इनकी हैवानियत का कोई अंतिम बिंदु नही है

क्या हो रहा है भारत में? जो हो रहा है वो बिलकुल भी सही नही हो रहा है। सिर तन से जुदा करने वाले कठमुल्लों ने देश में अशांति और अराजकता का माहौल पैदा कर दिया है। हाथ में छुड़ा चाकू लेकर निकल पड़ते है काफिरों का गर्दन उड़ाने के लिए। धमकी या चेतावनी क्या ये खुल्लमखुल्ला घोषणा कर के अपने घृणित कार्य को अंजाम दे रहे है। अभी हाल ही की घटना है कर्नाटक में उर्दू न बोल पाने के चलते की गयी थी हिंदू युवक की हत्या। उदयपुर में 2 और हिंदू व्यापारियों को मिली जान से मारने की धमकी। बरेली में सातवी कक्षा में पढ़ने वाली हिंदू बालिका का उवैस, नदीम और उनके 2 और साथियों ने किया था बलात्कार। प्रधानमंत्री के आगामी बिहार दौरे में गड़बड़ी फैलाने की तैयारी कर रहा नूरुद्दीन गिरफ्तार हुआ। और नाटक ऐसा बना रखा है कि इनको हिंदुस्तान में रोज प्रताड़ित किया जा रहा हो।

नूपुर शर्मा के बयान को लेकर किस तरह का बवाल हुआ था देश भर में ये तो किसी से छिपा हुआ नही है। जगह- जगह आगजनी और पत्थरबाजी की गई थी जिहादियों द्वारा। इतना ही नही नुपुर शर्मा के समर्थको के ऊपर जानलेवा हमला किया जा रहा है। नूपुर जी को खुद जान से मारने की धमकी दी जा रही है। ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है एक स्त्री के लिए मैं उसको यहां लिख नही सकता बाकी आप सब खुद ही समझदार है। भारत की भूमि पर जो बीज जहर का बोया जा रहा है उसको नष्ट करना ही पड़ेगा वरना पंनपते ही पूरी हिंदू सभ्यता और संस्कृति का विनाश निश्चित है।

स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले यूपी एटीएस ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद और अन्य आतंकवादी संगठनों से जुड़े आतंकी मोहम्मद नदीम को शुक्रवार को सहारनपुर से गिरफ्तार किया था। एटीएस के मुताबिक नदीम किसी बड़े फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा था। उसे भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की हत्या का टास्क भी सौंपा गया था। इससे पहले आजमगढ़ से आईएसआईएस का आतंकी एटीएस के हत्थे चढ़ा था। यूपी पुलिस के आतंकी निरोधक दस्ते ने आगामी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आतंकी हमला करने के मकसद से विस्फोट करने की योजना बना रहे एक जिहादी धर दबोचा था। इसने बहुत खुलासे किए है। कितने बड़े स्तर पर ये योजना बनकर अंजाम देने की कोशिश करते है और लोग सेकुलर बनने के चक्कर में कहते है आतंकियो का कोई धर्म या मजहब नही होता..!

अरे अमेरिका में जो हुआ वो कम है क्या? या किसी से छिपा हुआ है लेखक सलमान रुश्दी को 12 अगस्त को उस समय चाकू मार दिया गया, जब वह अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में बोलने के लिए तैयार थे। वह जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे हैं। सलमान रुश्दी अपने उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ (1981) के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं। 1983 में उनकी किताब ‘शेम’ आ आई थी और फिर पांच साल बाद 1988 में आई ‘द सैटेनिक वर्सेज़’ ने पूरे इस्लामिक जगत में हलचल मचा दी थी। 1989 में उनके उपन्यास, सैटेनिक वर्सेज के प्रकाशन के बाद, जिसे कुछ मुसलमानों ने ईशनिंदा माना, तत्कालीन ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी की हत्या के द लिए एक फतवा जारी किया था।

उस दुनिया भर में दंगा भी हुआ था रुश्दी के ऊपर करोड़ो का इनाम तक रखा गया। अब सोचिए जरा 32-33 साल बाद जब रुश्दी जैसे लोग नही बख्से जा रहे है तो नूपुर शर्मा की जान तो हमेशा के लिए आफत में ही रहेगी। सिर तन से जुदा वाले घृणित मानसिकता वालों को पनपने से पहले खत्म करना होगा। ये जिसे चाहे जो बोल दे इनके बारे में कुछ बोल दो तो इनके भीतर आग आग लग जाती है और वो उस आग में लोगो को लपटने से नही कतराते है। इनके लिए इनका जिहाद ही सबकुछ है ये मानवता वाली बाते कचड़े के ढेर में ये हैवान है जिनकी हैवानियत का कोई अंतिम बिंदु नही है।

Shivam Kumar Pandey: Ex-BHUian • Graduate in Economics• Blogger • IR& Defence ,Political and Economic Columnist..
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