क्या मनोज मुंतशिर की कविता बता रही है कौन है मुगलों का असली हमदर्द?

आज देव आनंद साहब के पिक्चर का प्रसिद्ध गीत सार्थक होते हुए दिखाई दे रहा है जिसके बोल है “कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना”। मनोज मुंतशिर जी की कविता की निगाहें तो शायद आतंकी मुगलों पर थी परंतु ना जाने क्यों निशाना तथाकथित सेक्युलर प्रजातियों पर लग गया। मनोज मुंतशिर जी ने तो मुगलों को भिगो भिगो कर जूते मारे थे परंतु ना जाने क्यों जूतों का दाग इन सेक्यूलरो के कपड़ों पर लग गया।

मनोज जी ने मुगलों को आतंकी क्या कहा इन तथाकथित सेक्यूलरो को मुगलों में तालिबान की छवि दिखाई देने लग गई और उन्होंने अपने सर्वाधिक महत्वपूर्ण कर्तव्य को पूरा करने के लिए अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को काम में लाना शुरू कर दिया और मनोज मुंतशिर जी के कमेंट सेक्शन में “स्वच्छ भारत अभियान” की धज्जियां उड़ा दी। इन तथाकथित सेक्युलरो ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी मुगलों को देव तुल्य साबित करने में। आज शायद इरफान हबीब और रोमिला थापर की छाती भूल गई होगी यह जानकर कि उनके प्रजाति के लोग उन्हें कितना प्यार करते हैं।

मेरे मन में सिर्फ दो ही सवाल है,पहला यह है कि क्या मुगलों ने भी अपने समय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी? और दूसरा सवाल मेरा मोदी जी से है कि अगर सभी के घरों में शौचालय बना दिए गए हैं तो यह सेक्यूलर प्रजाति मनोज मुंतशिर जी के कमेंट सेक्शन में इतनी गंदगी क्यों फैला रही? आज इन लोगों को चिल्ला चिल्ला कर मुगलों के लिए यह नारे लगा देने चाहिए “तेरा मेरा रिश्ता क्या बर्बरता बर्बरता बर्बरता”।

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