आखिर विपक्षि नेता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी से चीढते क्योँ हैं?

आइये ज़रा इसका विश्लेषण करते हैं।

एक विद्यालय था, जिसमें कला, वाणिज्य, विज्ञान, साहित्य, समाज, और भौतिक प्रशिक्षण जैसे कई विभाग और उनके उपविभाग थे। उस विद्यालय के पास ना तो विद्यार्थियों कि कोई कमी थी और ना हि पैसे कि कोइ कमी थी परंतु वँहा कि व्यवस्था ऐसी बन चुकी थी कि उस विद्यालय में शिक्षा, सामाजिक व्यवहार या खेलकूद या उसके यश कीर्ति में किसी भी प्रकार कि उन्नति नहीं दिख रही थी। वँहा के विद्यार्थी उनके अभिभावक व कर्मचारीगण  बिल्कुल निराश हो चुके थे। उस विद्यालय में चंहु ओर बस लूटो खाओ पीओ और मौज करो कि योजना अपने चरम पर थी।

वँहा पर कुछ लोगों ने हर महत्वपुर्ण स्थान पर कब्जा जमा लिया था और बड़ी हि आसानी से लूट खसोट कर रहे थे। अब तक १० प्रधानाचार्य उस विद्यालय में एक के बाद एक नियुक्त हो चुके थे , जिनमें से एक ने विद्यालय में व्याप्त गन्दगी को साफ करने का प्रयास किया, परन्तु उन भ्र्ष्टाचारियों और लूट खसोट करने वालोंं ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया और अन्तत: उन्हें भी किसी प्रकार अपना कार्यकाल पूरा कर निकल जाना पड़ा, क्योंकि उन गन्दी सोच व चारित्र वाले लोगों ने विद्यालय के कमज़ोर विद्यार्थियों का सहारा लेकर उन्हें हटने के लिए विवश कर दिया।

फिर १० वर्षो के काली भयानक व दर्दनाक अँधेरे के पश्चात् उस विद्यालय ने एक स्वच्छ उजाले के रूप में एक नए प्रधानाचार्य को चूना और उनके हाथों में विद्यालय कि बागडोर दे दी।अब इस नए प्रधानाचार्य ने पिछले सभी प्रधानाचार्य के कार्यकाल में हुए कार्यों कि समीक्षा करना शुरू कि और जितने भी लोगों ने भ्र्ष्टाचार व लूट खसोट मचायी थी उन सभी के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करना शुरू कर दिया। उसने विद्यालय के पैसे का दुरूपयोग करने वालों के विरुद्ध जॉंच बैठा कर वसूली करना शुरू कर दिया। उसने विद्यालय कि अचल सम्पत्ति पर वर्षो से कब्जा जमाये अयोग्य लोगों को बेदखल करना शुरू कर दिया।  कर्मचारीयों को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य देने लगा। अयोग्य विद्यार्थियों से स्कॉलरशिप वापस ले ली। विद्यालय के और बाहरी संस्थानों के पैसे से चलने वाले एनजीओ को बंद करवा दिया या फिर उन्हें जॉंच के दायरे में लाकर रख दिया। उनके दान मे मिले पैसों के उपयोग पर पाबन्दी लगा दी।

विद्यालय के विरुद्ध किसी भी प्रकार कि झूठी बातें फैलाने वालों पर कार्यवाही करने कि अर्जियाँ देने लगा। अब हालत यंहा तक हो गई कि विद्यालय के एक एक वाहन के दैनिक खर्चे का हिसाब लेने लगा। जो लोग अपने दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर रहे थे, उन्हें उनके अनुकूल दायित्व सौप कर छोड़ दिया गया।

अब जिन जिन पुराने प्रधानाचार्य लोगों पर कर्मचारीयों और शिक्षको या उनकी दया से लाभ प्राप्त करने वाले लोगों पर कार्यवाही शुरू हो गई, उन्होंने उस नए प्रधानाचार्य को अपना दुश्मन मान लिया, ये स्वाभाविक था।अब इन भ्र्ष्टाचारियों ने उसे गालियॉं देना शुरू किया, उसे अपमानित करना शुरू कर दिया, उसके ऊपर तरह तरह के झूठे आरोप लगाना शुरू कर दिया, उसकी हर सकारात्मक क्रिया पर नकारात्मक प्रतिक्रिया देना शुरू किया और आज तक वो लोग ऐसा हि कर रहे हैं।

