आरक्षण वरदान या श्राप?

Politics of Reservation

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर के जरिए यह घोषणा किया कि आज से मेडिकल के क्षेत्र में भी पिछड़े वर्ग के विद्यार्थी को 27% आरक्षण दिया जाएगा। इस घोषणा के तुरंत बाद समाज के अलग-अलग वर्ग द्वारा अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई, जिनमें पिछड़ी जाति वर्ग में उल्लास तो वही जनरल कैटेगरी के छात्रों में भारी निराशा देखी गई। सामान्य वर्ग द्वारा अलग-अलग प्लेटफार्म पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया आनी शुरू हुई।

इन सबके बीच यह समझने की जरूरत है कि क्या सच में सामान्य वर्ग के साथ भेदभाव हो रहा है? चलिए देखते हैं कि सामान्य वर्ग के विद्यार्थी के जीवन में प्राइमरी स्कूल, हाई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय से लेकर जॉब का फॉर्म सबमिट करने तक कितना परेशानी झेलना पड़ता है। सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को कठिनाई का सामना प्राइमरी स्कूल से ही आरंभ हो जाता है। प्राइमरी स्कूल से लेकर मिडिल स्कूल तक सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को मिड-डे-मील (अभी मिलता है) पोशाक, जूता, स्वेटर, बैग, छात्रवृत्ति नहीं मिलता है भले स्वर्ण विद्यार्थी कितना भी गरीब हो छत पर फूस ना हो तब भी।

हाई स्कूल
जब सामान्य वर्ग के विद्यार्थी हाई स्कूल में अपना नामांकन करवाता है तो उसे एडमिशन के लिए एससी, एसटी, ओबीसी के तुलना में 2 से 3 गुना अधिक राशि जमा करना पड़ता है। यही सिलसिला परीक्षा फॉर्म रजिस्ट्रेशन फॉर्म में चलता रहता है जब विद्यार्थी मिडिल स्कूल पास करता है। तो सभी जाति के लड़का और लड़की को साइकिल, पोशाक राशि, पुस्तक राशि, एवम् छात्रवृत्ति भी मिलता है परंतु सामान्य जाति (वर्ग) के विद्यार्थी को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलता है।

कॉलेज / यूनिवर्सिटी
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एक अलग ही प्रकार का भेदभाव होता है। सामान्य वर्ग के विद्यार्थी के साथ कॉलेज में नामांकन के लिए सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को ज्यादा नंबर लाना पड़ता है। एडमिशन के समय ज्यादा फीस चुकाना पड़ता है। एससी, एसटी, ओबीसी के विद्यार्थी को राज्य सरकार कॉलेज तथा यूनिवर्सिटी लेवल पर अच्छी खासी छात्रवृत्ति प्रदान करता है परंतु यहां भी सामान्य जाति के विद्यार्थी के साथ भरपूर भेदभाव होता है। एससी,एसटी, ओबीसी के विद्यार्थी को जहां फ्री में हॉस्टल सुविधा उपलब्ध होता है। वही सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को उचित मूल्य पर भी हॉस्टल और मेस जैसी बेसिक सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जाता है। जिसके कारण सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को शहर के महंगी कमरों को किराए में लेकर रहना पड़ता है क्या सामान्य वर्ग के विद्यार्थी का सामान्य वर्ग में जन्म लेना ही अनर्थ हो गया। सरकार से सामान्य वर्ग के लोग आरक्षण का मांग नहीं करते हैं लेकिन स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी में बेसिक भेदभाव ना हो इतना तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थी इस भारत से अपेक्षा रखता ही है। की रजिस्ट्रेशन फॉर्म, एग्जामफॉर्म फिलअप, हॉस्टल, मेस जैसी मूल सुविधा सभी को समान रुप से मिल सकें।

वरदान या श्राप
पिछले कई दशकों से एससी एसटी ओबीसी के छात्रों को आरक्षण वरदान साबित हो रहा है परंतु सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को आरक्षण एक श्रापित वरदान साबित हो रहा हैै।

PAPPU KUMAR DAS: Author , Activist
Disqus Comments Loading...