आखिर सोशल मीडिया पर क्यों सख्त हो रही है सरकार?

आखिरकार भारत सरकार को सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी के चलते आगे आना पड़ा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के अपने यूज़र्स की शिकायत अनसुना करने पर केंद्र सरकार की गठित ‘अपीलिय समिति’ तक जाने का अधिकार सुनिश्चित करना पड़ा.

केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडिएटरी गाइडलाइन और डिजिटल मीडिया एथिक्स) संशोधन नियम, 2022 के तहत् अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों को अपने यूज़र्स की शिकायतों को गंभीरता से लेना होगा और भारतीय नागरिकों को भारतीय संविधान में मिले अधिकारों को सुनिश्चित करना होगा. यदि भारत में काम कर रहीं सोशल मीडिया कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म के भारतीय यूज़र की शिकायत पर कोई कार्रवाई तय समयसीमा में नहीं करती है, तो भारतीय यूज़र्स के पास केंद्र सरकार की अपीलीय समिति का अधिकार होगा.

भारत सरकार का सोशल मीडिया कंपनियों को लेकर ये कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के भारतीय यूज़र्स की लगातार आ रही शिकायतों के बाद उठाया गया. लंबे समय से भारतीय यूज़र्स की शिकायतें आ रहीं थीं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संबंधित अधिकारी भारतीय यूज़र्स की शिकायतों का मनमाने तरीके से निपटारा करते हैं. उदाहरण के लिए दक्षिणंपथी विचारधारा के समर्थक लंबे समय से शिकायत कर रहे थे कि वामपंथी विचारधारा के समर्थकों की फेक न्यूज़ पर ट्विटर कोई कार्रवाई नहीं करता. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ याने आरएसएस के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के ट्विटर अकाउंट पर कार्रवाई की, लेकिन अल्ट न्यूज़ के मोहम्मद जुबेर को लेकर लगातार शिकायतें करने के बावजूद उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर भारत सरकार इतनी गंभीर क्यों हो गई. इसे हम नई दिल्ली में हो रही संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के सुरक्षा परिषद् की आतंकवादी रोधी समिति की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के बयान से समझना होगा. यूएन की इस अहम बैठक में जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आतंकी समूह अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का एक हथियार के रूप में करने लगे हैं. इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आतंकी समूह और उनके वैचारिक समर्थक देश के सामाजिक ताने-बाने में अपना विष धोल रहे हैं.

अब सवाल उठता है कि बार-बार चेताने के बाद भी आखिर क्यों सोशल मीडिया कंपनियां अपने तरीकों में कोई बदलाव क्यों नहीं कर रहीं थी. इसके जवाब लिए हमें सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भारतीय बाजार की अहमियत को समझना होगा. पूरी दुनिया के 58.7 फीसदी याने 4.65 अरब लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हैं, जिसके चलते साल 2022 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का वैश्विक बाजार 221.29 अरब डॉलर याने 18.2 लाख करोड़ रूपये है, जो दुनिया के अधिकांश देशों के सालाना बजट से ज्यादा है. अकेले फेसबुक का कारोबार 86 अरब डॉलर है, वहीं यूट्यूब 28.8 अरब डॉलर का कारोबार करती है, इंस्टॉग्राम 24 अरब डॉलर, तो टिकटॉक 11 अरब डॉलर का कारोबार कर रही है.

ट्विटर और वॉट्सअप भी 5 अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार करते हैं. और इनमें से अधिकांश कारोबार भारतीय यूज़र्स के चलते हो रहा है. क्योंकि भारत में साल 2022 तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूज़र्स की संख्या 46.7 करोड़ तक पहुंच गई है। सिर्फ साल 2021-22 के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारतीय यूज़र्स की संख्या 4.2 फीसदी की दर से बढ़ी है, जिसके चलते इन सोशल मीडिया कंपनियों के भारत से सिर्फ एक साल में 1 करोड़ 90 लाख नए यूज़र्स मिलें हैं.

डेटारिपोर्टल की मानें तो फेसबुक के पास 33 करोड़ भारतीय यूज़र्स हैं, इस तरह फेसबुक भारत की कुल जनसंख्या के एक चौथाई को अपना यूज़र्स बना चुकी है. दूसरे तरीके से कहें तो भारत के कुल इंटरनेट यूज़र्स की आधी आबादी अब फेसबुक की ग्राहक है, और इन्हीं के दम पर फेसबुक विज्ञापनदाताओं से अरबों की कमाई कर रहा है। इसी तरह यूट्यूब के साल 2022 तक 46.7 करोड़ भारतीय यूज़र्स है, जो भारत की कुल जनसंख्या का एक तिहाई है.

इसी तरह इंस्टॉग्राम के 23 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. इन आंकड़ों को दूसरी तरह से समझे तो जितनी अमेरिका की जनसंख्या है, उतने तो फेसबुक के पास भारतीय यूज़र्स हैं. आने वाले कुछ ही साल में सोशल मीडिया कंपनियों को यूरोप की कुल जनसंख्या 75 करोड़ से ज्यादा यूज़र्स तो सिर्फ भारत से ही मिल जाएंगे.

इन आंकड़ों से ये तो साफ होता है कि इन ग्लोबाल सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, और ये कंपनियां अपने निवेशकों, विज्ञापनदाताओं के सामने बड़े आंकड़ें लाने के चलते बहुत-सी यूज़र्स की शिकायतों के नज़रअंदाज़ कर रहीं हैं।.सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के मालिक बने एलन मस्क ने भी आरोप लगाया था कि जब वे ट्विटर को खरीदने जा रहे थे, तब उन्होंने ट्विटर पर फेक अकाउंट्स की जानकारी मांगी थी, जिसे तत्कालीन कंपनी प्रबंधन ने देने से इंकार कर दिया था.

इसी तरह फेक न्यूज़ के चलते यूज़र्स आपस में ऑनलाइन बहस में लग जाते हैं, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कंपनी को यूज़र्स के ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का फायदा होता है. मुनाफे के लिए भारतीय यूज़र्स के अधिकारों को नजरअंदाज़ करने के चलते आखिरकार भारत सरकार को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडिएटरी गाइडलाइन और डिजिटल मीडिया एथिक्स) संशोधन नियम, 2022 के तहत् ये कदम उठाना पड़ा.

निमिष कुमार :दिल्ली स्कूल ऑफ इकानॉमिक्स के स्कॉलर रहे लेखक वरिष्ठ पत्रकार ग्लोबल इकॉनामी कवर करते हैं.

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