जब रावण ने पूछा- कहां हैं मेरे हस्ताक्षर?

वालिसुत अंगद छलांग लगाकर लंका के परकोटे को पार कर रावण के दरबार में पहुँचे। उन्होंने कहा, “मैं वालि का पुत्र और श्री रामचन्द्र जी का दूत अंगद हूँ। श्री रामचन्द्र जी ने कहलाया है कि हवाला से संपति बना कर और मदिरा का राजस्व चुरा कर जो जघन्य अपराध किया है, उसके लिये मैं परिवार सहित तुम्हारा और तुम्हारे वंश का नाश करूँगा।”

“ये हवाला का बिजनेस तो कुंभकर्ण देखता है।”

“कुंभकर्ण की जेल में यादाश्त चली गई है किंतु हम जानते हैं कि हवाला के असली लाभ तुम्हें ही प्राप्त हुए हैं।”

“यादाश्त नहीं गई वो 6 महीने सोता है, नींद पूरी नहीं होने के कारण यदा कदा अंड शंड बकता है। रही बात मदिरा नीति की, तो 8 साल से हमारी कोई नीति ही नहीं है तो मदिरा नीति कैसे होगी? यह रूपवान इंद्रजीत प्रजा के आनंद के लिए बाय वन गैट वन की नीति लाया था ऐसी क्रांतिकारी नीति लाने के लिए हमने उसे लंका रत्न से सम्मानित किया है।”

“पापी, जहां प्रजा को साफ जल और वायु नहीं मिलता वहां तूने फ्री की मदिरा ही नहीं बाँटी अपितु मदिरा डीलरों से उत्कोच भी प्राप्त किया है। “

“अरे मूर्ख, हमने प्रजा को 200 इकाई विद्युत फ्री दी है जिस पर प्रजा मोबाइल रीचार्ज कर, मदिरा पी कर टिकटॉक बना सोशल मीडिया पर अपलोड कर अपने मनोरंजन में व्यस्त है। ये देख लंका टाइम्स में छपा विज्ञापन। पूरे विश्व में हमारे फ्री के लंका मॉडल की चर्चा है।”

“तेरे पापों का घड़ा भर गया है पापी, अब तुझे कोई नहीं बचा सकता।”

“लंका में सब और मेरे फोटो हैं, होर्डिंग्स, बसें, मेट्रो, समाचार पत्र, टीवी, मीडिया सब जगह मेरा चेहरा है किंतु यदि फाईलों में कुछ गलत हुआ है तो दिखा कहां मेरा नाम है और कहां मेरे हस्ताक्षर हैं? हाहा हाहा हाहा………. “

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