क्या ‘पश्चिम केन्द्रित’ सोशल मीडिया तय करेगा सही-गलत की परिभाषा?

‘हम भारत के लोग भारतीय’ संविधान की यह पवित्र पंक्ति हमारी एकता और संप्रभुता का आधार है। संप्रभुता जो दर्शाती है की आन्तरिक मुद्दों पर कोई भी बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार्य नही है। सोशल मिडिया, ऊपर से भारत जैसा युवा वाला देश सोशल मिडिया उपयोग कर्ता की भरमार, सस्ता इन्टरनेट, खूब मनोरंजन और ऊपर से राजनैतिक चर्चाये आज बात सोशल मिडिया की खूबियों की नही बात होगी इस पर पश्चिम के अधिपत्य की। कुछ दिन पहले अमेरिका की एक कंपनी ‘कैम्ब्रिज एनालिटीका’ काफी चर्चा में थी।  

इस कंपनी पर भारत के फेसबुक यूजर्स का पर्सनल डेटा चोरी करने के आरोप है। इस डाटा का प्रयोग चुनाव के समय लोगो के विचारो को प्रभावित करने के लिया किया गया अमेरिका में चुनाव के समय भी देखा गया की किस प्रकार सोशल मिडिया पर से ट्रम्प को बैन किया गया। जहाँ हम एक तरफ लोकतंत्र में ‘बोलने की स्वतंत्रता’ की बात करते वही दूसरी तरफ किसी देश के पूर्व राष्ट्रीय अद्यक्ष का अकाउंट बंद करना दर्शाता है की किस प्रकार सोशल मिडिया प्लेटफार्म मनमानी करते है। आज भारत के संधर्व में इस विषय पर चर्चा करना इसलिए अनिवार्य हो गया आज यह सोशल मिडिया साईट इतनी पक्षपाती हो गई है ये तय कर रही है की आपको क्या देखना, सुनना, बोलना और चुनना है। भारत में बहुत सारे लोग है जो सिर्फ मनोरंजन के लिए फेसबुक और सोशल मिडिया प्लेटफार्म का प्रयोग करते है परन्तु उन्हें नही पता चलता वो कब फेसबुक के इस एजेंडा में आ जाते है। आप मोदी सरकार के पक्ष में हो सकते है या मोदी सरकार के विरोध में परंतु यह उचित नही है की सोशल मिडिया तय करेगा की क्या सही है या गलत है।

2014 में भारत के सोशल मिडिया पर राष्ट्रवादी युवाओं की भरमार थी 2014 में मोदी सरकार की जीत का श्रेय भी सोशल मिडिया मैनेजमेंट को दिया जाता है अभी आपको समझना पड़ेगा की किस प्रकार से सोशल मिडिया जो की पश्चिम केन्द्रित है जिन पर पश्चिम के देशो का अधिपत्य है। और वो उपनिवेशिक मानसिकता को बडावा देने के लिए इनका प्रयोग कर रहे है जब हम पश्चिम केन्द्रित मिडिया की बात करते है तो उसमे बात होती है सिलिकॉन वैली स्थित उन कंपनी जिनके मुख्यालय भारत से दूर इंग्लैंड और अमेरिका में स्थित है और वह से तय होता है कि आप क्या देखे और सुने पिछले कुछ समय से  मुख्यता तबसे जबसे भारत सरकार ने भारत की कंपनी को प्रोत्साहन देना शुरू की किया है। तब से राष्ट्रवादी सोशल मिडिया एकाउंट्स की यूज़र तक पहुंच को कम कर दिया है जिन फेसबुक पेजों पर राष्ट्रवादी पोस्ट आती है यदि आपकी पोस्ट में ‘जय श्री राम’ लिखा है या ऐसा हैशटैग का प्रयोग है तो वो लोगो तक नही पहुंचेगी। पिछले कुछ दिन पहले ‘स्ट्रिंग’ एक यू-टूब चैनल उसने वामपंथी के सत्य को उजागर करने की विडिओ बनाई जिसमे उसने बताया की किस प्रकार टूलकिट मामले में सभी वामपंथी कैसे जुड़े हुए है। उस चैनल की विडिओ को यु-टुब ने तुरंत प्रभाव से गायब कर दिया। आपको यू-टूब और अन्य प्लेटफ़ोर्म पर हजारो विडिओ मिलेगी जिसमे भारतीय संस्कृति को टारगेट किया जाता है। उस पर कोई कार्यवाही नही अगर अपने किसी और मजहब के अन्धविश्वास के खिलाफ कुछ लिख दिया तो वो हेटस्पीच है। उसे बैन कर दिया जायेगा अगर आप शर्जिल इमाम है तो आप ट्विटर पर कुछ भी भोंक सकते है। अगर आप ‘कंगना रानौत’ तो आपका एकाउंट गायब हो जायेगा।