आज वो विद्यालय, उसके विद्यार्थी, उसके कर्मयोगी कर्मचारी और विद्यार्थियों के अभिभावक खुश और संतुष्ट हैँ, क्योंकि कल तक जो विद्यालय अपने आस पास के विद्यालयों कि तुलना मे फिसड्डी हुआ करता था वहीं आज उन सभी विद्यालयों के मध्य प्रथम पायदान पर खड़ा है। आज वँहा के विद्यार्थी, शिक्षक और कर्मचारी बड़े हि गर्व से मस्तक ऊपर करके चलते हैं और लोग उनकी प्रसंशा करते नहीं थकते।

अब आप समझे वो प्रधानाचार्य हमारे मोदी जी हैं और जो उनको गालियॉं दे रहे हैं वो पुराने वाले प्रधानाचार्य अर्थात विपक्षि हैं।

चलिए एक दूसरे तथ्य से समझते हैं।

देव आनंद और प्राण साहेब कि एक चित्रपट है, जिसका नाम है “जॉनी मेरा नाम” जो आज भी चलचित्र प्रेमियों के द्वारा बहुत पसंद कि जाती है। “जॉनी मेरा नाम”! देव आनंद के भाई विजय आनंद के निर्देशन में बनी है! ये फिल्म थ्रिलर फिल्मों में मील का पत्थर है! फिल्म में एक खलनायक  है जिसका किरदार प्रेमनाथ जी ने निभाया है! उस खलनायक ने अपने सगे बड़े भाई, अभिनेता- सज्जन को अपने अड्डे के तहखाने में बरसों से बंदी बनाकर रखा है! फिल्म के क्लाईमेक्स में दोनों भाइयों… सज्जन और प्रेमनाथ का संवाद है:-

सज्जन पूछता है कि “आखिर तेरी समस्या क्या है? आखिर मेरा दोष क्या है, जो मुझे तू इतनी बड़ी सज़ा दे रहा है?”

प्रेमनाथ उत्तर देता है : “तुम्हारा दोष ये है, कि तुम बेहद शरीफ आदमी हो, बेहद ईमानदार हो! और तुम्हारी इस शराफत, इस ईमानदारी ने बचपन से ही मेरा जीना हराम कर रखा है!”

“शराब तुम नहीं पीते! जुआ तुम नहीं खेलते! अय्याशी भी तुम नहीं करते! तुम्हारी ये शराफत मुझे परेशान करती है! तुम्हारी ये अच्छाई मुझे बूरा बनाती है! अगर तुम भी बूरे होते, तो मुझे कोई परेशानी न होती!”

अब मूल संदर्भ पर आइये…. आज विपक्ष की भी यही समस्या है!

मोदी जी प्रति वर्ष में ३६५ दिन, प्रतिदिन १८ घंटे काम करते हैं! शराब नहीं पीते! भ्रष्ट नहीं है! अय्याशी नहीं करते! ५-१० दिन तो क्या, ५ घंटे के लिए भी विदेश में आंखों से ओझल नहीं होते! आगे-पीछे कोई संतान, बहू-दामाद नहीं है उनके, जिनके लिए वो धन संग्रह करें! उनका ऐसा कोई रिश्तेदार नहीं है, जो दिल्ली की सत्ता के गलियारों में घूम-घूम के रोब जमाए, या दलाली करें! भ्र्ष्टाचार से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं। राष्ट्रप्रेम तो लहू बनकर उनकी धमनियों में दौड़ता है। जनता को जनार्दन समझ कर स्वय को चौकिदार समझते हैं। देश के गद्दारों को छोड़ते नहीं है। अतंकवाद पर जीरो tolrence कि निति अपनाते हैं।

विपक्षियों की समस्या ये है, कि मोदीजी का किसी स्विस बैंक में  कोई खाता नहीं है, उनके तहखानों में ₹२,००० और ₹५०० की गड्डियाँ नहीं सड़ रहीं हैं! मोदीजी की प्रामाणिकता, देशभक्ति, वफादारी ही विपक्षियों कि सबसे बड़ी समस्या और कमजोरी हैं! और हमारे महान पूर्वजो ने प्राचिन समय में हि हमें बता दिया था कि:

दह्यमानां सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना। अशक्तास्तत्पदं गन्तुं ततो निन्दां प्रकुर्वते॥

दुष्ट व्यक्ति दूसरे की उन्नति को देखकर जलता है वह स्वयं उन्नति नहीं कर सकता। इसलिए वह निन्दा करने लगता है और यही कार्य आज ये विपक्षि मिलकर कर रहे हैं।

अब आप देखिये:-

सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, रॉबर्ट वाड्रा, पी. चिदम्बरम, डि के शिवकुमार, और ना जाने कितने कांग्रेसी जमानत पर बाहर घूम रहे हैं। बहन मायावाती जी, ममता बनर्जी,  मुलायम सिंह यादव व लालू प्रसाद यादव इत्यादि किसी ना किसी प्रकार से कानूनी कार्यवाही के दायरे में है। फारुख अब्दुल्ला, मेहबूबा मुफ़्ती और अन्य अलगाववादी नेता छटपटा रहे हैं ये भी अपने कुकर्मो के चक्कर में कभी ना कभी क़ानून के मेहमान अवश्य बनेंगे। ज़ाहिर सी बात है.. आज की राजनीति में मोदी अन्य नेताओं (भाजपा समेत) के लिए एक समस्या बन गए हैं!

