संयम, सेवा और युवा उद्यम: यही कोरोना पर विजय पाने का मंत्र

आज संपूर्ण विश्व कोरोना महामारी के भीषण संकट का सामना कर रहा है। विश्व के सभी देश, इस समस्या से ग्रसित हैं एवं भारत भी आज उससे अछूता नहीं है। यह महामारी जिस प्रकार से संपूर्ण विश्व एवं भारत में अपने पैर पसार रही है, यह हमारे लिये निश्चित ही चिंता का विषय है किंतु इस समय संपूर्ण मानवजाति को अतिरिक्त संयम रखने की आवश्यकता है इसीलिए इसे संयमकाल भी कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

कुछ देश कोरोना की पहली लहर में अपने आप को संभाल नहीं पाये और उस समय जिन्होंने अपने आप को संभाले रखा वह इस दूसरी लहर की चपेट में आ गए। आज भारत में केंद्र व राज्यों की शासन-प्रशासन व्यवस्था व सभी चिकित्सा निकाय इस विकराल समस्या के निराकरण हेतु कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर सभी स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षाकर्मी, स्वच्छतासेवक अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।

इस विकट परिस्थिति में भी कुछ संवेदनहीन असुरी शक्तियां एक नकारात्मक वातावरण खड़ा करने का दुस्साहस कर रही है, किंतु इन सब से परे होकर सामान्य जनमानस जिस प्रकार से सकारात्मक माहौल बना रहा है वह स्वागत योग्य है, इस कठिन परिस्थिति में एक दूसरा चित्र जो हमारे सामने आता है वह एक नई आशा और विश्वास को जगाने वाला है, सकारात्मकता से परिपूर्ण है एवं साथ ही अनेकानेक सामाजिक धार्मिक संगठन के कार्यकर्ता व सामान्य समाज भी अपने योगदान के नए-नए उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। माना परिस्थिति विकट है किंतु समाज की शक्ति भी कहां कम है यह हम सभी अनुभव कर ही रहे होंगे।

आज इस महामारी में युवाओं की सक्रियता सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। आज जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारे समक्ष बड़ी-बड़ी चुनौतियां खड़ी है एवं उन चुनौतियों का सामना करके, उनका समाधान करने में व उन्हें अवसर में बदलने की जो भूमिका हमारे देश के युवा साथियों ने निभाई है वह निश्चित है इस देश को नई दिशा प्रदान करने वाली है।

आंतरिक कानून व्यवस्था एवं शासकीय निर्देशों का पालन करते हुए जरूरतमंदों को उनकी जरूरत के अनुसार राहत सामग्री पहुंचाने, अंतिम संस्कार करने, रक्त प्लाज्मा दान करने आदि में युवाओं ने जिस भूमिका का निर्वहन किया है, उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि, आगामी समय में यदि विश्व में इस प्रकार की अन्य चुनौतियां भी आ खड़ी हुई तो उनका समाधान करने में भी युवा ही अपनी प्रमुख भूमिका निभाएगा।
इस संकट काल में हम, सभी युवासाथियों का आव्हान करते हैं कि वह इन समस्याओं को प्राचीन दर्शन, दृष्टि व वैचारिक आधार पर समझते हुये न केवल भारत अपितु विश्व को मार्ग दिखाये, ऐसे नेतृत्व के निर्माण की ओर अग्रसित हो।

समन्वय एवं सेवाभाव से जुटकर, प्रत्येक अभाव को अपने संभव प्रयास से दूर करके, समाधान की ओर बढ़ना एवं संयम, मनोबल के साथ अनुशासन व परस्पर सहयोग की भावना रखना, इन सभी से ही हम इस भीषण परिस्थिति से उभर कर पुनः एक खुशहाल एवं स्वस्थ जीवन शैली की ओर बढ़ सकते हैं।

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