मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक

मित्रों एक पुष्प ने अपनी अभिलाषा कविवर स्व श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के शब्दों के माध्यम से व्यक्त की थी, परन्तु तनिक उन विरो के बारे में यदि हम विचार करे तो निसंदेह आप और हमारी सबकी अभिलाषा कुछ इसी पुष्प की भांति होगी। हम सनातन धर्मी सदैव अपनी मातृ भूमि कि सुरक्षा हेतु अपने जीवन का बलिदान करने वाले उन परम विरों को अत्यंत श्रद्धा और गर्व से याद करते हैं और सम्मान भी देते हैं। इसीलिए हमारी मातृभूमि के यशगाथा में आम लोगो की हार्दिक भावनाओ को पिरो कर कवि स्वर्गीय श्री श्याम नारायण पांडेय कह उठते है:-

जहाँ आन पर माँ – बहनों की, जला जला पावन होली

वीर – मंडली गर्वित स्वर से, जय माँ की जय जय बोली,

सुंदरियों ने जहाँ देश – हित, जौहर – व्रत करना सीखा,

स्वतंत्रता के लिए जहाँ,बच्चों ने भी मरना सीखा,

वहीं जा रहा पूजा करने,लेने सतियों की पद-धूल।

वहीं हमारा दीप जलेगा, वहीं चढ़ेगा माला – फूल॥

मित्रों हमारे देश का वीर सैनिक जब युद्ध के मैदान में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए उतरता है तो अपना सर्वस्य बलिदान करने हेतु सदैव तत्पर रहता है। उस वीर के साथ उसके जननी और जनक का आशीर्वाद तो होता ही है  हम सभी सनातन धर्मियो का विश्वास और आशीर्वाद भी उसके साथ जुड़ जाता है। युद्ध के मैदान में उतरा हर वीर सैनिक दुश्मन पर विजय प्राप्त करने हेतु युद्ध करते वक्त बस यही सोचता है :-

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम्।

महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।।

अर्थात  हे वात्सल्य मयी मातृ भूमि, तुम्हें सदा प्रणाम करता हूँ। इस मातृभूमि ने अपने बच्चों की तरह प्रेम और स्नेह दिया है। सुखपूर्वक हिन्दू भूमि पर मैं बड़ा हुआ हूँ। यह भूमि मंगलमय और पुण्यभूमि है। इस भूमि के लिए में अपने नश्वर शरीर को अर्पण करते हुए इस  मातृभूमि को बार बार प्रणाम करता हूँ।

और उनकी इसी भावना को ध्यान में रखकर कविवर प्रदीप ने भी अमर गीत की रचना करते हुए लिखा था :-

ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो क़ुरबानी।।

और हमारे विरो के इसी बलिदान को सच्चे अर्थो में सम्मान देना शुरू किया गया, जब वर्ष १९४३ ई में अमर स्वतन्त्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा (धूर्त और मक्कार अंग्रेजो को उन्ही की भाषा में उत्तर देकर उनके काले और वीभत्स साये को इस मातृभूमि की पवित्र परिवेश से दूर भगाने के लिए) स्थापित की गयी आज़ाद हिन्द सरकार, वर्ष २०१४ में प्रथम बार पुन: अस्तित्व में आयी और भारतीय जनमानस ने आदरणीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी के नेतृत्व में प्रथम बार नेताजी के सपनो को साकार करने वाली सरकार के हाथो में देश की बागडोर सौपी।

मोदी जी ने कांग्रेसियो के मकड़जाल में फंसकर धूमिल हो रही देश के प्रथम सर्वोच्च कमांडर, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री नेताजी की छवि को उनका उचित स्थान दिलाने की पावन मुहिम छेड़ी और उनके जन्मतिथि को “पराक्रम दिवस” के रूप याद करने और उत्सव मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने दिल्ली के इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक का मार्ग जो पहले “राजपथ” कहलाता था और गुलामी की याद दिलाता था, उसे “कर्तव्य पथ” का नाम दे दिया। इसके पश्चात विरो के याद के लिए एक “वार मेमोरियल” का निर्माण करवाया, जो अत्यंत अद्भुत और गौरवशाली है। इसके पश्चात वंहा पर हम सबके प्रिय “नेताजी” के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवा दी। उस “वार मेमोरियल” में मातृ भूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी स्वतन्त्रता सेनानियों के नाम लिखे गए हैं।

