सडकों का सीना हो रहा है छलनी, मुख्यालय करौली या कही जाए तो कैसे जाए?

आज आपको राजस्थान के सबसे पिछड़े क्षेत्रों मे शामिल गांवो की कहानी बताते है जहाँ सदके है ही नही या पुरानी टूटी-फूटी सदके है, करौली जिले के करणपुर क्षेत्र के बारें मे बताने जा रहे है।

करणपुर कस्बा, क्षेत्र से लगभग 50 गाँव का सम्पर्क है जिसमें, पुलिस थाना, बैंक शाखा, उप तहसील, वन विभाग चौकी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद, पशु चिकित्सालय, माढा आश्रम छात्रावाश, समाज कल्याण छात्रावाश, कृषि विभाग कार्यालय, बिजलीघर, जलदाय कार्यालय आदि सरकारी कार्यालय है। लेकिन इन दिनों में सबसे ज्यादा समस्याएं आम जनता को भुगतनी पड़ती है क्योंकि बरसात की दिनों में पानी चलने से लगभग चारो तरफ के रास्ते ब्लॉक हो जाते है जिससे जनता को किसी भी विभाग में कैसा भी महत्पूर्ण काम हो, चाहे मरीज हो, या गर्भवती महिला हो या अन्य विभागों के कर्मचारियों का क्षेत्र से सटीक गॉवों में काम हो नालों में पानी कम होने का इंतजार करना पड़ता है वो भी पैदल क्योंकि आवागमन के साधन तो लगभग से अवरुद्ध हो जाते है नालों (सोतों) में कई वर्ष से निकासी की व्यवस्था नही होने वजह से कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सड़कों का सीना हो रहा है छलनी, करणपुर से कैलादेवी 35किलोमीटर, बालेर 24,25 किलोमीटर व मंडरायल 33किलोमीटर लम्बी सड़क जर्जर:

जिला मुख्यालय से करीब 60कि.मी. दूर करणपुर डाँग क्षेत्र में मुख्यतः तीन सड़के बहुत महत्वपूर्ण है। इनमें करणपुर से मंडरायल 33,34 किमी., करणपुर से बालेर 24 किमी. व करणपुर से कैलादेवी 34,35 किमी. दूरी की सड़क है। करणपुर क्षेत्र के लोगों को यह दुर्भाग्य है कि करणपुर से बालेर की सड़कों को करीब 26,27 साल पहले बनाया था जिसमे करीब 6किमी. वन क्षेत्र में होने की वजह से बन पाई है। इसी तरह करणपुर-मंडरायल सड़क मार्ग भी पूरी तरह खराब है, और बरसाती दिनों में तो लगभग महीनेभर के लिए रास्ता ब्लॉक सा हो जाता है। और महाराजपुरा ग्राम पंचायत के दर्जनों गावों का हर साल बारिश से आवागमन बन्द रहता है।

जगह-जगह से कच्ची सड़कें टूट जाती है ऐसे में वहाँ कोई सुविधा नही है और ना ही मिल पाती है एक बार यहां स्व गुजरने के बाद दुपहिया वाहन चालक इस रास्ते से स्वतः परहेज करने लगते है। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी इन सड़कों की हालात से अवगत है। लेकिन मरम्मत व निर्माण की ओर कोई ध्यान नह दे रहा है। हालांकि करणपुर से कैलादेवी व करणपुर से मंडरायल सड़क मार्ग का ठेका भी हो चुका है लेकिन कार्य शुरू नही हुआ है वही 13,14 घुमावदार मोड़ो वाली करणपुर की घाटी की चौड़ाई नही है सड़क भी क्षतिग्रस्त है सड़क भी टूटी पड़ी है घाटी में हादसों से कई लोगो की जान जा चुकी है।

मंडरायल उपखण्ड की अनेकों ग्राम पंचायतों में आजादी के 70 साल बाद भी रास्तों को मोहताज है ग्रामीण:

हल्की बारिश होने से आम रास्ते हो जाते है अवरूद्ध ग्रामीणों को चारपाई पर प्रसूताओं को पड़ रहा है ढोना एक और राज्य एवं देश की सरकार गाँवो को डिजिटलाइजेशन करने के बेहद प्रयासरत होने सहित गावों में बेहतर आम नागरिकों को सुविधा प्रदान करने हेतु बड़े बड़े दावे कर रही है। लेकिन राजस्थान के करौली जिले के मंडरायल उपखण्ड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज नजर आते है लेकिन सबसे अधिक सावलिया निशान सरकारी उपखण्ड स्तरीय प्रशासन को लापरवाही के चलते धरातल स्तर पर कितनी राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ है। इन सभी तस्बीरों से जाहिर होता है कि यहाँ सरकारी सिस्टम की नाकमयावी कहे।

घाटी की सुरक्षा दीवार व सड़क जर्जर:

करणपुर घाटी की सड़क औऱ सुरक्षा दीवार जर्जर होने से हादसे का अंदेशा है लम्बे समय से मरम्मत नही होने से हालात खराब हो रही है। सड़क सड़क जगह से उखड़ गई है। गिटटी बिखरी पड़ी है बारिश के दौरान पानी भरने से वाहन चालकों को काफी दिक्कत आती है सड़क पर गड्डो में पानी भरा रहता है जिससे पता ही नही चलता कि गड्ढा कितना गहरा है फिसलन से वाहन चालकों को हादसे का डर रहता है सड़क कई जगह से धँस गयी है सुरक्षा दीवार टूटी हुई है।

लगभग 13, 14 साल पहले का हुआ है डामरीकरण:

करीब तेरह चौदह साल पहले घाटी सहित करणपुर से कैलादेवी तक 33,34 किमी. सड़क का डामरीकरण हुआ था, लेकिन इसके बाद सुध नही ली गई। करणपुर क्षेत्र के शिवचरण दीक्षित, रूपचंद मित्तल, भैरोलाल पहाड़िया, रामदयाल, देवीलाल बैरवा, हजारी आदि ने गत दिनों पहले करणपुर उप तहसील कार्यालय में हल्का पटवारी कृष्ण कुमार तिवाडी को जिला कलेक्टर एवं पूर्व मंत्री व स्थानीय विधायक रमेश मीना के नाम ज्ञापन सौंपकर घाटी की सड़क व सुरक्षा दीवार की मरम्मत की माँग की है।

नेटवर्क की समस्या है गम्भीर :
गत मई में महीने में करौली धौलपुर सांसद मनोज राजौरिया का दौरा हुआ तो उनको अवगत कराया कि 3,4 साल से जियो का टावर बनकर तैयार तो कर दिया गया है। लेकिन अभी तक चालू नही हुआ तो राजौरिया ने आश्वासन दिया कि एक महीने में कोशिश करते है चालू करवाने की लेकिन 2महीने बीतने के बाद भी अपने आश्वासन पर खरे नही उतरे लगभग 20किमी. के क्षेत्र में कोई भी टावर सुचारू ढंग से चालू हालात में नही होने की वजह से बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ है और डिजिटल जमाने भी ऐसी सुविधाएं से वंचित रहने को मजबूर है।

Jitendra Meena: Independent Journalist | Freelancers .
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