जाट-गुर्जर में भागीदारी से हिस्सेदारी की जंग

विधानसभा 2017 के मंत्रिमंडल में गुर्जर समाज को केवल एक मंत्रीपद से संतोष करना पड़ा था, जिसकी टीस उनके समाज में देखी गयी थी. लेकिन विधानसभा 2022 के चुनाव परिणाम के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में सबसे मजबूत समीकरण जाट-गुर्जर में नया खिंचाव उभर रहा हैं. बीजेपी की जीत में दोनों अपनी भागीदारी जता रहे हैं, जिसके आधार पर मंत्रिमंडल में भागीदारी तय होगी. पार्टी हाईकमान के पास रिपोर्ट भेजी जा रही हैं. राजनीतिक पंडितो का कहना हैं कि जाट वोट बीजेपी और रालोद में बंट गए मगर गुर्जर लगभग पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में लामबंद रहा. इसी आधार पर गुर्जरों ने महत्वपूर्ण औहदों पर खास दावेदारी जताई हैं.

जबकि लोकसभा 2024 के लिए बीजेपी के सामने जाट समाज को अपने पक्ष में रखने की चुनोती हैं. वेस्ट यूपी में भाजपा के 13 में से छह जाट,जबकि सात में से पांच गुर्जर विधायक जीते हैं. हालांकि पिछली बार 71 सीटों में से 52 की जगह भाजपा केवल 40 सीटें जीत पायी.

किसान आंदोलन और अजित सिंह के निधन की सहानुभूति की नैय्या पर सवार होकर रालोद ने पुराने जाट वोटों पर भरोसा फिर से जुटाकर रालोद चीफ जयंत सिंह और अखिलेश यादव के गठबंधन ने भाजपा से शामली, छपरौली, पुरकाजी, बुढ़ाना, सिवालखास, सहित कई जाट बाहुल जीते छीन ली. जाट मतों में गठबंधन की सेंधमारी से भाजपा सरधना, थानाभवन, मीरपुर, किठौर सहित कई सीटों को गँवा दी.

मंत्रिमंडल में गुर्जर माँगे मोर

दूसरी ओर बिजनौर की बढ़ापुर सीट पर गुर्जरों ने गठबंधन के सजातीय प्रत्याशी कपिल गुर्जर को वोट न देकर भाजपा के ठाकुर प्रत्याशी सुशांत सिंह को जीताया, नॉएडा में गुर्जरों ने गठबंधन के सजातीय प्रत्याशी सुनील चौधरी को वोट ना देकर भाजपा के पंकज सिंह रिकॉर्ड मतों से जीताया, जेवर में गठबंधन के अवतार सिंह भड़ाना की जगह गुर्जरों ने भाजपा के ठाकुर प्रत्याशी धीरेंद्र सिंह को जिताया. पार्टी ने भड़ाना की घेराबंदी के लिए राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर को ज़िम्मेदारी सौपी थी,जिसमे वो सफल रहे. इसी तरह खतौली में गठबंधन के करतार सिंह भड़ाना की जगह गुर्जर वोटर भाजपा के साथ चले गए. सहारनपुर के नकुड में भाजपा ने पहली बार गुर्जर चेहरा मुकेश चौधरी के रूप में उतरा और गठबंधन के कद्दावर नेता डा. धर्मसिंह सैनी को यहाँ हार का सामना करना पड़ा.

हापुड़ जिले की गढ़ सीट पर गठबंधन के गुर्जर प्रत्याशी रविंद्र की जगह गुर्जर वोटरों ने जाट नेता हरेंद्र को जिताया. हस्तिनापुर में भाजपा के जीत गुर्जरों ने तय की. किठौर में भी अपनी जाती के प्रत्याशी के मुक़ाबले भाजपा के साथ चले गए जीत नहीं हो सकी लेकिन अंतर बहुत कम रहा. अमरोहा के हसनपुर में गठबंधन के मुखिया गुर्जर की जगह भाजपा के खड़गवंशी को चुना. सहारनपुर की रामपुर मनिहारन,बागपत,बडौत,गंगोह समेत गाज़ियाबाद, गौतमबुद्धनगर एवं आसपास की कई सीटों पर ऐसा ही रूझान रहा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति जाट-गुर्जर की धुरी पर घुमती रही

– पूजा कुशवाह

Pooja Kushwah: Digital Journalist/ Social Activist/ News Media
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