लखबीर की हत्या ने खड़े किए कई सवाल, क्या मिल पाएगा इंसाफ?

सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह की तालिबानी तरीके से की गई हत्या ने अब कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पहला सवाल यह है कि आखिर भारत जैसे देश में भी क्या इस तरीके से किसी की हत्या की जा सकती है? इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों के भीतर क्या कानून का डर नहीं है, यदि नहीं है तो इसकी क्या वजह है? क्य़ा कलयुग ऐसा आ गया है कि लोगों के अंदर इंसानियत नाम की कोई चीज ही नहीं है? वहीं, इस घटना को अंजाम देने वाले बेरहम लोगों के बचाव के लिए भी एक गुट तैयार हो गया है. यह गुट श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने पर ऐसी सजा को सही बता रहा है. हम सभी श्री गुरू ग्रंथ साहिब का पूरा सम्मान करते हैं. लेकिन यहां पर यह सवाल भी उठना लाजिमी है कि क्या बेअदबी की ऐसी सजा होनी चाहिए? ऐसा करना क्या सिखों के परम पूजनीय गुरूओं का अपमान नहीं है?

पुलिस को शव तक पहुंचने में क्यों लगे घंटों

वायरल वीडियो के मुताबिक मृतक लखबीर की हत्या तालिबानी तरीके से की गई. पहले उसके हाथ-पैर काटे गए. फिर मारकर उसके शव को बैरिकेडिंग से टांग दिया गया था. पुलिस को बैरिकेडिंग से शव को उतारने में भी घंटो लग लग गए थे. आखिर क्या वजह थी कि पुलिस को शव तक पहुंचने में भी घंटों लग गए? इसकी भी जांच की जानी चाहिए. इतना ही नहीं, खबरों से पता लगता है कि इसके अंतिम संस्कार पर अरदास तक नहीं करने दिया गया. क्या देश में धर्म कानून से भी ऊपर है?

अनुसूचित जाति आयोग ने दिखाई सख्ती

सिंघु बॉर्डर पर हुए नृशंस हत्याकांड पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) ने सख्ती दिखाई. बीते सप्ताह ही आयोग के अध्यक्ष विजय ने कहा कि किसान नेताओं ने पूरी तरह से इस घटना से पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन यह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आरोपी 10 महीने से उनके साथ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके साथ रह रहे हैं, तो वे उसी आंदोलन का हिस्सा हैं। विजय सांपला ने कहा कि जिस स्थान पर आरोपियों ने लखबीर को फांसी पर लटकाया, वह भी किसानों के मंच के पास है। वहां जो भी घटना होती है उसके लिए किसान ही जिम्मेदार होते हैं। उनकी भूमिका अपराधियों की तरह ही है।

क्या मिल पाएगा इंसाफ

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस मामले की जांच के लिए पंजाब की कांग्रेस सरकार ने बुधवार 20 अक्टूबर को स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम यानी SIT का गठन कर दिया. बताया गया है कि SIT निहंगों के नेता अमन सिंह, उनके ग्रुप की गतिविधियों, सिंघु बॉर्डर पर लखबीर सिंह की हत्या और बर्खास्त पुलिसकर्मी गुरमीत सिंह ‘पिंकी’ की केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात और कुछ निहंग नेताओं के बारे में पता लगाएगी. ADGP वरिंदर कुमार को SIT का प्रमुख बनाया गया है. खबर ये भी है कि पंजाब के गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से बात की है. रंधावा ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह से आग्रह किया है कि वे बाबा अमन सिंह की गतिविधियों के बारे में पता लगाने के लिए विभिन्न निहंग समूहों की बैठक बुलाएं. उन्होंने आरोप लगाया कि कई फर्जी निहंग नेता सामने आए हैं. लेकिन क्या सच में लखबीर सिंह को इंसाफ मिल पाएगा? इस सवाल का जवाब शायद किसी के पास नहीं है.

Rajesh Ranjan Singh: Independent Sr. Journalist, Writer.
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