कड़वा सत्य यह है कि आज मोदी जी के साथ, भारत की जनता के अलावा और कोई नहीं है! स्वयं उनकी बहुत से पार्टी सहयोगी भी नहीं, क्यों कि मोदी ने बहुतों को ८ नवेम्बर २०१६ को बहुत गहरी चोट दे दी हैं!

पर कुछ भी हो मोदी जी तो स्पष्ट मानते हैं कि:

त्यज दुर्जनसंसर्गं भज साधुसमागमम् । कुरु पुण्यमहोरात्रं स्मर नित्यमनित्यतः॥

अर्थात:-दुष्टों का साथ छोड़ दो, सज्जनों का साथ करो, रत-दिन अच्छे काम करो तथा सदा ईश्वर को याद करो । यही मानव का धर्म है| अब आप स्वयं ही सोच लीजिये, कि इन सिकुलरिस्ट और प्रेस्टीट्यूट गद्दारों ने इतने वर्षों में प्रामाणिकता को ही देश की “मूल समस्या” बना दी है!

परन्तु आप समझ लीजिये, मोदीजी ये अच्छी प्रकार से जानते हैं:

हस्ती त्वंकुशमात्रेण बाजो हस्तेन तापते। शृङ्गीलकुटहस्तेन खड्गहस्तेन दुर्जनः॥

अर्थात:-हाथी को अंकुश से, घोड़े को हाथ से, सींगोंवाले पशुओं को हाथ या लकड़ी से तथा दुष्ट को खड्ग हाथ में लेकर पीटा जाता है।

हमारी दृष्टि मे तो हमारे मोदी जी कुछ इस प्रकार है:

दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने। प्रीतिः साधुजने स्मय खलजने विद्वज्जने चार्जवम।

शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तताः। इत्थं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः।

अर्थात:- जो अपने लोगो से प्रेम , परायों पर दया, दुष्टों के साथ सख्ती, सज्जनों से सरलता, मूर्खों से परहेज, विद्वानों का आदर, शत्रुओं के साथ बहादुरी और गुरुजनों का सम्मान करते हैं, जिन्हें स्त्रियों से लगाव नहीं होता, ऐसे लोग हर जगह सफल होते हैं यानी महापुरुष कहे जाते है। उनके अनुसार ऐसे ही लोगो के कारन दुनिया टिकी  हुयी है।

आचार्य  चाणक्य का कहना है की जो व्यवहार कुशल लोग अपने भाई-बन्धुओं से प्रेम करते हैं, अन्य लोगों पर दया करते हैं, दुष्टों के साथ दुष्टता का कठोर व्यवहार करते हैं, साधुओं, विद्वानों, माता-पिता तथा गुरु का आदर करते हैं, मूर्ख लोगों से दूर ही रहते हैं, शत्रु का बहादुरी से सामना करते हैं और स्त्रियों के पीछे नहीं भागते ऐसे लोग हर समय और परिस्थिति के अनुसार आगे बढ़ते है इसलिए हमेशा सफल होते है। हमारे मोदी जी ऐसे हि हैं।

सही मायनों में अगर विपक्षियों का बस चले, तो देश के वर्तमान प्रधान मंत्री की दशा वो “जॉनी मेरा नाम” के बड़े भाई जैसा बनाने से भी ना चूके!जैसे इस देश की जनता का अपना कोई जीवन ही न हो! अब जनता को ही २०२४ में विपक्षियों को धूल चटाकर पुनः बताना ही होगा, क्यों कि फ़िर कहीं इतनी देर ना हो जाये, कि उस नासूर का कोई इलाज ही ना रहे!

देश की जनता की आवाज़ २०२४ में एक बार फिर मोदी सरकार!

नागेंद्र प्रताप सिंह (अधिवक्ता)

aryan_innag@yahoo.co.in

Nagendra Pratap Singh: An Advocate with 15+ years experience. A Social worker. Worked with WHO in its Intensive Pulse Polio immunisation movement at Uttar Pradesh and Bihar.
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