हिंडनबर्ग का अडानी प्रेम- किसका षड्यंत्र- किसको लाभ: Part-1

हे मित्रों आखिर एक बार फिर भारत में छुपे भारत के विरोधी देशद्रोहियों ने अल्पज्ञानी पर धूर्तता और मक्कारी में परांगत अंग्रेजो से मिलकर हमारे एक विश्वशनीय और ईमानदार उद्योगपति को निशाना बनाया, जिसने इन गोरो और वामपन्थियों को उन्हीं कि भाषा में उत्तर देना शुरू कर दिया था। वामपन्थियों के अब्बा चिन को उसकी औकात बताना शुरू कर दिया था।मित्रों अडानी ग्रुप के बारे में  तो आप जानते हैं ही होंगे, आइये इनकी थोड़ी सी पृष्ठभूमि जान लेते हैं।

नाम :- श्री गौतम शांतिलाल अडानी, पिता का नाम:- श्री शांतिलाल अडानी और माता का नाम: श्रीमती शांता जैन अडानी। ये पूरे सात भाई बहन का परिवार है। श्री गौतम शांतिलाल अडानी का जन्म दिनांक २४ जून १९६२  को अहमदाबाद के रतनपोल में स्थित सेठ नी पोल क्षेत्र के गुजराती जैन परिवार में हुआ। श्री गौतम शांतिलाल अडानी ने वाणिज्य संकाय के दूसरे वर्ष में पढ़ाई छोड़ दी और व्यवसाय में रूचि होने के कारण महाराष्ट्र मुंबई आ गए उस समय उनकी उम्र १६ वर्ष थी। वर्ष १९७८ ई में मुंबई में उन्होंने हिरे का व्यापार शुरू किया परन्तु अपने बड़े भाई के बुलावे पर वो गुजरात में उनके प्लास्टिक फैक्ट्री को सम्हालने के लिए गुजरात पहुंच गए।

वो वर्ष १९८८ का था जब उन्होंने कमॉडिटी का एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट करने वाली व्यवसायिक कम्पनी के रूप में “अडानी इंटरप्राइजेज” कि आधारशिला रखी। यंहा याद रखने वाली बात ये है कि इस समय कांग्रेस सत्ता में थी और आदरणीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी आरएसएस के स्वय सेवक बन भारत के किसी गांव में सेवा का कार्य कर रहे थे। वर्ष १९९१ में स्व श्री नरसिंहराव जी कि सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री अहरी मनमोहन सिंह के द्वारा किये गए आर्थिक सुधारों के कारण श्री गौतम अडानी का व्यवसाय अत्यंत शिघ्रता और मजबूती से  डायवर्सिफाई हुआ और वो एक बहुराष्ट्रीय व्यवसाई बन गए| फिर आया वर्ष १९९५ जिसने गौतम अडानी के लिए सफलता के सारे द्वार खोल दिए जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट (Mundra Port) के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला। यह अधिकार श्री गौतम शांतिलाल अडानी को किसी और के राज में नहीं अपितु कांग्रेस के राज में हि प्राप्त हुआ। अब मुंद्रा बंदरगाह पर कांग्रेस कि सहायता से श्री गौतम अडानी का राज हो गया।

वर्ष १९९६ में अडानी ग्रुप ने अपनी नई कम्पनी “अडानी पावर लिमिटेड” कि आधारशिला रखी। याद रखिये अभी तक आदरणीय श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी कंही भी परिदृश्य में नहीं है। वर्ष २००६ तक तो गौतम शांतिलाल अडानी जी ने देश के सबसे बड़ा लार्जेस्ट कोल इम्पोर्टर कि ख्याति अर्जित कर ली और उन्हें इम्पोर्ट का लाइसेंस भी यूपीए सरकार अर्थात केंद्र में बैठी मनमोहन सिंह और सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने दिया था।

वर्ष २००९ में श्री गौतम शांतिलाल अडानी जी देश के लार्जेस्ट पावर जेनरेटर बन गए और इस वक्त भी केंद्र में बैठी मनमोहन सिंह और सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। अब आदरणीय श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बन चुके थे।वर्ष  २०१० में श्री गौतम शांतिलाल अडानी जी ने इंडोनेशिया में माइनिंग कारोबार शुरू किया। इसी प्रकार वर्ष २०११ में अडानी ग्रुप ने ऑस्ट्रेलिया के अबॉट पॉइंट कोल टर्मिनल को  २.७२ अरब डॉलर में खरीद लिया। (याद रखिये इसी दौरान और यंही से अडानी ग्रुप के विरुद्ध षड्यंत्र की बुनियाद रख दी गई थी।)

