आपदा सदैव एक अवसर के साथ आती है

जी हाँ, मित्रों जब पूरे विश्व में कोरोना काल का भयानक दौर चल रहा था, सर्वत्र त्राहि माम त्राहि माम की असहनीय दशा अपने चरम पर थी, तब हमारे प्रधानमंत्री (श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी) ने देशवासियो का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि इस आपदा से घबराने की आवश्यकता नहीं है, अपितु इसका डटकर सामना करने की आवश्यकता है, इस आपदा को अवसर में बदलने की आवश्यकता है!

मित्रों ये कोई नई बात नहीं कहीं थी हमारे प्रधानमंत्री ने, उन्होंने केवल हमें याद दिलाया था और अपने प्रतिभा, योग्यता और ज्ञान का उपयोग करते हुए, इसका सामना करने की बात कहीं थी।

अब आप सोच रहे होंगे की “आपदा में अवसर तलाशने वाली बात” पुरानी कैसे हो सकती है, तो आइये मैं आपको कुछ उदाहरण देकर इसका प्रमाण देता हूँ! हम अत्यंत प्राचीन काल में ना जाकर दूसरे विश्व युद्ध से हि इसकी शुरुआत करते हैं:-

१:- जब अंग्रेज विश्वयुद्द में उलझें थे तो इसका प्रभाव हमारे देश पर भी पड़ रहा था, ये विश्व युद्ध पूरी मानवता पर एक मानव निर्मित आपदा थी और इसी आपदा में हमारे प्रिय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को भारत को स्वतन्त्रता दिलाने का अवसर दिखाई दिया, उन्होंने गाँधी जी से कहा की इस वक़्त हमें इन अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह छेड़ देना चाहिए, अंग्रेज युद्ध में फसे होने के कारण इसका दमन नहीं कर पाएंगे, पर अंग्रेजो के प्रिय गाँधी जी ने इसे नहीं माना अपितु उन्होंने अंग्रेजो की सहायता करने का निर्णय लिया।

२:- मित्रों याद करिये जब स्व श्री लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे, उस दौरान सूखा और अकाल पड़ जाने के कारण देश खाद्यान्न संकट से जुझ रहा था। अमेरिका से गेंहू आयात होता था और अमेरिका सुअरो को खिलाने वाला गेंहू भारत को देता था। इसी बीच पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। शास्त्री जी ने एक कुशल सेनापति की भांति सेना को युद्ध के लिए तैयार किया और आदेश दिया कि दुश्मन को उसकी औकात बता दो। भारतीय सेना ने अद्भुत पराक्रम और वीरता का परिचय दिया और कराची और लाहौर तक घुसकर पाकिस्तानियो का जूस निकालने लगी, तब घबराकर पाकिस्तान अमेरिका के पास गया और भारत को युद्ध से रोकने के लिए प्रार्थना किया। उधर अमेरिका अपने घमंड में चूर होकर तुरंत भारत को युद्ध रोकने के लिए आदेश दिया और ऐसा ना करने पर गेंहू का निर्यात बंद करने की धमकी दी।
मित्रों ये उस वक़्त के कई आपदाओं में से एक आपदा थी, पर शास्त्री जी अमेरिका के सामने झुके नहीं, उन्होंने अपने देशवासियों से प्रार्थना की यदि हम सब मिलकर एक वक़्त के भोजन का त्याग कर दे तो इस भुखमरी वाले हालात से निपट सकते हैं और इसके बाद इन्होने जब “जय जवान जय किसान” का मंत्र दिया तो पूरा देश इनके साथ हो गया और इस प्रकार अमेरिका के घमंड को धूल में मिला दिया। शास्त्री जी ने आपदा को एक अवसर के रूप में देखा और पूरे भारत के जनमानस को एकजुट कर दिया।

३:- याद करिये जब पश्चिमी पाकिस्तान के लोग पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर अत्याचार कर रहे थे और बड़ी मात्रा में पूर्वी पाकिस्तान के लोग भारत की सीमा में प्रवेश कर रहे थे शरणार्थी के रूप में। इससे भारत की स्थिति अस्थिर हो रही थी, क्योंकि लाखों की संख्या में शरणार्थीयो के लिए व्यवस्था करना अत्यंत हि मुश्किल हो रहा था।
उस वक़्त भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी थी। उन्होंने अमेरिका से पाकिस्तान में चल रहे गृहयुद्ध को रोकने के लिए दखल देने की बात कही, पर अमेरिका ने अनसुना कर दिया, फिर क्या था, इंदिरा जी ने इस आपदा को अवसर के रूप में देखा और भारतीय सेना के पराक्रम ने पाकिस्तान के दो हिस्से कर दिए , एक पाकिस्तान और दूसरा आज का बंग्लादेश।