और २३ जनवरी २०२३ को एक इतिहास रचते हुए मोदी जी ने अंदमान निकोबार द्वीप समूह के २१ द्वीपों के नाम हमारे देश के २१ परमवीर चक्र विजेता योद्धाओं के नाम पर रख दिया पुरे विश्व के समक्ष और वो भी डंके की चोट पर। अब इन २१ द्वीपों को परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले योद्धाओ के नाम से जाना जाएगा।अंडमान निकोबार के जिस द्वीप पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने निवास किया था, वहां उनके जीवन और योगदानों को समर्पित एक प्रेरणा स्थली के रूप में एक स्मारक का भी शिलान्यास किया गया है। नेताजी का ये स्मारक बलिदानियों और वीर जवानों के नाम से जाने वाले ये द्वीप इस देश के  युवाओं के लिए और भविष्य की पीढ़ियों के लिए चिरंतर प्रेरणा का का कार्य करेंगे।

विदित हो कि अंडमान की ये धरती वो भूमि है जिसके आसमान में प्रथम बार स्वतंत्र तिरंगा फहरा था। अंडमान निकोबार की इस धरती से आप भला स्वातंत्र्यवीर वीर दामोदर सावरकर के रिश्तो को कैसे भूल सकते हैं| वीर सावरकर को अपने शासन के लिए सबसे खतरनाक मैंने वाले धूर्त और मक्कार अंग्रेजो ने उन्हें २ काले पानी की सजा देकर इसी धरती पर बने सेल्युलर जेल में डाल दिया था। इसी धरती पर वीर सावरकर और अनेक अनगिनत वीरों ने देश के लिए तप, त्याग और बलिदानों  का अद्भुत और पवित्र उदाहरण प्रस्तुत किया था। सेल्यूलर जेल की कोठरियां उस दीवार पर जड़ी हुई हर चीज आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज्बे के स्वर वहां पहुंचने वाले हर किसी के कान में सुनाई पड़ते हैं लेकिन दुर्भाग्य से स्वतंत्रता संग्राम की उन स्मृतियों की जगह अंडमान की पहचान को  गुलामी की निशानियों से जोड़कर रखा गया था, ऐसा कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी के ह्रदय में उठने वाले कांग्रेसियो के प्रति क्षोभ को आसानी से समझा जा सकता है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष  रूप से हर हिंदुस्तानी के ह्रदय की ध्वनि है।

तीन मुख्य आइलैंड्स (१) रॉस आइलैंड नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप बन चुका है, (२) हैवलॉक और नील आइलैंड, स्वराज और शहीद आइलैंड्स बन चुके हैं और ये “स्वराज” और “शहीद” नाम स्वय नेताजी का दिया हुआ था। जब आजाद हिंद फौज की सरकार के ७५ वर्ष पूरे हुए तो मोदी जी की सरकार ने इन नामों को फिर से स्थापित किया था। मित्रो आज २१ वीं सदी का ये समय देख रहा है कि कैसे जिन नेताजी सुभाष को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हीं नेताजी को पल-पल याद कर रहा है। “दशकों से नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग हो रही थी, ये काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया”- प्रधानमंत्री जी के इन शब्दों ने देश में एक विशेष विश्वाश का वातावरण बनाया है।

मित्रों  जिन परमा वीर योद्धाओ के नाम पर २१ द्वीपों का नामकरण किया गया है, उनके नाम निम्नलिखित हैं:- मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और मानद कप्तान (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एमएम द्वितीय लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, हवलदार मेजर पीरू सिंह कैप्टन जीएस सलारिया, लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा, सूबेदार जोगिंदर सिंह, मेजर शैतान सिंह, अब्दुल हमीद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग अधिकारी निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव हैं।”

याद रखिये मित्रों ये तो बस छोटी सी शुरुआत है हमें महाराज हेमू, सूरजमल,माता पन्ना धाय, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्द सिंह, छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रसाल, पेशवा बाजीराव तात्या टोपे, रानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावती मंगल पांडे, बिस्मिल, लाल, बाल, पाल, आज़ाद, शहीदे आज़म, बटुकेश्वर दत्त, सुखदेव, अशफाक, दुर्गा भाभी, खुदी राम बोस, जतिन पाल इत्यादि जैसे इस देश के महान सपूतो/योद्धाओ को उनका उचित और समुचित स्थान प्रदान करना है और उनकी महिमा को घर घर तक पहुंचाना है। तभी हम ह्रदय से, ख़ुशी से और पुरे उत्साह और उमंग से ये गन गुना पाएंगे:-

ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहां

पटेल, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहां।

रंग हरा हरी सिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से

रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर सावरकर से।

‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती…   

अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्।

श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।।

हमें ऐसी अजेय शक्ति दीजिये कि सारे विश्व मे हमे कोई न जीत सकें और ऐसी नम्रता दें कि पूरा विश्व हमारी विनयशीलता के सामने नतमस्तक हो। यह रास्ता काटों से भरा है, इस कार्य को हमने स्वयँ स्वीकार किया है और इसे सुगम कर काँटों रहित करेंगे, बस इसी कामना के साथ हम सभी भारतीयों को अपनी सेना और मोदी जी के हाथो को सामर्थ्यशाली बनाये रखना है।

नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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