कार्तिक मास में दीप प्रज्वलित क्यों करते हैं

गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है उपवास के समान कोई व्रत। नहीं है शांति के समान कोई सुख नहीं कार्तिक माह के समान कोई माह नहीं।

कार्तिक माह भगवान विष्णु के अत्यंत प्रिय है। इस माह में किया हुआ दीपदान व्रत, उपवास, दान, भगवत चर्चा और कीर्तन शुभ फल प्रदान करते हैं| दरिद्रता का नाश और पापों का शहर होता है।

कार्तिक माह में दीपदान करने से समस्त पापों का शह हो जाता है। ऊंचाई पर आकाशदीप जलाने से धन की वृद्धि होती है दीपदान करते समय प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए। कि हे प्रभु मैं दीप प्रज्वलित कर रहा हूं।

दीप किसी धातु का हो सकता है या मिट्टी का  दीपदान में देव मूर्ति ,तुलसी वृक्ष ,निवास, गोशाला, देवालय, नदी सरोवर, बगीचा के पास घी या तेल से दीप दान करना चाहिए।

कार्तिक माह में दीपदान ना हो सके तो कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की दूरी तक 5 दिन दीपदान अवश्य करना चाहिए| इससे मृत्यु के देवता यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु नहीं होती है। इन 5 दिन भी दीपदान संभव ना हो तो कम से कम आवश्यक  अमावस्या वाले दिन दीप दान करना चाहिए।

इससे दरिद्रता का नाश होता है लक्ष्मी की स्तुति करके  दीपमालिका से अलंकृत  करना चाहिए। पुराणों में दीपदान से संबंधित अनेक रोचक कथाएं मिलती है।

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