पिछले कुछ दिन पहले एक मित्र ने संस्कृत भाषा में ट्विटर पर दिल्ली में प्लाज्मा की मांग किसी जाहिल की रिपोर्ट पर तुरंत प्रभाव से उसकी पोस्ट को हेट स्पीच कहकर ब्लोक कर दिया गया आपको क्या दिखाया जा रहा है ये भी समझने का विषय है जिस रविश को लोग टीवी पर नही देखते उसकी विडिओ मेरे फेसबुक फीड में सुझाब में आ रही है जिस दिल्ली के संजय सिंह को लोग जानते नही है उसकी प्रेस कांफेरंस सामने आ रही है सोशल मिडिया पर  जगह पुलिस को पीटने की विडिओ देखने को मिलेगी ये सब प्रचारित किया जा रहा नरेटीव सेट करने के लिए और देश में अविश्वास फेलाने के लिए अभी ये काम कोरोना काल और भी जोरो पर मंदिर, योग, कुम्भ, आयुर्वेद ये सब उनके एजेंडा में प्रमुख है। जब इतनी बड़ी त्रसादी विश्व में आयी इटली, ब्राज़ील जैसे कम आवादी वाले देश का कितना बुरा हाल हुआ आज जापान में क्या हालत है कोरोना की वजह से सब हमारे सामने है। जर्मनी जैसे देश अपने लोगो को वैक्सीन नही उपलब्ध करवा पा रहे। उस समय सिंगापूर वेरिएंट वाली केजरीवाल की प्रेस कांफरेस पर दोनो देशों के खंडन के बाद भी कोई मनुप्लेटिड मिडिया का टैग नही लगता क्योंकि ये उनके एजेंडा का हिस्सा है। अंत में अगर आप इस भ्रम में है की ये सिर्फ मोदी सरकार और बीजेपी का नुकसान करेगा तो आप बहुत अंधकार में है।

ये आपकी संस्कृति, सभ्यता के लिए, आपकी अर्थव्यवस्था के लिए और युवा और देश के हित में भी उतना ही घातक होगा। जब शीत युद्ध समाप्त हुआ उसके बाद विचारधारा में अधिपत्य स्थापित करने के लिए साइबर युद्ध शुरू हुआ। जिसमे मुख्यता लड़ाई ‘कल्चरल वार और इन्फो वार’ की थी। कल्चरल वार में  मिडिया के माध्यम से आपके देश के कल्चर को हिन दर्शाने का प्रयास किया गया मिडिया के द्वारा उनकी मेगी को तो आपके बजारों से घरो तक पहुंचाए गया क्या आपका समोसा पहुंचा वंहा। अगर किसी ने कोट पेंट पहना है तो वो फोर्मल है सभ्य है अगर कोई धोती कुर्ता या भगवा वस्त्र पहने है वो असभ्य है मिडिया के माध्यम से वो सांस्कृतिक अधिपत्य स्थापित करने में सक्षम रहे है। ‘इन्फो वार’ में ये सोशल मिडिया आप तक सिर्फ वही सुचना पहुँचाने की बात करते है। जो उनके हित को सुरक्षित करती है एक उदाहरण के मध्यम से समझे अमेरिका ने कुछ समय पहले इजरायल को एक ऐसा यंत्र उपलब्ध करवाया जो हवा में मिसाइल को रोकने में सक्षम था।

परन्तु वो इतना सक्षम नही था जितना विदेशी मिडिया में उसका प्रचार किया गया वो 10 में से सिर्फ 2 मिसाइल ही रोकता था परन्तु इस प्रचार से उन्हें व्यपारिक फायदा हुआ। बिलकुल ऐसे ही आज सोशल मिडिया के माध्यम से इन्फो वार चल रही जिसमे विदेशी वैक्सीन को अधिक कारगर सिद्ध के नैरेटिव खड़ा किया जा रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में अलगाववाद को बडावा देने के लिए चीन जैसे देश के पास सोशल मिडिया ही सबसे बडा साधन है जो ट्रम्प के साथ हुआ है वो मोदी के साथ हो सकता है जो आपके साथ होगा वो अमेरिका के लोगो साथ नही होगा क्योंकी उनके टारगेट आपकी संस्कृति, सभ्यता, पहचान और आपके विचार है।

आपको अभी से तय करना होगा और विदेशी सोशल मिडिया प्लेटफार्म के उपयोग की जगह भारतीय प्लेटफोर्म को अपनना होगा। इस संकट में जब संसाधनों कमी के बावजूद हम कोरोना जैसे महामारी से लड़ रहे आजादी के इतने वर्ष बाद जिस देश में प्रधानमंत्री शोचालय बनवाने पड़े हो वहा हम हस्पताल का अंदाजा लगा सकते है। जब डाक्टर की संख्या कम हो और मरीजो की ज्यादा  उस समय सोशल मिडिया के नकरात्मक दुषप्रचार से बचे और पश्चिम केन्द्रित मिडिया का पूर्णता से बहिष्कार करें।

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