मोबाइल की लत के हानिकारक प्रभाव क्या हैं?

आज की दुनिया में, लगभग 95% लोग फोन की लत से पीड़ित हैं। इस लत का सकारात्मक प्रभाव से अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह लत स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी दोनों के लिए खतरनाक है। यह अनपेक्षित मनोवैज्ञानिक प्रभावों की संख्या को भी दर्शाता है, जैसे: –

1. नींद की कमी: कार्यस्थलों, मित्रों, रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों आदि के लगातार संदेशों और कॉल के कारण, हम हमेशा सोचते हैं कि कोई व्यक्ति हमें संदेश या कॉल करने जा रहा है, इसलिए मुझे उसके संदेश या कॉल का जवाब देना चाहिए और इसकी वजह से इस लत को हम अपना अधिकांश समय चिट-चैटिंग में बिताते हैं।

2. एकाग्रता शक्ति का नुकसान: हम अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं और अक्सर गलती करते हैं और दिए गए समय में अपना काम पूरा नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा, जब हम कुछ काम करना शुरू करते हैं, तो हम हमेशा इसे जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करते हैं लेकिन इससे अक्सर कुछ गलतियाँ और कुछ समस्याएं हो जाती हैं।

3. फैंटम पॉकेट वाइब्रेशन लक्षण: इस सिंड्रोम में किसी को लगता है कि फोन वाइब्रेट कर रहा है लेकिन फोन बिल्कुल भी वाइब्रेट नहीं कर रहा है। फोन की रिंगिंग के दौरान भी यही बात होती है, कोई सोचता है कि फोन बज रहा है लेकिन फोन बिल्कुल नहीं बज रहा है।

4. चिंता विकार: अनुसंधान ने साबित किया है कि कॉलेज जाने वाले छात्र जो सेल फोन का उपयोग कर रहे हैं, उनके खाली समय के दौरान उत्सुकता से भरने की अधिक संभावना है।

5. अवसाद: फोन का अधिक उपयोग करने के कारण जब हमारा फोन हमारे पास नहीं होता है तो हम अस्थिर और उदास महसूस करते हैं।

6. रिश्तों में गड़बड़ी: जब हम अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों या किसी समूह के साथ होते हैं तो अपने मोबाइल फोन में लगातार सिर रखते हैं और उनसे संवाद नहीं करने से गलतफहमी पैदा होती है। और रिश्तों का बंधन शिथिल हो जाता है।

कुछ खतरनाक शारीरिक प्रभाव इस प्रकार हैं: –

1. डिजिटल आई स्ट्रेन: इस आई स्ट्रेन में कोई व्यक्ति 2-3 घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर अपनी दृष्टि नहीं रख पाता है। आँखें खुजलाने लगीं। आंख की लाली भी हो सकती है। यह अधिकांश समय धुंधली दृष्टि की ओर जाता है जो चीजों को ठीक से देखने में असमर्थ बनाता है। फोन के अधिक उपयोग के कारण यह सिरदर्द की ओर भी ले जाता है।

2. गर्दन की समस्या: यह एक ऐसी समस्या है जिसमें से एक गर्दन की बीमारी और गर्दन में दर्द से पीड़ित है। यह समस्या गलत स्थिति में बैठने और टेक्सटिंग संदेशों के लिए गर्दन को लंबे समय तक झुकाने के कारण होती है।

3. पीठ की समस्याएं: गेम खेलने के लिए या काम के उद्देश्य के लिए लगातार कंप्यूटर के सामने बैठे रहने से पीठ की जबरदस्त समस्याएं हो सकती हैं जो आजीवन भी हो सकती हैं।

4. कार दुर्घटनाएं: आजकल लोग ऑडियो सुनने या कार चलाने के दौरान आईपीएल मैच देखने के लिए कार चलाने के दौरान भी मल्टी टास्किंग करने में विश्वास करते हैं, जिसके कारण कार दुर्घटनाएं काफी बढ़ गई हैं

मोबाइल की लत्त कैसे छोड़ी जा सकती है। पुराने टाइम की एक कहावत है, जो इंसान की जरुरत को दर्शाती है उस के अनुसार रोटी कपडा और मकान ये आदमी की पहली जरुरत होती है, लेकिन आज इन के साथ हमारा मोबाइल भी जुड़ चूका है। वैसे तो मोबाइल का यूज़ आज के टाइम पर बहुत जरुरी हो गया है।

अब बात ये है की आप मोबाइल का इस्तेमाल किस लिए करते है। आप सब से ज्यादा टाइम मोबाइल मैं कहाँ ख़राब कर रहे हो। सोशल मीडया जैसे व्हाट्सअप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, मेस्सेंजर, या फिर किसी और साइट या सोफ्टवेयर पर उसे नोट करे। हम जब भी आपने मोबाइल को किसी काम के लिए उठाते है, तो जैसे ही डिस्प्लै ऑन करते है तो सब से पहले क्या दिखाई देता है? नोटिफिकेशन अब वो नोटिफिकेशन फेसबुक या व्हाट्सअप किसी का भी हो सकता है। अब हम क्या करते है आपने काम छोड़ कर उस पर लग जाते है और काम को भूल जाते है। ऐसा हमारे साथ दिन मैं पता नहीं कितनी बार होता है।

