धन-शोधन निवारण अधिनियम, २00२ (Prevention of Money Laundering Act, 2002) भाग-४

मित्रों इस अंक में इस अधिनियम के अंतर्गत दिए गए  उन प्रावधानों का अध्ययन करेंगे जिनके द्वारा तलाशी और अभिग्रहण (search and seizure) के अधिकार प्रदान किये गए हैं।

इस अधिनियम की धारा १७  तलाशी (search) और अभिग्रहण(seizure) से सम्बंधित प्रावधान करती है-

धारा १७ की उपधारा (१)  के अनुसार  जब निदेशक या इस धारा के प्रयोजनों के लिए उसके द्वारा प्राधिकृत उप-निदेशक की श्रेणी  से अनिम्न श्रेणी  के किसी अन्य अधिकारी को अपने कब्जे में ली गयी जानकारी के आधार पर, यह विश्वास करने का कारण है कि किसी व्यक्ति ने,ऐसा कोई कार्य किया है जो धन-शोधन है, या धन-शोधन में अंतर्ग्रस्त अपराध के किसी आगम (Proceeds ऑफ़ Crime) को कब्जे में रखा है, या धन-शोधन से संबंधित कोई अभिलेख (Record) कब्जे में रखा है याअपराध से संबंधित किसी संपत्ति को कब्जे में रखा है, तो वह ऐसे विश्वाश के कारणों को अभिलिखित करते हुए इस निमित्त बनाए गए नियमों के अध्यधीन अपने किसी अधीनस्थ अधिकारी (Subordinate Officer) को निम्नलिखित के लिए प्राधिकृत (Authorised) कर सकेगा-

(क) किसी भवन, स्थान, जलयान, यान या वायुयान में प्रवेश करना और तलाशी लेना, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से सम्बंधित अभिलेख या अपराध के आगम रखे जाने के संदेह हो और उसके पास ऐसा संदेह करने का कारण हो

(ख) किसी दरवाजे, बाक्स, लाकर, सेफ, अलमारी या अन्य आधान का, खंड (क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए जहां उनकी चाबियां उपलब्ध नहीं हैं, ताला तोड़कर खोलना;

(ग) ऐसी तलाशी के परिणामस्वरूप पाए गए किसी अभिलेख या सम्पत्ति को अभिगृहीत (Seize) करना;

(घ) [ऐसे अभिलेख या संपत्ति पर, पहचान के चिह्न (आइडेंटिफिकेशन Mark) लगाना या उससे उद्घरण (Quote) या प्रतियां (Photo Copies) लेना या तैयार करना या करवाना;

(ङ) ऐसे अभिलेख या संपत्ति का टिप्पण (Note) या तालिका (Table) तैयार करना;

(च) ऐसे किसी व्यक्ति की शपथ पर परीक्षा करना (Examination on Oath), जिसके  कब्जे में या नियंत्रण में ऐसा अभिलेख या सम्पत्ति पाई जाती है जो इस अधिनियम के अधीन किसी अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए सुसंगत सभी मामलों से संबंधित है:

परंतु मित्रों इस तथ्य को सदैव ध्यान में रखिये कि धारा १७ की उपधारा (१) में वर्णित रीती से ऐसी कोई तलाशी निम्न परिस्थितियों के अंतर्गत ही ली जा सकती है: (अ) जब अनुसूचित (Scheduled) अपराध (Crime) के संबंध में कोई रिपोर्ट दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code), १९७३ (१९७४ का २) की धारा १५७ के अधीन किसी मजिस्ट्रेट को अग्रेषित कर दी गई है या

(ब) अनुसूची (Schedule) में वर्णित अपराध का अन्वेषण (Investigation) करने के लिए प्राधिकृत (Authorised) किसी व्यक्ति द्वारा अनुसूचित अपराध (Scheduled Crime) का संज्ञान (Cognizance) करने के लिए, यथास्थिति, किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष कोई परिवाद (Complaint) फाइल न कर दिया गया हो अथवा

(स ) ऐसे मामलों में जहां दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code), १९७३ (१९७४ का २) की धारा १५७ के अधीन रिपोर्ट अग्रेषित की जानी अपेक्षित नहीं है वहां प्राप्त सूचना की या अन्यथा वैसी ही रिपोर्ट किसी अनुसूचित अपराध का अन्वेषण करने के लिए प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा भारत सरकार के अपर सचिव या उसके समतुल्य पंक्ति से अन्यून के किसी अधिकारी को, जो, यथास्थिति, मंत्रालय या विभाग या इकाई का प्रधान हो, या ऐसे किसी अन्य अधिकारी को, जो केंद्रीय सरकार द्वारा, अधिसूचना द्वारा, इस प्रयोजन के लिए प्राधिकृत किया जाए, प्रस्तुत न कर दी गई हो।]

