एक साल पहले शिवराज द्वारा शुरू की गई हरित क्रांति आज ले चुकी है जन-आंदोलन का रूप

हम एक गिलास पानी पीते हैं, एक नोटबुक में लिखते हैं, बुखार की दवा लेते हैं या घर बनाते हैं, तो हम कभी नहीं सोचते की इन कामों का ताल्लुक जंगलों से हो सकता है।और फिर भी, ये सभी काम और हमारे जीवन के कई अन्य पहलू किसी न किसी रूप में वनों से जुड़े हुए हैं। फॉरेस्ट सस्टेनेबल मैनेजमेंट का संसाधन के तौर पर उपयोग करना जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए ज़रूरी है। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करके ही हम वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की समृद्धि और कल्याण कार्य में योगदान दे पाएंगे।

विश्व के कई दिग्गज राजनीतिज्ञों ने क्लाइमेट चेंज और डिफ़ॉरेस्टेशन की समस्याओं को देखते हुए पौधरोपण को एक मिशन का रूप दिया। सर डेविड एटनबरो की डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ प्लैनेट अर्थ ने दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है। लेकिन साल 2018 में जारी एक एपिसोड में दर्शकों को पता चला कि इंग्लैंड की महारानी भी एक पर्यावरणविद हैं और बड़ी उत्सुकता से इसे एक अभियान के तौर पर देखती हैं। जब उन्हें व्यापक वनों की कटाई के बारे में पता चला तो उन्होंने घोषणा की कि वो दुनियाभर के जंगलों की रक्षा करने में मदद करना चाहती हैं। इसी घोषणा के बाद ब्रिटेन के 53 देशों के राष्ट्रमंडल में दसियों हज़ार पेड़ लगाने के लिए क्वीन्स कॉमनवेल्थ कैनोपी का गठन किया गया था।

सिर्फ क्वीन एलिज़ाबेथ ही नहीं बल्कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जर्मन चांसलर एंजेला मर्कल भी पौधरोपण को संजीदगी से लेते हुए इसे जनअभियान बनाने की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपील कर चुके हैं। पौधरोपण की ज़रूरत और उसके महत्त्व को समझते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 19 फरवरी 2021 को नर्मदा जन्मोत्सव के अवसर पर अमरकंटक में ऐतिहासिक संकल्प लिया कि वे एक साल तक लगातार एवं रोज़ाना कम से कम एक पौधा ज़रूर रोपेंगे। बीते एक साल में अपनी व्यस्ततम दिनचर्या या दौरों के दौरान भी उन्होंने इस संकल्प का पालन करते हुए हर रोज़ एक पौधा ज़रूर लगाया। यहां तक कि उन्होंने गुजरात, बंगाल और केरल के चुनावी दौरे में भी प्रतिदिन एक पौधा लगाने का क्रम जारी रखा। और अब जब इस महायज्ञ को एक साल पूरा हो रहा है, तो ये अभियान एक जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। पूरे प्रदेश की जनता अपने जननायक का अनुसरण करते हुए पौधरोपण को अपने जीवन के ध्येय में शामिल कर चुकी है।

इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने मध्यप्रदेश की जनता के लिए अंकुर अभियान की शुरुआत भी की। मई 2021 में शुरू की गई इस योजना के ज़रिये लोगों को पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना मुख्य मकसद था। वायुदूत ऐप के ज़रिये पंजीकरण के बाद उन्हें पौधा लगाते समय अपनी एक तस्वीर एप्लीकेशन पर अपलोड करनी होती है कि वे पौधे की देखभाल किस तरह से करते हैं। उसकी सारी तस्वीर उन्हें लगभग 30 दिनों तक अपलोड करते जाना होता है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रत्येक जिले के चुने हुए कुछ प्रतियोगियों को विजेता घोषित किया जाता है और उन्हें पुरुस्कृत किया जाता है। इस अभियान की सफलता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बड़ी संख्या में प्रदेश के नागरिक अंकुर मित्र बनकर प्रदेश भर में पौधे लगा रहे हैं।

पौधरोपण अभियान को जन आंदोलन बनाने का ही नतीजा है कि वन क्षेत्र के मामले में मध्यप्रदेश, देश भर में पहले स्थान पर है। हाल ही में जारी हुए फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट 2021 में बताया गया है कि क्षेत्रफल के हिसाब से मध्यप्रदेश का वन क्षेत्र पूरे प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.14 प्रतिशत है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों का नंबर आता है। इस वन क्षेत्र को बरकरार रखने का श्रेय शिवराज सरकार को जाता है। लोगों में जागरूकता लाने के लिए खुद उन्होंने अपने संकल्प को निभाते हुए जिस तरह एक मिसाल कायम की है, उससे लोगों को प्रेरणा मिली और जन भागीदारी बढ़ती चली गई।

उन्होंने प्रदेश के लोगों को इस जन आंदोलन से जोड़ने के नायाब तरीके भी निकाले हैं जिन्हें पूरे भारत में लागू किया जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसी नगर या ग्राम का जन्म-दिवस मनाने के लिए पौधरोपण करना,पर्यावरण और विकास हितैषी विचार है। इस दिन को गौरव दिवस के रूप में मनाने की प्रथा शुरू की गई। प्रदेश में इसकी शुरूआत सीहोर जिले के ग्राम जैत से हुई। इसी साल 8 फरवरी को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अपने पैतृक ग्राम जैत में नागरिकों के साथ पौधे लगाए। उन्होंने कहा कि अन्य स्थानों पर भी भविष्य में ऐसे कार्यक्रम होंगे, जो स्थानीय नागरिकों को अपने ग्राम और नगर की प्रगति के लिए सदैव योगदान देने का संकल्प लेने का अवसर भी बनेंगे। उनका यही नया विचार हरित क्रांति 2.0 बनकर सामने आएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि स्वयं एवं परिजन के जन्म-दिवस, परिवार के दिवंगत सदस्यों की जयंती और पुण्य-तिथि पर पौधा लगाया जाना चाहिए। इसके अलावा सगाई और विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर भी पौधे लगाने का कार्य किया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति पौधे लगाने के साथ उसकी देखभाल का जिम्मा भी संभाले। वो मानते हैं कि हरीतिमा बढ़ाने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, क्योंकि वो इस विश्वव्यापी समस्या को भली-भांति समझते हैं। इसीलिए इस मुहीम को जन आंदोलन बनाकर भारत को विश्व-पटल पर अलग पहचान देने की उनकी निरंतर कोशिश जारी है।

आज ऑक्सीजन देने वाले – गुलमोहर, बरगद, आम, अशोक, बादाम, पीपल, नीम, कदम्ब, चन्दन, कचनार, फाइकस, रुद्राक्ष, बेलपत्र, विद्या, गूलर, मौलश्री, सापर्णी, आकाश, नीम जैसे पौधों के नाम और गुणों से मध्यप्रदेश वासी अच्छी तरह परिचित हो चुके हैं। पिछले एक साल में मुख्यमंत्री द्वारा 500 से ज़्यादा पौधे लगाए गए, और उनकी इसी प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर प्रदेश की जनता ने आगे बढ़कर आज तक लाखों पौधे लगा दिए। अगर इसी तरह दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री भी श्री शिवराज सिंह चौहान से प्रेरणा लेकर पौधरोपण को मिशन बना लें, तो मोदी जी के ग्लासगो समिट में लिए गए पंचामृत के संकल्प को पूरा करना आसान होगा और भारत विश्व पटल पर एक अलग पहचान बना पायेगा।

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