लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश की घटना संयोग या एक और प्रयोग?


दोस्तों NDTV इण्डिया कि वेबसाइट पर दिनांक ६ अक्टुबर, २०२१ को “लखीमपुर खीरी की घटना केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे की सुनियोजित साजिश थी’: FIR रिपोर्ट” शीर्षक से अलोक पांडे और प्रमोद कुमार प्रवीण के सौजन्य से एक लेख प्रकाशित किया गया जो कि लखीमपुर खीरी की घटना के संदर्भ में लिखवाई गई “प्रथम सूचना प्रतिवेदन” अर्थात FIR पर आधारित है।

FIR मे लिखवाई गई कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ को प्रकाशित किया गया है जो निम्न प्रकार से है:-

“FIR में कहा गया है की “दोपहर 3 बजे के करीब ये घटना तब हुई, जब आशीष मिश्रा अपने तीन वाहनों के साथ 15-20 पुरुषों के साथ हथियारों से लैस होकर बनवारीपुर सभा स्थल की ओर बढ़े। आशीष अपनी थार महिंद्रा गाड़ी में बाईं ओर बैठे थे, वहीं से उन्होंने भीड़ पर गोली चलाई। तभी उनका वाहन लोगों में जा घुसा। गोलीबारी में किसान सुखविंदर सिंह के 22 वर्षीय बेटे गुरविंदर की मौत हो गई।”

प्राथमिकी में कहा गया है कि मंत्री के बेटे की गाड़ी ने “सड़क के दोनों ओर” किसानों को भी कुचल दिया, जिसके बाद चालक ने नियंत्रण खो दिया और गाड़ी खाई में लुढ़क गई, जिससे कई लोग घायल हो गए। प्राथमिकी में कहा गया है कि इसके बाद मंत्री का बेटा, गाड़ी से उतर गया और अपनी बंदूक से फायरिंग करते हुए गन्ने के खेत में भाग गया।”

अब इस घटना के सन्दर्भ में कम से कम १० वीडियो सामने आ चुके हैं जो निसंदेह आप सभी ने देखें होंगे। अब आइये हम् और आप मिलकर उन वीडियो के आधार पर इस FIR में लिखवाये गए आरोपों का काट छांट विच्छेदन करने का प्रयास करते हैं।

बिंदु संख्या १:- दोपहर 3 बजे के करीब ये घटना तब हुई, जब आशीष मिश्रा अपने तीन वाहनों के साथ 15-20 पुरुषों के साथ हथियारों से लैस होकर बनवारीपुर सभा स्थल की ओर बढ़े।

जांच:- अब तक जितनी भी वीडियो हमारे सामने आई हैं, उनमें से किसी भी विडीओ में हथियारों से लैस १५-२० पुरुष नहीं दिखाई दिए हैं। किसी भी विडीओ में हथियार के दर्शन नहीं हुए हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सपा, बसपा या अन्य किसी भी पार्टी के लोगों द्वारा किसी भी प्रकार का ऐसा विडीओ सामने नहीं लाया गया है, जिससे हथियारों के साथ १५-२० पुरुषो कि गाड़ियों में बैठने कि पुष्टि हो सके। अब समस्या ये है कि यदि हथियारों से लैस १५-२० लोग गाड़ियों में उपस्थित थे तो वो किसी भी विडीओ में दिखाई क्यों नहीं दिए। अब आप हि इस तथ्य का पता लगाए कि FIR में लिखवाया गया प्रथम बिंदु कंहा तक सत्य है।

बिंदु संख्या २:-आशीष अपनी थार महिंद्रा गाड़ी में बाईं ओर बैठे थे, वहीं से उन्होंने भीड़ पर गोली चलाई। तभी उनका वाहन लोगों में जा घुसा।

जांच:- अब यंहा पर आशीष मिश्रा @ मोनू मिश्रा जो मंत्री जी के बेटे हैं, उनकी बात कि जा रही है कि वो अपनी “थार महिन्द्रा गाड़ी” में बांई सीट पर बैठे थे और वही से उन्होंने भीड़ पर गोली चलाई। इस बिंदु को अगर हम्म सत्य मान ले तो इसका तात्पर्य ये है कि वो गाड़ी नहीं चला रहे थे। गाड़ी कोई और चला रहा था। इस तथ्य कि पुष्टि के लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने एक वीडियो टवीट् कि जिसमें एक शख्स थार महिन्द्रा गाड़ी से बाई ओर से उतरता हुआ और भागता हुआ दिखाई दे रहा है, परन्तु इस विडीओ मे भागते हुए शख्स को कई मिडिया चैनल वाले सुमित जायसवाल के रूप मे चिन्हित कर चुके हैं और इस शख्स का हुलिया भी आशीष मिश्रा से कंही से भी मिलता जुलता नहीं है तो क्या जानबूझकर आशीष मिश्रा को वंहा उपस्थित दिखाया जा रहा है। अब यदि मान भी ले कि उस थार महिन्द्रा गाड़ी में आशीष मिश्रा और सुमित जायसवाल दोनों बैठे थे, तो केवल सुमित जायसवाल हि गाड़ी से उतरकर भागता क्यों दिखाई दे रहा है, आशीष मिश्रा कंहा चलें गए।