[(१ क) जहां ऐसे अभिलेख या संपत्ति का अभिग्रहण (Seizure)  करना व्यवहार्य (viable) नहीं है, वहां उपधारा (१) के अधीन प्राधिकृत अधिकारी, उस संपत्ति को अवरुद्ध (Retend) करने का आदेश कर सकेगा, जिसके पश्चात् उस संपत्ति का, ऐसा आदेश करने वाले अधिकारी की पूर्व अनुज्ञा के सिवाय (Without Prior Permission), अंतरण (Transfer)या अन्यथा व्यवहार (Transaction)नहीं करेगा और ऐसे आदेश की एक प्रति की संबंधित व्यक्ति पर तामील (service) की जाएगी:

परंतु यदि धारा ८ की उपधारा (५) या उपधारा (७) या धारा ५८ ख या धारा ६० की उपधारा (२ क) के अधीन उसके अधिहरण (Delivery) के पूर्व किसी समय, अवरुद्ध की गई किसी संपत्ति का अभिग्रहण करना व्यवहार्य हो जाता है तो उपधारा (१) के अधीन प्राधिकृत अधिकारी उस संपत्ति का अभिग्रहण कर सकेगा।]

धारा १७ की उपधारा (२) कहती है कि वह प्राधिकारी, जिसे उपधारा (१) के अधीन प्राधिकृत (Authorised) किया गया है, तलाशी और अधिग्रहण के लिए तो वो तलाशी और अभिग्रहण के कार्य को समाप्त करने के ठीक पश्चात् या ऐसी संपत्ति या अभिलेख को अवरुद्ध करने का आदेश जारी करने पर, इस प्रकार की कार्यवाही को पूर्ण करने के कारणों को अभिलिखित करते हुए उक्त आदेश की एक प्रति, (उस उपधारा में निर्दिष्ट) उसके कब्जे में आयी सामग्री के साथ एक सीलबन्द लिफाफे में, न्यायनिर्णायक प्राधिकरण को ऐसी रीति से अग्रेषित करेगा जो विहित की जाए, और ऐसा न्यायनिर्णायक प्राधिकरण ऐसे कारण और सामग्री ऐसी अवधि तक रखेगा, जो विहित की जाए।

धारा १७ की उपधारा (३ ) के अनुसार जहां किसी प्राधिकारी का, धारा १६ के अधीन दिए गए प्रावधानों के अधीन सर्वेक्षण के दौरान अभिप्राप्त जानकारी पर यह समाधान हो जाता है कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध सम्बन्धित कोई साक्ष्य छिपाया या बिगाड़ा जाएगा; या उसके छिपाए या बिगाड़े जाने की संभावना है, वहां वह ऐसे कारणों से, जो अभिलिखित किए जाएंगे, उस भवन या स्थान में प्रवेश (Enter) कर सकेगा और तलाशी (Search) ले सकेगा जहां ऐसा साक्ष्य अवस्थित (Exist) है और उस साक्ष्य को अभिगृहीत (Seize) कर सकेगा: परन्तु उपधारा (१) में निर्दिष्ट कोई प्राधिकार(Authority), इस उपधारा के अधीन तलाशी के लिए अपेक्षित नहीं होगा।

धारा १७ की उपधारा (४ ) के अनुसार उपधारा (१) के अधीन किसी अभिलेख (Record) या संपत्ति (Property) को अभिगृहीत (Seize) करने या उपधारा (१ क) के अधीन किसी अभिलेख या संपत्ति को अवरुद्ध (Block) करने वाला प्राधिकारी (Authorised), यथास्थिति, ऐसे अभिग्रहण या अवरोधन से तीस(३०) दिन की अवधि के भीतर, न्यायनिर्णायक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) के समक्ष, उपधारा (१) के अधीन अभिगृहीत (Seized) किए गए ऐसे अभिलेख या संपत्ति के प्रतिधारण (Retention) का या उपधारा (१ क) के अधीन तामील किए गए अवरोधन के आदेश (Order of Interception) को जारी (Continue) रखे जाने का अनुरोध करते हुए आवेदन फाइल करेगा।

मित्रों अब तक हमने किसी भवन, स्थान, जलयान, वायुयान, सेफ, दरवाजे, गोदाम, बाक्स, लाकर, सेफ या अन्य अलमारी इत्यादी की तलाशी और उनमे प्राप्त अभिलेखों और सपत्तियों के अभिग्रहण के सन्दर्भ में चर्चा की, अब हम व्यक्ति विशेष की तलाशी और उनसे प्राप्त अभिलेख और सम्पत्तियों के अभिग्रहण से सम्बंधित प्रावधानों पर चर्चा करेंगे।

इस अधिनियम की धारा १८  व्यक्तियों की तलाशी के सन्दर्भ में प्रावधान करती है जो निम्नवत ह :-

