कैसे बना नरेंद मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘दिव्य काशी, से भव्य काशी’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को 54 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बने काशी विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया था। शिलान्यास के 33 महीने और 4 दिन बाद, 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे लोकार्पण। इसके साक्षी केवल उत्तर प्रदेश के काशी की जनता ही नही बल्कि पूरा देश, और दुनिया के शिव भक्त भी बनेंगे।

काशी विश्वनाथ मंदिर पर कई बार हुए हमले

वर्ष 1194 से 1669 तक कई बार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पर हमले हुए । 1777 से 1780 के बीच मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीणोद्धार करवाया था।

नरेंद्र मोदी करेंगे संतो-महंतो की मौजूदगी में लोकार्पण

संतो – महंतो, धर्माचार्यों, आध्यत्मिक गुरुओं की मौजूदगी में नरेंद्र मोदी पूजन कर काशी विश्वनाथ मंदिर का लोकार्पण करेंगे। लोकार्पण के अवसर पर संत रविदास घाट से राजघाट तक 9 लाख दिप जलाए जाएँगे। 800 करोड़ रुपए की लागत से बने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अब एक वक्त में 2 लाख श्रद्धालु आ सकते है। मंदिर परिसर में चौक, मुमुक्षु भवन, वाराणसी गैलरी, सिटी म्यूजियम, आध्यत्मिक पुस्तक केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक भवन आदि बनाये गए है।

दिव्य-भव्य युग मे वाराणसी के हो रहा है प्रवेश

अब वाराणसी अपने एक और दिव्य – भव्य युग मे प्रवेश कर रहा है। वाराणसी से लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दिन काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे।

रिंग रोड से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तक….

वाराणसी के सांसद बनने के बाद प्रधानमंत्री ने यहां पर सड़कों का एक बड़ा नेटवर्क बनवाया है। वाराणसी के रिंग रोड प्रॉजेक्ट का काम इसमें मुख्य है। तीन फेज में बन रहे रिंग रोड प्रॉजेक्ट का एक हिस्सा वाराणसी से बाबतपुर के रास्ते पर, दूसरा जिला मुख्यालय से चंदौली और तीसरा कैंट से राजातालाब के रास्ते पर है।

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर
वाराणसी के सिगरा इलाके में बने रुद्राक्ष कन्वेंशन ऐंड को-ऑर्परेशन सेंटर की लागत 186 करोड़ की है और जापान के सहयोग से बना कन्वेंशन सेंटर शहर के मुख्य इलाके में स्थित है। इस कन्वेंशन सेंटर में अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन कराए जा सकेंगे और वाराणसी में पर्यटन को इससे बड़ा लाभ होगा।

रैंकिंग के लिहाज से 27वें पायदान पर बनारस
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इज ऑफ लिविंग इंडेक्स जिसका मतलब है कि जीवन यापन के लिहाज से देश के बेहतरीन शहरों की रैंकिंग जारी की गई. आपको बता दें कि इस रैंकिंग में देश के ऐतिहासिक नगर वाराणसी को 27वीं रैंक मिली है. बनारस एक ऐसा शहर है जो न केवल मंदिरों, बल्कि धार्मिक परंपराओं, घाटों के लिए जाना जाता है. इस शहर को हम तंग गलियों के शहर के नाम से भी जानते हैं और इस शहर की आत्मा यहां की गलियों में बसती हैं इसलिए हम बनारस को गलियों का शहर भी कहते हैं. ये गलियां काफी पुरानी हो चुकी थीं जिसकी वजह से काफी बदहाल हो चुकी थीं. साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस शहर का कायाकल्प होना शुरू हो गया.

लाइफ स्टाइल में दिखाई दे रहा बदलाव
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में अब यहां रहने वालों के जीवन स्तर में भी लगातार बदलाव आ रहा है. हम साफतौर पर देख सकते हैं कि कैसे बनारस के स्थानीय लोगों को शहर के विकास का फायदा मिल रहा है. आपको बता दें कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आध्यात्मिक नगरी में कई स्तरों पर काम हो रहा है. पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र बनने के बाद बनारस की सड़कें पहले की तुलना में अब ज्यादा बेहतर हुई हैं और घाटों की स्थिति भी पहले के मुक़ाबले बेहतर दिखाई देती है.

इस तरह नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट दिव्य काशी भव्य काशी तैयार हो रहा है।

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