यंहा पर यह भी कहा जा रहा है कि आशीष मिश्रा ने गोली चलाई, पर गोली चलाते हुए अभी तक कोई विडीओ विपक्षी नेताओं या शिकायतकर्ताओं कि ओर से नहीं प्रस्तुत कि गई। आशीष मिश्रा को छोड़ीये अन्य १५-२० लोग जो FIR के अनुसार गाड़ियों में मौजूद थे उनके द्वारा भी गोली चलाने कि किसी घटना का उल्लेख अब तक सामने नहीं आया। तो फिर ये दूसरा बिंदु भी संदेह के घेरे में है, जिसका समाधान फिलहाल कम से कम विपक्षी नेताओं के पास तो नहीं है।

यंहा पर यह बात लिखवाई गई है कि, उनका वाहन लोगों के बीच जा घुसा। ये तथ्य सच है कि एक महिन्द्रा थार कुछ लोगों को धक्का मारते हुए तेजी से निकल गई, परन्तु ऐसा हुआ क्यों? तो इसका जवाब कुछ विडीओ हि दे दे रहे हैं जिनमें स्पष्ट रूप से गाड़ियों पर पथराव करते और लाठियों डंडो से हमला करते कुछ तथाकथित किसानों को देखा जा सकता है।

बिंदु संख्या ३:- गोलीबारी में किसान सुखविंदर सिंह के 22 वर्षीय बेटे गुरविंदर की मौत हो गई।”

जांच:- जितने भी विडीओ अभी तक सामने आए हैं, उनमे से किसी में भी गोलीबारी होते हुए नहीं दिखाया गया है। स्वर्गिय गुरविंदर सिंह का पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी कंही भी ये उल्लेख नहीं है कि उन्हें गोली लगी और गोली लगने से उनकी मौत हुई। परिवार के आग्रह पर उनका दुबारा पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है, देखते हैं दूसरी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या मिलता है।

बिंदु संख्या ४:-मंत्री के बेटे की गाड़ी ने “सड़क के दोनों ओर” किसानों को भी कुचल दिया, जिसके बाद चालक ने नियंत्रण खो दिया और गाड़ी खाई में लुढ़क गई, जिससे कई लोग घायल हो गए।
अब जिस गाड़ी ने किसानों को धक्का मारा वो सीधा निकल रही है अपने रस्ते पर ऐसा विडीओ में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है, फिर वो दोनों ओर के किसानों को कैसे कुचल सकती है, हाँ उस गाड़ी के सामने जो किसान आए वो दब गए।

यंहा ये कहा जा रहा है कि ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और गाड़ी खाई में लूढक गई, जिससे कई लोग घायल हो गए। जबकि दोस्तों आपने भी वो विडीओ अवश्य देखी होगी जिसमें थार महिन्द्रा गाड़ी खड़ी है और कुछ लोग उस गाड़ी को पलटाने कि सलाह दे रहे हैं और कुछ हि देर में उस गाड़ी को धक्का मारकर किसानों द्वारा पलट दिया जाता है और उसे आग के हवाले कर दिया जाता है। यही नहीं एक् अन्य विडीओ में उस बेचारे ड्राइवर को कुछ शांतिप्रिय किसान उसे अधमरा कर उसे यह कबूल करवाने कि कोशिश करते हुए देखें जा सकते हैं कि गाड़ी को अजय मिश्रा @ टोनी के कहने पर किसानों के ऊपर चढ़वा दी गई है और जब ड्राइवर इस बात से इंकार करता है तो वहीं शांतिप्रिय किसान उसे लाठी डंडो कि सहायता से सत्याग्रह करते हुए मार डालते हैं।

बिंदु संख्या ५:- “प्राथमिकी में कहा गया है कि इसके बाद मंत्री का बेटा, गाड़ी से उतर गया और अपनी बंदूक से फायरिंग करते हुए गन्ने के खेत में भाग गया।”

