भूकंप रूपी प्राकृतिक आपदा ने तुर्की को बताया कि दोस्त कौन है और दगाबाज दुश्मन कौन

जी हाँ मित्रों इस भयानक, विभत्स और प्रलयन्कारी भूकंप ने जब तुर्कीये सीरिया कि धरती को झकझोर कर हजारों मासूमों को अकाल मृत्यु का ग्रास बना दिया तो भारत तत्काल सबकुछ भूलकर मानवता के कर्म बिंदु को स्पर्श करता हुआ निस्वार्थ भाव से तुर्की कि सहायता के लिए आगे आया। भारत के द्वारा अपने दुःख में सम्मिलित होता देख और सर्वप्रथम सहायता देने वाले देश के रूप देख, ऐसा प्रतीत होता है कि तुर्की को इस तथ्य का एहसास हो गया कि एक गंभीर और उत्तरदायी देश कि दोस्ती कितनी महत्वपूर्ण होती है।

इसक साक्ष्य भारत में तुर्की के राजदूत फिरात सुनेल द्वारा किया गया यह “टवीट्” है जो सब कुछ अपने आप दर्शा रहा है, आइये तनिक इसके शब्दों पर गौर करें “Dost is a common word in Turkish and Hindi…. We have a turkish proverb: “Dost kara gunde belli ollur”

(A friend in need is a friend indeed) Thank you Very much.

मित्रों कहने को तो विश्व में ५६ इस्लामिक मुल्क हैं पर इस भयानक त्रासदी में सहायता पहुंचाने के लिए सर्वप्रथम कोई आगे आया तो भारत, फ्रांस, अमेरिका और जर्मनी इत्यादि देश हि हैं हाँ इस श्रेणी में एकमात्र देश सऊदी अरेबिया को भी आप जोड़ सकते हैं।

मित्रों आज तुर्की को भारत के साथ उसके द्वारा किये गए कूटनीतिक व्यवहार पर अवश्य पछ्तावा हो रहा होगा, जी हाँ तुर्की ने:-
१:- भारत के विकास के मार्ग पर पग पग पर कांटे बिछाए;
२:- कश्मीर के मुद्दे पर वो हमेशा पाकिस्तान का साथ देता रहा और भारत के विरुद्ध ज़हर उगलता रहा;
३:- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वो सदैव भारत में मुसलमानो के मानवाधिकार के हनन का झूठा मुद्दा उठाता रहा;
४:- भारत के संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाये जाने का सदैव विरोध करता रहा;
५:- उसने इस्लामिक दुनिया का खलीफा बनने के चक्कर में हमेशा भारत को बदनाम करता रहा और षड्यंत्र रचता रहा;
६:- उसने सदैव भारत के विरुद्ध चिन और पाकिस्तान का ना केवल समर्थन किया अपितु उनका साथ बढ़ चढ़ कर देता रहा;
७:- यंहा तक कि उसने भारत के गेंहू तथा अन्य अनाज को घटिया गुण वाला साबित कर उसका बाजार बिगाड़ने कि कोशिश की;
८:- तुर्की ने पाकिस्तान के साथ मिलकर वो सब किया जो वो भारत से दुश्मनी निकालने के लिए कर सकता था।

पर मित्रों यंहा जो देखने, समझने और परखने वाला तथ्य ये है कि, जिस पाकिस्तान के लिए युकी ने भारत से दुश्मनी निभाई, उस पाकिस्तान ने आज इस विपदा कि घड़ी में क्या किया, आप विश्वास नहीं करेंगे कि इस विभत्स आपदा कि घड़ी में: –
१:- जबकि ७००० से अधिक कि संख्या में नागरिकों कि मौत हो चुकी है;
२:- जबकि ६००० से ज्यादा बिल्डिंग धाराशाई हो चुके हैं;
३:- जबकि १० से अधिक शहर अपनी बर्बादी पर विश्वास ना कर पा रहे हैं;
४:- जबकि वंहा बिजली, जल और स्वास्थ्य कि व्यवस्था पूर्णतया ध्वस्त हो चुकी है;
५:-जबकि मित्र देशों का साथ तुर्की को तत्काल मिलनी चाहिए, ऐसे में पाकिस्तान ने कोई मानवीय सहायता (आर्थिक सहायता तो कंगाल दे नहीं सकता) भेजना तो दूर, उसने भारत द्वारा भेजी जाने वाली सहायता के लिए अपना Air space देने से मना कर दिया। भारत के विमानो को दूसरे और अत्यधिक लम्बे मार्ग से मानवीय सहायता तुर्की पहुंचानी पड़ी।

