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जेएनयू, ‘छपाक’ और वैचारिक कंगाली पर कांग्रेस

आक्रामकता में इतना नीचे नहीं गिरिये कि आप सावरकर पर भद्दी बातें करना शुरू कर दें। फ्री कश्मीर के बैनरों का समर्थन करना शुरू…

हम देखेंगे, लाज़िम है कि हम देखेंगे पर राष्ट्रवादी परिपेक्ष से

अगर कोई लड़की ना माने तो एसिड फेंको तुम और फिर भी इनटॉलरेंट हम?