४:-याद करिये जब सोवियत संघ का विघटन हो चुका था और अब अमेरिका केवल एक महाशक्ति के रूप में था। उस दौरान श्री नरसिम्हा राव जी कि सरकार थी। भारत को क्रायोजेनिक इंजन कि अवश्यक्ता थी अपने एक प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए। रूस, भारत को वो इंजन देने के लिए तैयार था, परन्तु अमेरिका के दवाब में आकर उसने क्रायोजेनिक इंजन देने से मना कर दिया। फिर क्या था भारत के वैज्ञानिकों ने इस आपदा में अवसर को तलाशा और ६ वर्षो के कड़े परिश्रम के पश्चात क्रायोजेनिक इंजन बनाने में सफलता प्राप्त कर ली।

५:- याद करिये जब अमेरिका ने भारत को स्पष्ट चेतावनी देते हुए खा था की, यदि भारत ने परमाणु बम का परीक्षण किया तो उसे गंभीर प्रतिबन्धो का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका के डर से कोई भी देश में हमें यूरेनियम देने के लिए तैयार नहीं था। तब स्व श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी और स्व डॉ अब्दुल कलाम जी ने इस आपदा को अवसर के रूप में लिया और जब अमेरिका के अधुनिकतम सेटेलाइट्स को चकमा देकर राजस्थान के पोखरन में एक नहीं अपितु तीन परमाणु विस्फोट सफलतापुर्वक किये तो पूरी दुनिया सहित अमेरिका भौचक्का रह गया।

तो मित्रों देखा आपने किस प्रकार पहले भी आपदा को अवसर में बदलकर उसका वीरतापूर्वक सामना करने के उदाहरण मिलते हैं। मित्रों आपने ये भी देखा होगा की नकारात्मक ऊर्जा वाली शक्तियों ने प्रधानमंत्री जी के इस “आपदा को अवसर में बदलने” वाले मंत्र का जानबूझकर केवल उनका अपमान करने के लिए ना केवल गलत अर्थ निकाला अपितु उसे जोर शोर से प्रचारित भी किया।

पर जैसा कि आप जानते हैं, ये सबका अपना अपना स्वभाव और सोच होता है, कुछ लोग अच्छाई में भी बुराई ढूंढते हैं और वहीं कुछ बुराई में भी अच्छाई निकाल लेते हैं।

श्रीमद्भागवत गीता अध्याय ६ – आत्मसंयमयोग के श्लोक ८ में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं:-
ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः।
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकांचनः॥ ८ ॥
जिसका अन्तःकरण ज्ञान-विज्ञान से तृप्त है, जिसकी स्थिति विकाररहित है, जिसकी इन्द्रियाँ भलीभाँति जीती हुई हैं और जिसके लिए मिट्टी, पत्थर और सुवर्ण समान हैं, वह योगी युक्त अर्थात भगवत्प्राप्त है, ऐसे कहा जाता है ॥

अब यदि आप अपने प्रधानमंत्री के दैनिक जीवन पर ध्यान केंद्रित करें तो आपको अवश्य ज्ञात हो जाएगा की उपर्युक्त श्लोक की एक एक बात उन पर चरितार्थ हो जाती है। अब आइये कोरोना काल में हमारे प्रधानमंत्री ने किस प्रकार इस आपदा को अवसर में बदला:-

१:- इस आपदा को अवसर् बनाते हुए हमारे देश के वैज्ञानिकों ने रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का मुकाबला करते हुए, दुनिया में सबसे ज्यादा असरदार वेक्सिन बनाई।
२:- भारत ने दुनिया के लगभग ८० छोटे बड़े देशों में बिना मूल्य के वेक्सिन भेजी। इस वेक्सिन डिप्लोमेसी ने भारत कि विदेश निति को जबरदस्त मजबूती प्रदान की।
३:- भारत ने ना केवल अपने ८२ करोड़ देशवासियों को बिना मूल्य के राशन प्रदान किया अपितु दुनिया के कई गरीब देशों को भी राशन भेजा। इस राशन डिप्लोमेसी ने भी भारत का कद पूरी दुनिया में ऊँचा कर दिया।
४:- भारत ने अमेरिका जैसी महाशक्ति से लेकर भूटान जैसे छोटे देश तक सभी को दवाइयां भेजी।
५:- कई चिकित्सा के उपकरण पहले भारत में नहीं निर्मित होते थे, परन्तु इस आपदा काल में उन सभी अधारभूत चिकित्सीय परिधानो और और उपकरण का निर्माण शुरू हो गया और यही नहीं भारत ने उसका निर्यात भी शुरू कर दिया।

और इस प्रकार आपदा को अवसर में बदलने वाले मंत्र ने पूरे देश को एक गज़ब के उत्साह और जोश में भार दिया, जिसने ना केवल विश्व पटल पर भारत के कद को ऊँचा किया अपितु देशवासियों में आत्मविश्वास की बहुप्रतीक्षित ज्योति प्रज्वलित कर दी।
श्रीमद्भागवत गीता अध्याय ६ – आत्मसंयमयोग के श्लोक ४६ में भगवान् कहते हैं:-
तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः।
कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन॥ ४६ ॥
योगी तपस्वियों से श्रेष्ठ है, शास्त्रज्ञानियों से भी श्रेष्ठ माना गया है और सकाम कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है। इससे हे अर्जुन! तू योगी हो !
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी वहीं योगी हैं।

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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