स्वास्थ्य, शराब, शिक्षा और सिसोदिया। Part-2

मित्रो पिछले अंक में हमने देखा था की कैसे पत्रकारिता छोड़कर श्री अरविन्द केजरीवाल जी के साथ मनीष सिसोदिया जी जुड़ गए और कबीर फॉउण्डेशन से लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन तक और फिर दिल्ली की सत्ता में भागीदार बनकर “शिक्षा घोटाला” में आरोपी बनने तक श्री मनीष सिसोदिया जी का सफर कैसा रहा। अब इस अंक में हम देखेंगे कि किस प्रकार नई अबकारी निति के अंतर्गत शराब घोटाला की पृष्ठ्भूमि बनी और मनीष जी अंतत: गिरफ्तार कर लिए गए।

अब शिक्षा मंत्री ने किस प्रकार अपनी प्रतिभा का उपयोग अबकारी विभाग में किया और एक नया घोटाला सामने आया, आइये देखें इसमे कैसे और क्या क्या हुआ?

दिल्ली के अबकारी विभाग ने श्री अरविन्द केजरीवाल जी के निर्देश पर और श्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में नई और क्रांतिकारी अबकारी नीति के निर्माण का कार्य शुरु हुआ। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने अत्यंत हि उत्साह और उमंग से बताया कि  इस नयी अबकारी नीति के द्वारा दिल्ली के राजस्व में कुल ३५०० करोड़ रुपये का लाभ होगा।

१:- नवंबर २०२१ में बनकर तैयार की गयी नई अबकारी नीति के तहत दिल्ली में शराब की दुकानों कि संख्या बढ़ा दी गयी और अब ये ८४९ हो गयी।

२:-इस अबकारी (शराब) नीति से पूर्व दिल्ली कि  ६०%  दुकानें सरकार के कब्जे में थी परन्तु इस नई नीति के अंतर्गत १००% दुकाने Private Sector को दे दी गयी अत: इससे सरकार को सीधे राजस्व प्राप्त होता था उसके दरवाज़े बंद कर दिये गये।

३:-नई अबकारी नीति के अंतर्गत शराब बेचने के लिए दिये जाने वाले लाइसेंस की फीस में अभूतपूर्व वृद्धि कर दी गयी। L-1 लाइसेंस पहले  २५ लाख रुपए में दे दिया जाता था इस नई शराब नीति लागू होने के पश्चात इसकी राशि ५ करोड़ रुपए कर दी गयी। इस वृद्धि से छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके, जिसका सीधा लाभ बड़े व्यपारियों को मिला।

४:-उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री श्री मनीष सिसोदिया के हि निर्देश पर आबकारी विभाग द्वारा L-1 लाइसेंस प्राप्त करने वाले  बिडर को ३० करोड़ रुपए वापस कर दिए,जबकि दिल्ली एक्साइज पॉलिसी में किसी भी बिडर का पैसा वापस करने का नियम नहीं है।

५:- मित्रों कोरोना काल से शिक्षा, स्वास्थ्य, लघु और कुटीर उद्योग, किसान, मजदूर और बेरोजगार वर्ग को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जर रही थी, केंद्र तथा अन्य राज्य सरकारों के द्वारा परन्तु दिल्ली की बात हि कुछ और थी, कोरोना काल में दिल्ली में सबसे ज्यादा परेशान शराब व्यवसायी हुए थे केजरीवाल और सिसोदिया की दृष्टि में अत: शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने लाइसेंस फीस में बड़ी छूट दी, जिसके तहत सरकार ने कंपनियों की १४४.३६ करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।

६:- मनीष सिसोदिया जी ने विदेशी शराब और बियर  पर मनमाने ढंग से ५० रुपए प्रति बोतल की छूट दी। यह छूट इन विदेशी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए दी गई थी। दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति के तहत राज्य को ३२ जोन में बाँटा थाऔर् इसमें से २ जोन के ठेके एक ऐसी कंपनी को दिए गए जो ब्लैक लिस्टेड थी।

७:- मनीष सिसोदिया जी यही नहीं रुके, उन्होंने शराब बेचने वाली कंपनियों के बीच कार्टेल पर प्रतिबंध होने के बाद भी इन शराब विक्रेता कंपनियों के कार्टेल को लाइसेंस दिये और् इसके तहत शराब कंपनियों को शराब पर डिस्काउंट देने और एमआरपी पर बेचने के बजाय खुद कीमत तय करने की छूट मिल गई और बताने की आवश्यकता नहीं कि  इसका लाभ भी शराब बेचने वालों को हि हुआ।

