सब देखेंगे, सब देखेंगे

सब देखेंगे, सब देखेंगे

वाजिब भी होता देखेंगे, हम देखेंगे

खुदा के घर से ही हमको, दहशत की खबरें देते थे

धर्म बदलने का हरदम, फरमान सुनाया करते थे

जान बचाकर जाने की, हर रोज हिदायत देते थे

अपनी इज्जत को खुद से ही, तुझको देने को कहते थे, सब देखेंगे, सब देखेंगे

किया जो तुमने साथ मेरे, मानवता शर्मसार किया

मारा, काटा, फिर खून मिला, उनके ही मुंह में डाल दिया

बीती अपनी ना सुना सकूं, ज़ुबान काट भगा दिया

जो लिखा तो उसको झूठा है, हमको उल्टा चिढ़ा दिया, सब देखेंगे, सब देखेंगे

रोए हम, पर ना थे आंसू, सांसे तो ली, ना दिल धड़के

चीखे, बेआवाज ही हम, बोले और खुद को ही सुनते

अब कटी ज़ुबान से सारे हम, एक साथ हैं चिल्लाये

न्याय मांगते हमें देख, बाकी भी साथ में हैं आए, सब देखेंगे, सब देखेंगे

अब धरती थर थर कांपेगी, बादल भी धड़ धड़ धड़केगा

हर चौराहे दहशतगर्दी का, अब चिता जलाया जायेगा

जितने भी हटे थे बुत उस दम, सब वहीं बिठाए जायेंगे

अमन शांति का पाठ सभी, घर-घर पढ़वाए जायेंगे, सब देखेंगे, सब देखेंगे

सब देखेंगे, सब देखेंगे

वाजिब भी होता देखेंगे, हम देखेंगे

Rakesh Kumar Pandey: Professor in Physics at Kirori Mal College. Teaching in a DU college since 1989. Academic Council member in Delhi University from 1994 to 1998. Activist associated with NDTF activities in Delhi University. Former President of NDTF.
Disqus Comments Loading...