कॉंग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी के नाम खुला पत्र

आदरणीय काँग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी जी,

आशा है आप और आपका परिवार सकुशल होंगे। आप एक ऐसी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जिसने ना सिर्फ महात्मा गाँधी, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री जैसे ईमानदार नेता इस देश को दिये हैं बल्कि भारत के कई प्रधानमंत्री इस पार्टी से ही बने हैं। तीन पूर्व प्रधानमंत्री तो आपके स्वयं के परिवार से रहे हैं। 1885 मे अंग्रेज़ ए.ओ. हयूम द्वारा बनाई गयी पार्टी ने ‘गरम दल-नरम दल‘ से लेकर देश मे सबसे ताकतवर दल होने तक का समय देखा है। लेकिन अस्सी के दशक से अपनी तुष्टीकरण की नीतियों, परिवारवाद और भ्रष्टाचार के कारण काँग्रेस पार्टी हाशिये पर चली गयी। आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सुरक्षा को लेकर आपकी पंजाब सरकार द्वारा की गयी बड़ी चूक के संदर्भ मे मुझे यह पत्र आपको लिखना पड़ रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जब देश को ‘सर्व शिक्षा अभियान‘, चौतरफा सड़क-इंटरनेट के जाल और अन्य मूलभूत सुविधाओं से जोड़ना शुरू किया तथा भारतीय संस्कृति को भी साथ लेकर चले, तभी देश की जनता को बीजेपी के रूप मे एक राजनैतिक विकल्प देश मे दिखाई देने लगा था जिसकी परिणीती 2014 मे पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के जीतने के साथ हुई। प्रधानमंत्री मोदी जी ने विगत 7 वर्षों मे ‘शौचालय और पीएम आवास‘ जैसी मूलभूत सुविधाओं से लेकर इसरो के सेटेलाइट कार्यक्रम तक देश मे कई योजनाओ का सफल क्रियान्वयन किया। आज ना सिर्फ देश के लोग बल्कि विदेशों मे बैठे अप्रवासी भारतीयों का भी सीना भारत की उपलब्धियों को देखकर गर्व से फूल गया है। देश अब बार्डर पर जहाँ सर्जिकल स्ट्राइक करने की हिम्मत रखता है वहीं स्वयं की स्वदेशी वैक्सीन बनाकर दुनिया की मदद करने की भी क्षमता रखता है।

लेकिन अफ़सोस की आपके नेतृत्व मे विपक्ष को हर काम मे सिर्फ कमियाँ ही दिखती हैं। आपकी पार्टी ने जहाँ हमारे वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गयी स्वदेशी वैक्सीन पर सवाल उठाए, वहीं सेना के द्वारा अद्भुत शौर्य दिखाकर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक को भी विपक्ष के नेताओं ने फर्जी बता दिया। CAA बिल के विषय मे जहाँ अल्पसंख्यक लोगों मे झूठ फैलाया गया वहीं देश विरोधी नारे लगाने वालों की पैरवी करने वालों के साथ आपकी पार्टी खड़ी रही। यही नहीं नई संसद को प्रधानमंत्री का घर बन रहा है बोलकर जनता को भ्रमित करना हो या मोदी जी के सूट और विदेशी यात्राओं को लेकर मुद्दे बनाना – आपकी पार्टी विपक्ष से ज्यादा रामायण की पात्र मंथरा के रूप मे अधिक नज़र आई।

एक समय था जब अटल जी जहाँ देश के अहित मे हुये फैसलों का विरोध तो करते ही थे परंतु जब काँग्रेस कुछ अच्छा कार्य करती थी तो उसकी सराहना भी करते थे। 1962 का चीन युद्ध हो या 1965 और 1971 के युद्ध, हर समय प्रधानमंत्री भले ही काँग्रेस दल के थे किन्तु ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ‘ के कार्यकर्ताओं ने देश मे विपरीत स्थिति को संभालने के लिए मदद करने मे कोई कसर नहीं छोड़ी थी। भाजपा के पहले जनसंघ ने भी हर राष्ट्रीय मुद्दे पर देश की सरकार का समर्थन किया और जहाँ बात देश के अहित या देश की संप्रभुता से समझौते की आई वहीं विरोध किया।

किन्तु आज हालात कुछ अलग हैं। आज के विपक्ष को देश हित से अधिक चिंता सत्ता मे रहने की है। इसलिए पुलवामा जैसे हमलों पर आपकी पार्टी के नेता वही बयान देते सुने गए जो पाकिस्तान के मंत्री दे रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक और चीन सीमा विवाद पर भी भारत सरकार के अधिकृत पक्ष को रखने की अपेक्षा विपक्ष और आपकी पार्टी पाकिस्तान और चीन को लुभाने वाले बयान देती दिखाई दी। आपकी ही पार्टी के बड़े नेता पूर्व मे भी मुंबई पर हुये आतंकी हमले को आरएसएस की साजिश तथा आतंकियों को ओसामा जी बता चुके हैं। “सिर्फ विरोध के लिए विरोध” या “सिर्फ सत्ता प्राप्ति हेतु विरोध” के इस कार्यक्रम मे आप लोग इतने अधिक आगे बढ़ गए की देश की जनता, आपके वोटर और फिर देश कहीं बहुत पीछे छूट गया।