जांच:- अब तक जितने भी विडीओ सामने आए हैं, उनमे से किसी भी विडीओ में आशीष मिश्रा @ मोनू मिश्रा (मंत्री के बेटे) कि तस्वीर सामने नहीं आई है और ये कैसे सम्भव हो सकता है कि किसानों से चार लोग (तीन भाजपा के कार्यकर्ता और ड्राइवर) को तो इन शांतिप्रिय किसानों ने तो लाठी डंडो के सत्याग्रह से पीट पीट कर मार डाला तो फिर उनकी नज़र में जो मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा कैसे गन्ने के खेतों से होता हुआ भाग गया, जबकि वहां हजारों कि संख्या में किसान मौजूद थे।

अब प्रश्न ये है कि घटना वाले दिन से कांग्रेस के, आप के, सपा के और बसपा के तथा अन्य पार्टियों के तथाकथित नेता किस आधार पर देश के गृह राज्य मंत्री और ऊनके बेटे के ऊपर किसानों कि हत्या का आरोप लगा रहे हैं। वो कौन से साक्ष्य हैं या साक्षीदार है जिनके आधार पर विपक्षी इतना छाती पीट पीट कर आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की बात कर रहे हैं, अब तक तो सबकुछ हवा में है।

अब तस्वीर का दूसरा रुख भी देख लेते हैं।
यंहा पर एक दो नहीं अपितु कि ऐसे विडीओ सामने आए है, जिसमें स्पष्ट रूप से भाजपा के ब्राह्मण कार्यकर्ताओ को किसान अपने लाठी डंडो वाले सत्याग्रह से पीट पीट कर जान से मारते हुए दिखाई दे रहे हैं, परन्तु कोई भी विपक्षी नेता उन सत्याग्रही किसानों के विरुद्ध कार्रवाई करने कि माँग नहीं कर रहा है, अपितु कुछ निर्ल्लज तो ऐसे भी हैं कि इसे ” क्रिया के बदले हुई प्रतिक्रिया कि संज्ञा देकर उनको बचाने कि कोशिश कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण तुष्टिकरण कि एक बार पून: चाल चलकर और कई ब्राह्मण सम्मेलन कर भाजपा सरकार के विरुद्ध विषवमन करने वाला बसपा नेता, लखीमपुर खीरी में तीन ब्राह्मणो कि हुई निर्मम हत्या पर खामोश क्यों है? वो अब तक क्यों नहीं गया उन ब्राह्मण परिवार के घरो मे जिनके चिरागों को किसानों ने अपने लाठी डंडो वाले सत्याग्रह से निर्ममता पूर्वक पीट पीट कर मार डाला।

ब्रह्मणो के लिए प्रेम रस बरसाने वाले कांग्रेसी, सब के सब क्यों नहीं गए उन ब्राह्मण परिवारों से मिलने जिनके मासूम युवा लड़को को किसानों ने अपने लाठी डंडो वाले सत्याग्रह से पीट पीट कर मार डाला।

तो साथियों अब यंहा पर प्रश्न ये उठता है कि ये भी NRC और CAA के विरोध में शाहीन बाग में धरने और उसके बढ़ दिल्ली को दंगो कि आग में जलाने जैसा प्रयोग तो नहीं क्योंकि वंहा हिन्दू और मुसलमानों के मध्य दंगा कराया गया और लगभग ५० से ज्यादा लोगों कि आहुति ले ली गई।

यंहा लखीमपुर खीरी में जिस प्रकार हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र में सिक्खों को जुटाया गया और उत्तर प्रदेश के डिप्टी CM श्री केशव प्रसाद मौर्या जी का जंहा हेलीकॉप्टर उतरना था उस स्थान को कब्जे में ले लिया गया और फिर चार हिन्दुओ कि लाठी डंडो से पीट पीट कर हत्या कर दी गई, कंही ऐसा तो नहीं कि अब हिन्दू और सिक्खों को आपस में लडाने का प्रयोग यंहा किया जा रहा हो।

खैर जो भी हो, इन लोगों को यह समझना चाहिए कि ये दिल्ली नहीं जंहा का मुख्यमंत्री केजरीवाल है, ये उत्तर प्रदेश है और यंहा क़ानून का राज है जिसका नियंत्रण एक योगी के हाथ में है। और योगी जी ने बड़े हि सूझबुझ से षड्यंत्रकारियों के मंसूबों को धूल में मिला दिया और किसी प्रयोग को सफल होने का मौका हि नहीं दिया।

जो कुछ भी हो इस घटना कि भी सच्चाई बाहर आ हि जाएगी और जो षड्यंत्रकारी हैं वो अपने गति को प्राप्त अवश्य होंगे।

जय हिंद वंदेमातरम।

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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