किसान नहीं अराजकतावादियों का आन्दोलन, किसान के भेस में बैठे आतंकवादियों ने ली एक की जान

किसान खेती करते है भेड़िये जंगली जानवरों का शिकार करते है किसान और भेड़िये की बात को देखना है की किसान कौन और भेड़िये कौन? तो वर्तमान मे भारत मे चल रहे इस किसान आन्दोलन के नाम पर जो भेड़िये किसान के भेस मे छुपे है उनका चेहरा साफ हो गया है

सिंघु बॉर्डर पर किसानों के मंच के पास शुक्रवार को एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी गई, बेरहमी से हत्या के बाद एक हाथ काटकर शव बैरिकेड से लटका दिया गया है, कई वीडियो वायरल भी हो रहे है मारते वक्त के लेकिन अभी तक पुलिस एक अपराधी को ही पकड पाई है जबकी वीडियो मे सबका चेहरा साफ साफ था, आपकाें बता दें कि यह घटना गुरुवार रात हुई है, मारने के बाद शव को 100 मीटर की दूरी तक घसीटा गया।

वीडियो मे साफ साफ दिखाई दे रहा है की उसका एक हाथ काटकर शव को बैरिकेड से लटका दिया गया। गर्दन पर धारदार हथियार से वार किया गया, हाथ भी धारदार हथियार से काटा गया लेकिन फिर भी पुलिस ने अज्ञात लोगो के खिलाफ शिकायत दर्ज की।

सिंघु बॉर्डर पर हुई दलित युवक की बर्बर हत्या के मामले में पुलिस ने एक आरोपी सरवजीत को गिरफ्तार किया है निहंग सरवजीत ने हत्या की जिम्मेदारी ली है।

सिंघु बॉर्डर पर दायर याचिका की जल्द सुनवाई की मांग

वकील शशांक शेखर झा ने कहा कि मैंने स्वाती गोयल शर्मा और संजीव नेवर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में मार्च, 2021 से लंबित है. कई कोशिशों के बाद अब भी मामले की सुनवाई नहीं हुई है सिंघु बॉर्डर पर दलित युवक की हत्या के बाद मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है।

भारत मे जितनी आजादी है शायद इतनी किसी और देश मे होगी। माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी ऐसी घटनाओं को अनदेखा कर रहे है, मार्च 2021 से सिन्घु बौर्डर को खाली करवाने की याचिका लम्बित पडी है। लेकिन न्यायाधीश को फुरसत ही नही ऐसे मामलों की सुनवाई करने के लिये?

किसान के भेस मे बैठे इन आतंकवादियों पर सरकार को सख्त रवैये की आवश्कता है।

किसान खेती करते है और हर एक किसान को भारतीय होने पर गर्व है लेकिन जो किसान के भेस मे बैठे आतंकवादी है वो अरेआम भारत की शान तिरंगे को शान से फाड रहे है इन पर देशद्रोह का मुकदमा होना चाहिये था लेकिन ऐसा नही हुआ? ट्विटर पर नीतिन पाटिल नाम के उपयोगकर्ता ने वीडियो को शेयर किया है वीडियो देखे

इन आन्दोलनों की जिम्मेदारी राकेश टिकैत ने ली थी। इस हत्या का जिम्मेदार राकेश टिकैत को ठहराना गलत नही होगा, क्योकि जब से किसानो के नाम पर आन्दोलन शुरु किया है जब से हिंसा की खबरें ही आ रही है उच्च न्यायालय गहरी नींद मे सो रहा है।

Jitendra Meena: Independent Journalist | Freelancers .
Disqus Comments Loading...