उत्तर प्रदेश चुनाव में केंद्र बिंदु बना हिन्दू

उत्तरप्रदेश चुनाव में केंद्र बिंदु बना हिंदू भारतीय जनता पार्टी ने हिंदुत्व का ऐसा एजेंडा सेट किया की लंबे समय से प्रदेश की सत्ता से दूर रही भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत से 2017 में सत्ता में आई।

हिन्दू त्यौहार और पर्व का बढ़ा महत्व

सत्ता परिवर्तन के साथ प्रदेश में एक बड़ा परिवर्तन हुआ। हिंदू समुदाय के त्योहार पर्व का महत्व बढा, श्रीराम की नगरी अयोध्या में हुए दीपोत्सव को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।

उत्तरप्रदेश एंव केंद्र सरकार ने देश की बड़ी आबादी को भी वही महत्व दिया जो अन्य समुदाय को दिया जाता था भारतीय जनता पार्टी अपने एजेंडे पर आगे बढ़ते रही और एक के बाद एक लगातार चुनाव में जीत हासिल करती रही।

हिन्दू या चुनावी हिन्दू

अपने आपको सेक्ल्युर कहने वाली विपक्षी पार्टी के नेता प्रियंका वाड्रा से लेकर अखिलेश यादव ने अपने चुनाव प्रचार प्रसार की शुरुआत नवरात्र के महीने से किया। 2017 से पहले उत्तरप्रदेश में चुनावी सभा चाहे प्रियंका वाड्रा का हो अखिलेश यादव का या फिर छोटे दलों का सभी मंचों पर जो प्रमुखता मुस्लिम समुदाय के नेताओ की होती थी या मुस्लिम प्रतीक पहले दिखाई देते थे। वो इस बार लगभग लगभग गायब है, प्रियंका वाड्रा नवरात्र का व्रत करती हैं, माथे पर चंदन लगाती हैं। और अखिलेश यादव के चुनावी सभाओं में समाजवादी पार्टी के पोस्टर में अभी तक मुस्लिम टोपी में नेता नजर आते थे। इस बार तस्वीर हो या मुस्लिम प्रतीक दोनो लगभग गायब है। विपक्षी पार्टियों के नेता ये जताने में लगे हैं कि उनके हिंदू होने की प्रतिबद्धता को कम न समझे।

मुस्लिम सियासत हाशिये पर

वही 2017 चुनाव से पहले तमाम राजनीतिक पार्टियां मुस्लिम समुदाय के इर्द गिर्द सियासत करता रहा है। मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए तमाम बड़े बड़े वादों के साथ साथ मौलाना और उलेमाओं का भी सहारा लेती रही हैं। परंतु भारतीय जनता पार्टी के सियासी पटल पर मजबूत होने के बाद मुस्लिम सियासत करने वाले विपक्षी नेता एंव मुस्लिम सियासत हाशिए पर खड़ी नजर आ रहे हैं। 2017 चुनाव के बाद से देश एंव प्रदेश का राजनीतिक पैटर्न पूरी तरह से बदल गया। अब बहुसंख्यक समाज केंद्रित राजनीति हो गई है। और इस पैर्टन पर भारतीय जनता पार्टी लगातार चुनाव जीत रही विपक्षी पार्टियों को बहुसंख्यक वोटो को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाने का डर सता रहा विपक्षी पार्टियों के नेता जानते है। उत्तरप्रदेश में सिर्फ मुस्लिम वोटों के सहारे कुछ सीटें तो जीत सकते है परंतु सरकार नही बनाई जा सकती। विपक्षी पार्टियों के लिए हिंदुत्व की प्रयोगशाला है 2022 का उत्तरप्रदेश का चुनाव, देखना दिलचस्प होगा की उत्तरप्रदेश की जनता चुनावी हिंदू और हिंदू में किसे चुनती है अपना मुख्यमंत्री।

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