देता लेकिन अपनी कार और एसी कभी ना छोड़ता. तो क्या जितने भी पर्यावरण प्रेमी हैं वो भी अब साइकल से ही ऑफिस आया जाया करेंगे? और अब दिल्ली में एसी नहीं चलेगा?

ठाकुर साहब- हाँ रामलाल, सभी पर्यावरण प्रेमी लोग जज साहिब की ही तरह अपनी अपनी कार और एसी का त्याग करने की कसम खा चुके हैं अपने अपने बच्चों के सर पर हाथ रखके| अब दिल्ली की हवा इतनी शुद्ध हो जायेगी की पूछो मत|

रामलाल- सच में, यदि ऐसा है तो जज साहिब के लिये हम सच्चे मन से ईश्वर से प्रार्थना करेंगे| वर्ना दुनिया में कुछ दुष्ट ऐसे भी होते हैं जो बस हिन्दुओं के त्योहारों को बर्बाद करने में लगे रहते हैं| अब कोई भी जज साहिब के इस निर्णय पर उंगली नहीं उठा सकेगा|

ठाकुर साहब- सही कहा रामलाल, यदि जज साहिब और सारे पर्यावरण प्रेमी अपनी अपनी कार और एसी का त्याग ना कर देते तो दुनिया यही कहती की प्रदूषण तो एक बहाना है, असल उद्देश्य तो हिन्दुओं को नीचा दिखाने का है|

रामलाल- लेकिन फिर भी समस्या रह गई तो रह ही गई, १ नवंबर के बाद क्या होगा?

ठाकुर साहब- अरे, १ नवंबर के बाद तो चमत्कार होगा चमत्कार, देखते जाओ बस|

रामलाल- वो कैसे?

ठाकुर साहब- सुना है कि जज साहिब और पर्यावरण प्रेमी मिलकर कोई ऐसी दवाई लाए हैं जिसको गाड़ी में डालते ही पेट्रोल के विषैले धुएँ की जगह ऑक्सिजन निकलेगा|

रामलाल- और नये साल के पटाखों का क्या?

ठाकुर साहब- अरे कैसे मूर्खों की तरह बात करते हो… नये साल के पटाखों में तो धर्मनिरपेक्षता की खुशबू होगी, बोलने की आजादी कि धमक होगी, चारों तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी|

रामलाल- (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) सही कहते हो ठाकुर साहिब… सारी समस्या दिवाली तक की ही है| एक बार दिवाली निकल जाये तो जी भर के पटाखे चलाओ, गाड़ियों का धुआँ छोडो, एसी की गैस छोडो, कोई समस्या नहीं होगी|

ठाकुर साहब- सही पकड़े हो रामलाल, सारी समस्या दिवाली की ही है|

रामलाल- बाजार में गफ़ूर मिला था, बड़ा ही घबराया हुआ था…. कह रहा था की अब बकरीद को भी बैन कर दिया जायेगा क्यूंकि खून धोने में हर शहर और गाँव में हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है|

ठाकुर साहब- अरे हमारा कोर्ट इतना मूर्ख थोड़े ही है. पानी बचाना है तो बकरीद पर नहीं बल्कि होली पर बचाया जा सकता है ना !

रामलाल- हाँ, ये भी ठीक है. और क्या अब बचों के खेल कूद पर भी बैन लगने वाला है?

ठाकुर साहब- ऐसा क्यूं?

रामलाल- पिछले साल कोर्ट ने ही तो कहा था कि जन्माष्टमी पर 20 फुट से उँचा पिरमिड बनाने से और 18 साल से कम लोगों को लाने से किसी की जान भी जा सकती है|

ठाकुर साहब- अरे, वो तो सिर्फ जन्माष्टमी के लिये कहा था| इसका ये मतलब थोड़े ही है कि 18 साल से कम के बच्चे को स्विमिंग पूल में नहीं उतरने देंगे, घुड़सवारी नहीं करने देंगे या पहाड़ नहीं चढ़ने देंगे. या मुहर्रम पर खून नहीं बहाने देंगे|

रामलाल- लेकिन दुर्घटना से मौत तो उधर भी हो सकती है|

ठाकुर साहब- अरे मौत तो कहीं भी हो सकती है लेकिन हर जगह धर्मनिरपेक्षता तो नहीं दिखाई जा सकती ना! जन्माष्टमी, होली और दिवाली पर रंग में भंग नहीं करेंगे तो धर्मनिरपेक्षता का क्या होगा?

रामलाल- तो क्या सारी धर्मनिरपेक्षता हिन्दुओं के त्योहारों पर ही दिखाई जाती रहेगी?

ठाकुर साहब- और नहीं तो क्या. तुम कोई मुसलमान थोड़े ही हो कि शाहबानो पर कोर्ट के निर्णय को संसद में पलटवा दोगे. बूढ़ा बाप भी उसी बेटे को ज्यादा चिल्लाता है जो बेचारा चुपचाप सब सुन लेता है.

रामलाल- तो क्या हमारी सरलता की कीमत ऐसे ही बार बार अपमानित होकर चुकानी पड़ेगी?

ठाकुर साहब- भई रामलाल, अपमान तो उनका होता है जिनका कोई मान हो. हम और तुम तो दूसरे दर्जे के नागरिक हैं, जिसके जी में आये पिछवाड़े पर दो लात मार कर निकल लेता है. कभी सुना तुमने की किसी बुद्धिजीवी ने, कोर्ट ने, सरकार ने मुसलमानों या ईसाइयों पर उंगली उठाई हो?

रामलाल- सही कहा ठाकुर साहिब, हमीं लोग हैं कि जिनको कोई भी दिग्गी और मनीष तिवारी जैसा ऐरा गैरा चू… मूर्ख और अंधा कह कर निकल जाता है. उधर तो डर के मारे पतलून गीली हो जाती है|

ठाकुर साहब- सही कहा. सोनू निगम अजान पर बोले तो सम्प्रदायिक हो जाता है, गौरी लंकेश हिन्दू धर्म के विरुद्ध बोले तो बुद्धि जीवी हो जाती है. सब डरा के पतलून गीली कर सकने का खेल है.

रामलाल- सही कहा ठाकुर साहिब, जो जितना डराएगा वो उतना सम्मान पायेगा.सारी जिंदगी कुत्ते की तरह अपमानित होने के बाद एक ही बात समझ आई है की हिन्दुओं ने भी अगर जूते खाने की बजाय डराना सीख लिया होता तो आज दिवाली पर पटाखे बैन ना हुए होते.

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