वर्तमान परिदृश्य देखें तो अडानी ग्रुप का कारोबार एनर्जी, पोर्ट, लॉजिस्टिक्स, माइनिंग, गैस, डिफेंस एवं एयरोस्पेस और एयरपोर्ट जैसे विविध क्षेत्रों तक फैला है। अडानी समूह की शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों में शामिल हैं-अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी पावर, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी टोटल गैस लिमिटेड और अडानी विल्मर |और फिर वो दिन भी आया जब दिनांक २७ अप्रैल २०२२ को श्री गौतम शांतिलाल अडानी दुनिया के चौथे सबसे अमीर शख्स बन गए थे | उनकी संपत्ति Microsoft के Bill Gates के बराबर हो गई थी।

अब ज़रा हिडनबर्ग नामक कम्पनी कि पृष्ठभूमि भी देख लेते हैं,  कि आखिर ये कम्पनी है क्या?

हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना वर्ष २०१७ में नाथन एंडरसन नामक व्यक्ति ने कि थी। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है।

कंपनी का नामकरण कैसे हुआ?

इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो वर्ष १९३७ में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें ३५ लोग मारे गए थे। वास्तव में हिंडनबर्ग २४५-मीटर- (८०४-फुट-) लंबी पारंपरिक ज़ेपेलिन डिज़ाइन की हवाई पोत थी जिसे मार्च १९३६ में फ्रेडरिकशफेन, जर्मनी में लॉन्च किया गया था। दिनांक ६ मई, १९३७ को लेकहर्स्ट, न्यू जर्सी (अमेरिका) में उतरते समय, इसकी निर्धारित १९३७ ट्रान्साटलांटिक क्रॉसिंग, हिंडनबर्ग आग की लपटों में फट गई और पूरी तरह से नष्ट हो गई। इसमें सवार ९७ व्यक्तियों में से ३५ मारे गए। ग्राउंड क्रू का एक सदस्य भी मारा गया। आग को आधिकारिक तौर पर एयरशिप से हाइड्रोजन गैस के रिसाव के आसपास वायुमंडलीय बिजली के निर्वहन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, हालांकि यह अनुमान लगाया गया था कि विमान पोत, नाजीयो के विरोध में कि गई तोडफोड का शिकार बन गया था।

अब अडानी ग्रुप के पीछे का षड्यंत्र कब और कैसे अस्तित्व में आया और फिर निष्पादित कैसे किया गया। आइये देखते हैं पूरी कहानी परत दर परत:-

प्रथम चरण:-

मित्रों Organiser नामक एक website पर दिनांक ४ फरवरी २०२३ को एक लेख प्रकाशित किया गया था, आइये इस लेख के कुछ मुख्य बिन्दुओ पर एक दृष्टि डालते हैं। इसके अनुसार

अदानी समूह पर यह हमला वास्तव में हिंडनबर्ग शोध रिपोर्ट के पश्चात दिनांक २५ जनवरी, २०२३ को शुरू नहीं हुआ,अपितु इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से वर्ष २०१६-१७ में शुरू किया गया था।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं, कि अडानी ग्रुप कि व्यापक सफलता से गोरो का समूह तो ईर्ष्या करता हि है, अपने देश के कुछ सफेदपोश उद्योगपति भी ईर्ष्या में डूब कर देशद्रोहिता कि सीमा तक का कार्य अडानी ग्रुप के विरुद्ध कर चुके हैं और कर रहे हैं। और केवल अडानी ग्रुप को बदनाम करने के लिए एक website का भी निर्माण कर चुके हैं, जो वाक् अभिव्यक्ति कि स्वतन्त्रता के नाम पर केवल और केवल मिथ्या प्रवन्चना और अनर्गल प्रलाप करते हैं।

बॉब ब्राउन फाउंडेशन (बीबीएफ), माना जाता है कि एक पर्यावरणविद् एनजीओ, अदानीवॉच(.)ओआरजी (Adaniwatch.org) नामक website  चलाता है। (आपको हम पहले हि बता चुके हैं कि अडानी ने ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के कोयला खादानो पर अधिकार प्राप्त कर लिया था, अत: एक भारतीय उद्योगपति के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए और ऑस्ट्रेलिया में अडानी अडानी की कोयला खदानों की परियोजनाओं के विरोध के साथ इस Website की शुरुआत कि गई।

इस बॉब ब्राउन फाउंडेशन (बीबीएफ) एनजीओ का एकमात्र मकसद अडानी ब्रांड इमेज को टारगेट करना है। उनके प्रचार लेख भारतीय राजनीति में घुसपैठ करते हैं; अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि, किसी भी एजेंडे से संचालित वामपंथी संगठन की तरह। मित्रो तनिक् विचार करें “अगर रवीश कुमार एनडीटीवी छोड़ देते हैं तो एक ऑस्ट्रेलियाई एनजीओ को इससे भला क्या लेना देना और एक पर्यावरण के लिए कार्य  करने वाला एनजीओ गुजरात दंगो पर एकतरफा और झूठे तथ्यों पर तैयार किये गए बीबीसी वृत्तचित्र पर किये गए एक ट्वीट का समर्थन क्यों करेगा? आखिर इस संस्था का असली मकसद क्या है?