८:-नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट नोट सर्कुलेशन के बिना ही प्रस्ताव पास करा दिए गए और नई शराब नीति को लेकर कैबिनेट की बैठकों में मनमाने ढंग से फैसले लिए गए। यही नहीं, शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई अर्थात वर्ष में जंहा ड्राई डे की संख्या पहले २१ थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे केवल 3 दिनों तक ही सिमित कर दिया गया। इससे शिक्षा मंत्री ने अबकारी विभाग के अंतर्गत दिल्लिवासियों खासकर युवा पीढ़ी को १९ दिन ज्यादा शराब पिने का मौका दिया।

९:-मनीष सिसोदिया जी ने शराब ठेकेदारों को मिलने वाले कमीशन का प्रतिशत ५ से बढ़ाकर १२ कर दिया  परन्तु यह किस नियम के अनुसार किया गया, क्यों किया गया और इससे सरकार को कैसे लाभ हुआ यह बताने में पूर्णतया असफल हो गये।

१०:-नियम यह है कि शराब को बनाने वाली कम्पनी अर्थात निर्माता कंपनी और शराब के रिटेल विक्रेता अलग-अलग होते हैँ परन्तु सिसोदिया के नेतृत्व में  केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के ३२ में से २ जोन में शराब निर्माता कंपनी को हि रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। यही नहीं उपराज्यपाल को धता बताकर और उन्हे नगण्य समझकर उपराज्यपाल से अनुमति लिए बिना ही दो बार आबकारी नीति को आगे बढ़ाया गया। साथ ही मनमाने ढंग से छूट दी गई, जी हाँ मित्रों कैबिनेट की बैठक बुलाकर ही सारे फैसले ले लिए गए और  इसका शराब कंपनियों ने जमकर लाभ उठाया।

११:- हमारे शिक्षा मंत्री अबकारी विभाग में इस प्रकार रच बस गये की उनके नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के टेंडर में नई शर्त जोड़ते हुए कहा था कि हर वार्ड में कम से कम दो दुकानें खोलनी पड़ेंगीं। इसके लिए दिल्ली के आबकारी विभाग ने भी केंद्र सरकार से अनुमति लिए बिना ही अतिरिक्त दुकानें खोलने की अनुमति दे दी। इसका शराब निर्माता कंपनियों ने फायदा उठाया और दिल्ली के युवाओं को शराब की कमी ना हो इसके लिए सम्पूर्ण प्रबंध करा दिया।

१२:- जब शिक्षा मंत्री के नेतृत्व में दिल्ली की सरकार स्वयं ज्यादा से ज्यादा मात्र में शराब की खपत बढ़ाने में लगी थी तो फिर शराब बेचने वाले लोग पीछे क्यों रहते उन्होंने भी दिल्ली एक्साइज नियम २०१० के २६ और २७ नियमो की धज्जियाँ उड़ाते हुए सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा देने लगे और नई अबकारी नीति की आड़ में  दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई भी नहीं की।

१३:- इस प्रकार मित्रों क्रांतिकारी शिक्षा मंत्री जी ने शराब के माध्यम से क्रांति लाने हेतु नई आबकारी नीति लागू करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991(जीएनसीटी एक्ट-१९९१), ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स १९९३, दिल्ली एक्साइज एक्ट २००९ और दिल्ली एक्साइज रूल्स २०१० का सीधे तौर पर उल्लंघन किया।

अब शिक्षा मंत्री पर गाज कैसे गिरी?

हे मित्रों  जुलाई २०२२ में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी २०२१-२२ की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की सिफारिश की थी। आदरणीय उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की कार्रवाई दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर आधारित थी। विदित हो कि  दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल के कार्यालय को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें अबकारी नीति के कार्यान्वयन में प्रक्रियात्मक खामियों का आरोप लगाया गया था और दावा किया गया था कि लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद के लाभ दिए गए थे। सीबीआई मामले की जांच कर रही है।