उपधारा (१ ) के अनुसार यदि किसी प्राधिकारी के पास, (जो केन्द्रीय सरकार के साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत (Authorised) है), यह विश्वास करने का कारण है कि किसी व्यक्ति ने अपने शरीर में या उसके कब्जे, स्वामित्व या नियंत्रण के अधीन किसी वस्तु में, किसी अभिलेख या अपराध के आगम (Proceeds ऑफ़ Crime)को छिपाकर रखा है जो इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही के लिए उपयोगी या उससे सुसंगत हो सकता है तो वह (ऐसे विश्वास के  कारणों को  लेखबद्ध करते हुए) उस व्यक्ति की तलाशी ले सकेगा और ऐसे अभिलेख (Record) या सम्पत्ति (Property)का अभिग्रहण कर सकेगा जो इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही के लिए उपयोगी या उससे सुसंगत (Relevant) हो सकता है:

परंतु मित्रों इस तथ्य को सदैव ध्यान में रखिये कि धारा १७ की उपधारा (१) में वर्णित रीती से ऐसी कोई तलाशी निम्न परिस्थितियों के अंतर्गत ही ली जा सकती है: (अ) जब अनुसूचित (Scheduled) अपराध (Crime) के संबंध में कोई रिपोर्ट दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code), १९७३ (१९७४ का २) की धारा १५७ के अधीन किसी मजिस्ट्रेट को अग्रेषित कर दी गई है या

(ब) अनुसूची (Schedule) में वर्णित अपराध का अन्वेषण (Investigation) करने के लिए प्राधिकृत (Authorised) किसी व्यक्ति द्वारा अनुसूचित अपराध (Scheduled Crime) का संज्ञान (Cognizance) करने के लिए, यथास्थिति, किसी मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष कोई परिवाद (Complaint) फाइल न कर दिया गया हो अथवा

(स ) ऐसे मामलों में जहां दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code), १९७३ (१९७४ का २) की धारा १५७  के अधीन रिपोर्ट अग्रेषित की जानी अपेक्षित नहीं है वहां प्राप्त सूचना की या अन्यथा वैसी ही रिपोर्ट किसी अनुसूचित अपराध का अन्वेषण करने के लिए प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा भारत सरकार के अपर सचिव या उसके समतुल्य पंक्ति से अन्यून के किसी अधिकारी को, जो, यथास्थिति, मंत्रालय या विभाग या इकाई का प्रधान हो, या ऐसे किसी अन्य अधिकारी को, जो केंद्रीय सरकार द्वारा, अधिसूचना द्वारा, इस प्रयोजन के लिए प्राधिकृत किया जाए, प्रस्तुत न कर दी गई हो।

धारा १८ की उपधारा (२ )  कहती है कि  वह प्राधिकारी, जिसे उपधारा (१ ) के अधीन प्राधिकृत (Authorised) किया गया है, तलाशी और अधिग्रहण के लिए तो वो तलाशी और अभिग्रहण के कार्य को समाप्त करने  के ठीक पश्चात्  या ऐसी संपत्ति या अभिलेख को अवरुद्ध करने का आदेश जारी करने पर, इस प्रकार की कार्यवाही को पूर्ण करने के कारणों को अभिलिखित करते हुए उक्त आदेश की एक प्रति, (उस उपधारा में निर्दिष्ट) उसके कब्जे में आयी सामग्री के साथ एक सीलबन्द लिफाफे में, न्यायनिर्णायक प्राधिकरण को ऐसी रीति से अग्रेषित करेगा जो विहित की जाए, और ऐसा न्यायनिर्णायक प्राधिकरण ऐसे कारण और सामग्री ऐसी अवधि तक रखेगा, जो विहित की जाए।

धारा १८ की उपधारा (३) के अनुसार  जिस व्यक्ति की तलाशी ली जानी है यदि ऐसा व्यक्ति ऐसी अपेक्षा करे तो उसे तलाशी लेने वाले प्राधिकारी को उससे  रैंक में निकटतम ज्येष्ठ राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट के पास चौबीस घंटे के भीतर ले जाया जायेगा परन्तु चौबीस घंटे की अवधि से वह समय अपवर्जित (Exclude) किया जाएगा जो ऐसे व्यक्ति को ज्येष्ठ राजपत्रित अधिकारी के पास या मजिस्ट्रेट के न्यायालय में ले जाने में की गई यात्रा के लिए आवश्यक है। उपधारा () के अनुसार ऐसा व्यक्ति चौबीस घंटे से अधिक अवधि के लिए निरुद्ध नहीं किया जायेगा।

धारा १८ की उपधारा (५) के अनुसार  राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट, यदि तलाशी के लिए कोई उचित आधार नहीं पाता है तो तत्काल ऐसे व्यक्ति को उन्मोचित करेगा किन्तु अन्यथा वह यह निदेश देगा कि तलाशी ली जाए। उपधारा (६) के अनुसार उपधारा () या उपधारा (५) के अधीन तलाशी लेने से पूर्व, प्राधिकारी, दो या अधिक व्यक्तियों को उपस्थित रहने और तलाशी में साक्ष्य के लिए बुलाएगा और तलाशी ऐसे व्यक्तियों की उपस्थिति में ली जाएगी।

मित्रों इस अंक में इतना ही अगले अंक में हम अन्य बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे।

Nagendra Pratap Singh (Advocate)

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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