किसी कारणवश, बीबीएफ भारत में  विपक्ष कि पार्टियों द्वारा शाषित राज्यों में अडानी कि उपस्थिति के प्रति नरम हो जाता है। वे कांग्रेस या टीएमसी के नेतृत्व वाले राज्यों में चलने वाली अडानी ग्रुप कि परियोजनाओं को लक्षित नहीं करते हैं। 

अडानी समूह को वर्ष २०१० में ऑस्ट्रेलिया में कारमाइकल कोयला खदान के लिए एक परियोजना मिली। वर्ष २०१७ में अचानक एक 350.org नामक एनजीओ के नेतृत्व में कुछ अन्य एनजीओ मिलकर अडानी के का विरोध शुरू कर देते हैं  और्  इस प्रोजेक्ट को रोकने के लिए ग्रुप #StopAdani का गठन करके विरोध प्रदर्शन शुरू कर देते हैं।

बॉब ब्राउन ने वर्ष २०१७ में सिडनी में #StopAdani शिखर सम्मेलन और होबार्ट में #StopAdani रैली सहित पारंपरिक मालिकों के साथ बैठक और कई रैलियों और कार्यक्रमों में बोलते हुए #StopAdani अभियान में नेतृत्व की भूमिका निभाना जारी रखा है। फाउंडेशन ने देश भर में ५००० #StopAdani बम्पर स्टिकर का उत्पादन और वितरण करके अभियान का समर्थन प्रदान किया, जो पूर्णतया निःशुल्क था।

अब प्रश्न ये आता है कि इस 350.org नामक NGO को ये सभी गतिविधि करने के लिए पैसा कंहा से मिलता है। इसका उत्तर है मित्रों “Tides Foundation”जो सैन फ्रांसिस्को स्थित एक डोनर-एडवाइज्ड फंड है, जिसने गुमनाम रहने की इच्छा रखने वाले दानदाताओं और फाउंडेशनों से उदार समूहों को करोड़ों डॉलर दिए हैं। जॉर्ज सोरोस और टॉम स्टेयर से जुड़े समूहों ने भी 350.org में व्यापक योगदान दिया है। यंहा ध्यान रखिये ये वहीं जॉर्ज सोरोस जो सदैव भारत के विरोध में कैरी करता रहता है, और भारत के हर निति का विरोध करता है, तथा भारत विरोधी ऐजेण्डा चलाने वाले सभी वामपंथी और उदारवाद कि खाल ओढ़े देशद्रोहियों के NGO को जबरदस्त पैसे देता है।

अब मित्रों टाइड्स फाउंडेशन को फंड कौन देता है? इसमें सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिडयार और बिल गेट्स के नाम हैं।

एक भारतीय एनजीओ नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) को भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिडयार, बिल गेट्स और अजीम प्रेमजी से फंड मिला। ये वहीं WIPRO वाला अजीम प्रेमजी है।

अजीम प्रेमजी के नेतृत्व में एक एनजीओ IPSMF शुरू किया गया था, IPSMF:-

इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) दिनांक १ जुलाई २०१५ को बेंगलुरु में एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत है। फाउंडेशन वित्तीय सहायता प्रदान करता है और डिजिटल-मीडिया संस्थाओं को सार्वजनिक हित की जानकारी बनाने और प्रसारित करने के लिए सलाह देता है।  फाउंडेशन को IT अधिनियम, १९६१ की धारा १२AA (a) के तहत पंजीकृत किया गया है और IT अधिनियम, १९६१ की धारा ८०G (५) (vi) के तहत स्वीकृति प्रदान की गई है। अब् यहि NGO  जो Altnews, The Wire, The Caravan, The News Minute, आदि प्रचार समाचार वेबसाइटों को फंड करता है। आपको बताते चलें कि ये सभी NGO भारत विरोधी और खासकर सनातन धर्म विरोधी प्रोपेगेंडा पूरी दुनिया में चलाते हैं। इनको पैसे अजीम प्रेमजी देता है।

Continue in Next Part:- Written By Nagendra Pratap Singh (Advocate)

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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