1857 के विद्रोह के पश्चात ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858’ के अनुसार भारत को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन सौंप दिया। अंग्रेजों ने अध्यन किया और पाया की, जब तक भारतीय शस्त्रधारी रहेंगे, इतने बड़े देश पर शासन संभव नहीं है।
1857 जैसे विद्रोह दुबारा न हो इसके लिए हिंदुओं को निशस्त्र करना आवश्यक हो गया और ब्रिटिश आक्रांताओं ने 1878 मे ‘आर्म्स एक्ट’ बनाया जिससे हिंदुओं को बंदूक और आग्नेश्स्त्र धारण करना वर्जित हो गया। इस एक्ट के भयानक परिणाम निकले और हिन्दू समाज के आत्मविश्वास मे कमी आने लगी। कुछ वर्षों पश्चात गांधी ने हिंदुओं को अहिंसा का पाठ पढ़ा कर, उनमें शत्रुबोध समाप्त कर दिया।
आर्म्स एक्ट और निशस्त्रीकरण के परिणाम स्वरूप, भारत मे जिहाद बढने लगा और निशस्त्र हिन्दू उसका सामना करने मे असमर्थ हो गए जिससे मोहम्मद के अनुयायी अलग इस्लामिक राज्य लेने में सफल हो गए।
1947 में जब ब्रिटिश साम्राज्य ने इंडिया की सत्ता काँग्रेस को ‘ट्रान्सफर ऑफ पावर एक्ट‘ के तहत सौंप दी तब इंडिया के सविधान में अंग्रेजों का बनाया हुआ आर्म्स एक्ट भी आ गया, जिस पर कभी भी चर्चा नहीं हुई।
वर्तमान भारत की सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ‘ आर्म्स एक्ट ‘ को निरस्त करने की अत्यंत आवश्यकता जान पड़ती है। सभी नागरिकों को आत्मरक्षा के लिए शस्त्र धारण करने का अधिकार होना चाहिए।
नागरिकों को शस्त्र धारण करने के सकारात्मक परिणाम
१. आत्मरक्षा और अपने समाज की सुरक्षा करने मे समर्थ नागरिकों से समाज मे आत्मविश्वास बड़ेगा।
२. संपाति और सुरक्षा का अधिकार नागरिकों को मिलेगा।
३. समाज में आत्मविश्वास बढ़ने से वर्षों से चली आ रही मानसिक गुलामी से छूटकरा मिलेगा।
४. मजहबी दंगाईयों के लिए एक सशस्त्र समाज का सामना करना भारी पड़ सकता है।
५. समुदाय विशेष द्वारा मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हमला करना आसान नहीं होगा।
६. लव जिहाद और धर्मांतरण में कमी आएगी।
७. पुलिस और न्याय व्यवस्था मे आधुनिकरण और बदलाव में सहायता मिलेगी।
८. व्यावसायिक गतिविधि और भारत में शस्त्र उत्पादन बढ़ाने मे सहायता होगी।
नकारात्मक पक्ष
१. आधुनिक शस्त्र क्रय करना बहुत लोगों के लिए संभव नहीं होगा।
२. शस्त्र दुर्घटना में निर्दोष लोगो की जान-माल की हानी हो सकती है।
यह भी संभावना जताई जाती है की शस्त्र रखने के अधिकार से अपराध में बड़ोतरी होगी, जबकि तथ्य यह है की अपराधी अवैध शस्त्रों का उपयोग करते है और अपराधी मानसिकता के लोग निर्दोष लोगों और समाज के नियमों को नहीं मानते।
कुल मिलाकर आर्म एक्ट निरस्त करने के सकारात्मक परिणाम नकारात्मक पक्ष से अधिक है.
अंत में , यदि 26/11 अंतकवादी हमले के समय यदि मुंबई के नागरिक सशस्त्र होते , तो पूरी संभावना होती की आंतकवादी समुद्र तट पर ही निपट जाते और इतने निर्दोष नागरिकों की जान नहीं जाती।