भारत ने १०० से अधिक NDRF के जवानो को, कई चिकित्सकों को, पर्याप्त मात्रा में दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुऐ तुर्की को भिजवाईपर दिनाक ८ फरवरी २०२३ को रिपब्लिक भारत के न्यूज़ पोर्टल पर छपे लेख के अनुसार तुर्किए और सीरिया (Syria) में भूकंप के बाद से, भारत ने दोनों देशों को तत्काल प्रभाव से सहायता भेजी है। इस क्रम में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) का C130J-हरक्यूलिस विमान (C130J-Hercules aircraft) मंगलवार रात गाजियाबाद के हिंडन हवाई अड्डे (Hindon Airport) से उड़ान भरी। सरकार की ओर से दोनों देशों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रहे हैं।

भारतीय पैरा विशेष बल की महिला अधिकारियों और जवानों का एक दस्ता भी तुर्की के लिए रवाना हुआ। दस्ते की प्लाटून कमांडर ने कहा,

“हमारा दिल तुर्की के लोगों के लिए दुखी है। हमारी ९९-सदस्यीय सहायता टीम तुर्की के लोगों को सभी आवश्यक सहायता और राहत प्रदान करने के लिए कई प्रकार के विशेष उपकरण ले जा रही है। हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे और तुर्की में सामान्य स्थिति लाने के लिए मानवीय और आपदा राहत प्रयासों में योगदान देंगे”!

मित्रों भारत ने तुर्की और सीरिया के लिए जो सहायता सामग्री भेजी है उसमें चिकित्सा उपकरण, चिकित्सा दल, एनडीआरएफ की टीमें, बचाव, डॉग स्क्वायड और राहत सामग्री सभी मौजूद हैं। एक्स-रे उपकरण, वेंटिलेटर, हार्ट मॉनिटर और ऑक्सीजन उत्पादन सुविधाएं भी चिकित्सा आपूर्ति में शामिल हैं। पहली मेडिकल टीम आगरा के आर्मी फील्ड अस्पताल के ९९ कर्मी शामिल है।

मित्रों श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जो ने परोपकार कि भावना का जो चित्रण किया है वो अद्भुत है, परम संत गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं:

“पर हित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई॥
निर्नय सकल पुरान बेद कर। कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर॥
अर्थात हे भाई! दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को दुःख पहुँचाने के समान कोई नीचता (पाप) नहीं है। हे तात! समस्त पुराणों और वेदों का यह निर्णय (निश्चित सिद्धांत) मैंने तुमसे कहा है, इस बात को विद्वान लोग जानते हैं॥
और मित्रों हम सनातनी धर्म के लोग तो अपने दुश्मनों पर विपत्ति आती है और नुकसान होता है, तो सबकुछ भूलकर उनके दुःख में सम्मिलित होते हैं और हर संभव सहायता पहुंचाते हैं, हमारे शास्त्र हमें यही शिक्षा देते हैं: –

“परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः । परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थ मिदं शरीरम् ॥”
जिस प्रकार परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं, नदीयाँ परोपकार के लिए ही बहती हैं और गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं अर्थात् यह शरीर भी परोपकार के लिए ही है, हे मित्रों उसी प्रकार हम सनातनी भी स्वार्थ से परे हट कर विश्व कि सेवा हेतु सदा तत्पर रहते हैं।

पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः। नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः परोपकाराय सतां विभृतयः ॥
अर्थात हे मित्रों, जिस प्रकार नदियाँ अपना पानी खुद नहीं पीती, वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते, बादल खुद ने उगाया हुआ अनाज खुद नहीं खाते ।हम सनातन धर्मी सत्पुरुषों का जीवन परोपकार के लिए हि होता है । हम तो सदैव प्रार्थना करते हैं: –
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
अर्थात सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

एक तरफ भारत जैसा परोपकारी देश है और वंही दूसरी ओर पाकिस्तान जैसा स्वार्थी, लालच से भरा और अवसरवादी देश है। एक ओर भारत है, जिसने अफगानिस्तान और तुर्की और सीरिया को सहायता देने में एक पल कि भी देरी नहीं लगाई और वंही दूसरी ओर पाकिस्तान है जिसने सहायता देना तो दूर कि बात है भारत द्वारा सहायता पंहुचाये जाने में भी रुकावट पैदा कि।
तुर्की जैसे देश को अच्छे भले कि पहचान कराने के लिए हि हमारे शास्त्र कहते हैं: –
तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायाश्र्च मस्तके।
वृश्र्चिकस्य विषं पृच्छे सर्वांगे दुर्जनस्य तत्॥
दुर्जनः स्वस्वभावेन परकार्य विनश्यति।
नोदरतृप्तिमायाति मुषकः वस्त्रभक्षकः॥
सर्प का झहर दांत में, मक्खी का मस्तक में और बिच्छु का पूंछ में होता है। लेकिन दुर्जनका झहर तो उसके पूरे अंग में होता है
दुर्जन अपने स्वभाव से हि दूसरे के कर्य को हानि पहुँचाता है। वस्त्रभक्षक चूहा उदर तृप्ति के लिए वस्त्र नहीं काटता! खैर अब तो यह तुर्की को समझना है कि असली दोस्त कौन है?

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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