आप सब से पहले आपने सभी अप्प के नोटिफिकेशन बंद कर दे। और हो सके तो उसे डिलीट कर दे। अगर ये आपके लिए पॉसिबल नहीं है तो थोड़ा एकांत मैं बैठ जाये और सोचे इसे यूज़ करने से हमारा क्या फायदा हो रहा है। और फायदा हो रहा है तो वो कहा तक हमारे और हमारी फैमिली के लिए अच्छा साबित हो रहा है। वैसे 95 % चांस मैं ऐसा नहीं होता हम बस आपने टाइम पास और एन्जॉय करने के लिए मोबाइल को यूज़ करते है। करना कुछ और चाहते है हो कुछ हो रहा है। पता नहीं मोबाइल हमारे कण्ट्रोल मैं है या हम मोबाइल के।

अब आप को करना क्या है। मैं अपनी बताता हूँ। मुझे जब भी कोई आदत छोड़नी होती है तो मैं क्या करता हूँ। मैं भी मोबाइल से तंग था और ये ऊपर जो बाते मैंने बताई है मैं एक्सपीरयंस कर चूका हूँ। मैंने भी अपनी लत्त को छोड़ा है, मैं क्या करता हूँ मुझे जब भी अपनी कोई आदत छोड़नी होती है। मैं एक टारगेट बनाता हूँ। मैंने शुरुवात मैं मोबाइल को बहुत छोड़ना चाहा। मेरी हालत इतनी ख़राब थी कि घर वाले बोलते रहते बेटा ये काम कर ले ये कर ले पर मैं आपने मोबाइल से चिपका रहता मैं उस दौर मैं काफी चिड़चिड़ा हो चुक्का था। सब से गुस्से से बात करता कोई भी मुझे बोलता तो एक दम से गरम अब ये क्या काम बताएगा। एक मिनट के लिए मोबाइल छोड़ने को तैयार नहीं। पर मेरे दिमाग मैं एक बात रहती कि अब मैं ज्यादा ही गुस्स चुक्का हूँ इस मैं। मैं तंग था मोबाइल से पर छोड़ नहीं पा रहा था। मैंने जैसे तैसे कर के खुद को कण्ट्रोल करना चाहा पर नहीं हुआ।

फिर मैंने अपना टारगेट बनाया। पहला टारगेट:- मैं दो घंटे के लिए मोबाइल यूज़ नहीं करूँगा। अगर किया तो अपनी एक अप्प को डिलीट कर दूंगा। अब टारगेट तो बना लिया पर पूरा कर पाना बहुत मुश्किल 10 मिनट निकले 20 निकले, फिर कब मैं आपने टारगेट को भूल मोबाइल मैं लगा पता नहीं चला। और जब टारगेट याद आया मैं मनं ही मनं खुद को बुरी भली कहने लगा रियल मैं खुद से बहुत ज्यादा शर्मिंदा हुआ। मैं एक छोटा सा टारगेट पूरा कर न सका मेरे सपने तो बहुत बड़े है वो कैसे पुरे होंगे। अब बात पनिसमेंट कि, मैं टारगेट भूल गया कोई बात नहीं पर मैंने खुद को पनिसमेंट किया और मैंने अपने दिल पर पत्थर रख कर व्हाट्सअप को डिलीट कर दिया। मैं बार बार प्लेस्टोरे जा कर व्हाट्यसाप डावनलोड करने कि सोचता पर दिल कहता भाई बदलना है के नहीं। मैंने जैसे तैसे कर के खुद को कंट्रोल किया।

मैंने दूसरा टारगेट तीन दिन बाद किया उस दिन भी दो घंटे के लिए मोबाइल न यूज़ करने कि कसम खाई। और उस दिन भी वही हुआ एक घंटा बीस मिनट बाद मोबाइल फिर हाथ मैं। टारगेट फिर छुट्टा पर पनिसमेंट मैंने उस दिन भी खुद को किया। मैंने फेसबुक को डिलीट कर दिया। अब वैसे भी चलाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं बचा था मोबाइल मैं। अब मैंने सोचा के पहले टारगेट और दूसरे टारगेट के बिच क्या डिफरेंट रहा। पहले दिन बीस मिनट बाद मोबाइल यूज़ किया और आज एक घंटा बीस मिनट यानि एक घंटे का डिफरेंट। मेरे समज मैं आ गया मेरे अंदर सब्र तो आया पर कुछ खो कर। उस दिन बाद मैंने बहुत सरे टारगेट बनाये और पूरा किया आप भी ऐसे कर सकते हो।

किसी ने कहाँ है (RIp इर्र्फान खान फिल्म स्टार ) दिमाग को आपने ऊपर हावी मत होने दो दिमाग के ऊपर खुद हावी हो जाओ। दिमाग आपने ऊपर हावी रहेगा तो ऐसी दिक्कते आती रहेगी। और दिमाग पर आप हावी हो जाओगे तो कुछ भी इम्पॉसिबल नहीं है।

आप भी अपनी आदत छोड़ सकते हो। बस खुद को पुनिसमेंट देना सीखो। मैंने अपनी ज़िंदगी को ऐसे ही बदला है। टारगेट बनाओ

मैं आज सब अप्प यूज़ करता हूँ। पर मैं व्हाट्सअप फेसबुक को यूज़ करता हूँ, वो मुझे नहीं। सोशल मीडिया हमारी एनर्जी को चूस जाते है।

आपने उत्पर काम करो सब कुछ पॉसिबल है।

Dr Rajeev Ranjan Singh

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