हद तो तब हो गयी की पंजाब मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के काफिले को एक पुल पर बहुत देर तक ऐसी जगह रुकना पड़ा जो पाकिस्तान से सिर्फ कुछ किलोमीटर दूर थी। एक प्रधानमंत्री के राज्य मे आने पर आपके मुख्यमंत्री, उनके चीफ सेक्रेटरी तथा डीजीपी को प्रोटोकॉल के तहत पहले से रास्ता खाली करवाना था तथा प्रधानमंत्री जी के साथ जाना चाहिए था किन्तु सभी नदारद थे। ऐसे समय मे यदि प्रधानमंत्री जी के साथ कुछ अनहोनी घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? आपके स्वयं के परिवार के 2 प्रधानमंत्रियों के बलिदान देश मे हो चुके हैं इसके बाद भी प्रधानमंत्री मोदी जी की सुरक्षा मे इतनी बड़ी चूक आपके मुख्यमंत्री द्वारा कैसे हो गयी?

दिल्ली मे किसान आंदोलन मे चंद दिनो पहले एक व्यक्ति को लटकाकर उसका हाथ काट दिया गया था तथा लाल किले पर तिरंगे का अपमान हो गया था। कुछ लोगों ने सरेआम देशविरोधी नारे भी लगाए थे तथा किसान आंदोलन के नेताओं ने उन्हे बाहरी बता दिया था। ऐसी परिस्थितियों मे प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा मे इतनी बड़ी चूक आखिर गलती से हो गयी या जानबूझकर की गयी यह देश जानना चाहता है।

क्या होता यदि वहाँ प्रधानमंत्री जी के काफिले पर हमला हो जाता तो? क्या होता यदि दो समुदायों के बीच देश मे झगड़े प्रारम्भ हो जाते तो? आपकी पार्टी ने 1984 मे कितनी बेशर्मी से “बड़ा पेड़ गिरने” वाला बयान दे दिया था और लाखों सिक्खों की हत्याए देश मे हो गयी थीं। आप ही की पार्टी के नेताओं पर आज तक इस बात के मुकदमे चले हैं, जिनमे से एक नेता को तो आपके द्वारा मेरे मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री तक बना दिया गया था। देश के सभी लोग यह जानते हैं की पंजाब मे उग्रवाद को किसने हवा दी थी तथा बाद मे उसे मिटाने के नाम पर कैसे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को आपकी ही पार्टी द्वारा चलायी जा रही सरकार ने लहू से लाल कर दिया था। और आज आप उस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध पंजाब मे करवा रहे हैं जिसने सिक्खों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान मे नरसंहार से बचाने हेतु ना सिर्फ सीएए बिल को संसद मे पास किया बल्कि अफगानिस्तान मे हुये तालिबानी कब्जे के बाद कई सिख परिवारों को वहाँ से बचाकर वापस भी लाये। आपकी पार्टी को शर्म आनी चाहिए अपने आपको एक जिम्मेदर विपक्ष कहते हुए।

जिम्मेदार विपक्ष का कार्य होता है संसद मे गलत नीतियों का विरोध करना किन्तु सही नीतियों के पक्ष मे सर्वदा देश के साथ खड़े रहना। इसके अलावा संविधान द्वारा पारित नियमानुसार चुनी गयी सरकार के प्रधानमंत्री का सम्मान करना एवं एक मर्यादा मे रहते हुये विरोध प्रदर्शन करना। आपकी पार्टी तो ऐसे आंदोलन खड़े करने का निर्देश देती है जो लंबे चलें। सिर्फ विरोध के लिए विरोध करती है तथा अब जब किसी बात से बात नहीं बनी तो प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा तक पर बात आ गयी। किस स्तर तक और गिरेगी अब विपक्ष की राजनीति? क्या आपकी सत्ता की महत्वाकांक्षा राष्ट्र से ऊपर चली गयी है? क्या सिर्फ सत्ता पाने के लिए विपक्ष आतंकी हमलो को सरकार द्वारा प्रायोजित बताएगा?, क्या अब अपने देश की सरकार को हराने के लिए हम पड़ोसी दुश्मन मुल्क से मदद मांगेंगे? क्या जिसे हराया नहीं जा सकता उस नेता को इस तरह पुल पर घेरकर समाप्त करने के षड्यंत्र किए जाएंगे? इन सभी सवालों के जवाब देश आपसे जानना चाहता है।

क्या विपक्ष से सदाचारी तथा राष्ट्रभक्त होने की उम्मीद करना गलत है? यदि हाँ तो अच्छे लोगों को राजनीति तथा सामाजिक जीवन छोड़ देना चाहिए। यदि नहीं तो आप छोड़ दीजिये “लोगों को बेवकूफ बनाना”- क्योंकि नया भारत युवाओं का भारत है और यह आपके मायावी भ्रमजाल मे नहीं फँसने वाला। आशा है आप विपक्ष के नेताओं की कड़वी जुबान तथा गलत कार्यों पर लगाम लगाएँगी तथा देश को एक बेहतर विपक्ष का चेहरा भविष्य मे देखने को मिलेगा।

धन्यवाद।

शुभम वर्मा

(नीति एवं शोध प्रभारी, भाजयुमो – मध्यप्रदेश)

theshubhamyt: State Incharge - Policy, Research and Training - BJYM (Madhya Pradesh)
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