सीबीआई ने जो पहली FIR दर्ज कराई थी उसमें दिनेश अरोड़ा का भी नाम था।दिनेश अरोड़ा दिल्ली के रेस्तरां इंडस्ट्री का जाना-माना नाम हैं । FIR में राधा इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर दिनेश अरोड़ा के अलावा रिटेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर अमित अरोड़ा और अर्जुन पांडे का नाम शामिल किया गया है। इन्हें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का करीबी बताया गया था। नवंबर २०२२ में दिनेश अरोड़ा ने खुद दिल्ली की अदालत में अर्जी दाखिल कर सरकारी गवाह बनने और मामले से जुड़ी सारी बातें बताने के लिए अर्जी दी थी। दिनेश अरोड़ा ने कोर्ट में बताया था उन पर किसी तरह का दबाव नहीं है और न ही CBI के कहने पर ऐसा किया है।

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शराब नीति बनाने वाले आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी हँगामा कर रही है। कहा जा रहा है कि चार्जशीट में नाम न होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया। दरअसल, सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिल्ली के इसी बड़े कारोबारी दिनेश अरोड़ा की भूमिका अहम मानी जा रही है।मनीष सिसोदिया को २६ फरवरी २०२३ को ८ घंटे चली पूछताछ के बाद सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया! सिसोदिया पर आईपीसी की धारा 120-B(अपराधिक षड्यंत्र) और 47 -A (सबूत को नष्ट करने का अपराध) लगाई गई है!

दरअसल, शराब घोटाले के आरोपितों ने १७० फोन बदले थे। इसमें से सिसोदिया ने ४ फोन बदले थे। जाँच एजेंसियों का मानना है कि इन फोन में ही अहम सबूत थे। इसलिए सिसोदिया समेत अन्य आरोपितों ने या तो इन्हें  बदल दिया या तोड़/नष्ट कर दिया। अब सीबीआई तमाम सबूतों को इकट्ठा करने के बाद सिसोदिया से पूछताछ कर रही है।

प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया, दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त अरावा गोपी कृष्णा और दो अन्य वरिष्ठ आबकारी विभाग के अधिकारियों ने “वर्ष २०२१-२२ के लिए आबकारी नीति से संबंधित निर्णय लेने और सिफारिश करने में सहायक प्राधिकारी की मंजूरी के बिना विस्तार करने के इरादे तथा  निविदा के बाद लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ” पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शिक्षा मंत्री ने गिरफ्तारी के बाद, २८ फरवरी २०२३ को अपने कैबिनेट सहयोगी, श्री सत्येंद्र जैन (जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था) के साथ केजरीवाल मंत्रालय से अपने अपने पदों  से इस्तीफा दे दिया। दिल्ली के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आरोपित मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। जहाँ सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें ५ दिन की रिमांड में भेज दिया है। इसका मतलब साफ है कि अब सीबीआई सिसोदिया से और कड़ी पूछताछ करेगी।

हालांकि दिल्ली के शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि इससे राजस्व में ३५०० करोड़ रुपए का लाभ होगा, इस पूरे मामले की जाँच करते हुए ईडी ने पाया है कि इस शराब घोटाले से राजस्व में २८७३ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

निष्कर्ष:-

शिक्षा मंत्री ने शिक्षा मंत्रालय में हुए घोटाले के अंतर्गत १२१४ टॉयलेट्स को class room बताया था और शराब घोटाले में हर जोन में २ शराब की दुकाने खोलने का शर्तिया प्रावधान दिया था अत: उनका पुरा कार्यक्रम ये था की एक विद्यार्थी टॉयलेट के कम्बोड पर बैठ के फिनलैंड वाली पढ़ाई करेगा और स्कूल से छूटते हि पास की दुकान से बिल्कुल ताजी शराब की बोतल खरीदेगा और फिर नई शिक्षा नीति और अबकारी नीति के तहत बाकी लोगों को नौकरी देगा।

अब आप स्वयं सोचे यदी शिक्षक शराब बेचकर राजस्व कमाने की सोचने लगे तो फिर कुछ बचता हि नहीं।

विद्वत्त्वं दक्षता शीलं सङ्कान्तिरनुशीलनम् । शिक्षकस्य गुणाः सप्त सचेतस्त्वं प्रसन्नता ॥ अर्थात विद्वत्व, दक्षता, शील, संक्रांति, अनुशीलन, सचेतत्व, और प्रसन्नता – ये सात शिक्षक के गुण हैं , तो क्या ये शिक्षा मंत्री के गुण नहीं।

लेखन और संकलन :- नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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